एक तरफ जहां देश में रोहिंग्या मुसलमानों को बाहर किए जाने की बात ज़ोर पकड़ रही है, तो वहीं अब यह सामने आया है कि पाकिस्तान बांग्लादेश में कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकवाद फैलाने के लिए ट्रेन कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश को पाकिस्तान फंडिंग कर रहा है, और इस फंड के इस्तेमाल से रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी ट्रेनिंग दी जा रही है। साथ ही सूत्रों ने ये भी बताया है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा, जैश-ए-मोहम्मद और हाफिज सईद की संस्था फलाह-ए-इंसानियत के कई एजेंट भी रोहिंग्या मुसलमानों में अतिवाद को बढ़ाने के लिए कॉक्स बाजार के इलाके में सक्रिय हैं। कॉक्स बाज़ार वही इलाका है जहां अधिकतर रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं।
इन खबरों के आने के बाद रोहिंग्या के आतंकी कनेक्शन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए NIA, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और रॉ को अलर्ट किया गया है। बता दें कि बांग्लादेश में हरिनमारा की पहाड़ियों में रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग दी जा रही है, और इसके लिए पाकिस्तान की ओर से 1 करोड़ फंड जारी कर भी दिये गए हैं।
अभी बांग्लादेश में 10 लाख से ज़्यादा शरणार्थी रहते हैं और वे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं। अभी कुछ दिनों पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान उनके देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं। उन्होंने कहा था “सैन्य कार्रवाई के कारण म्यांमार से पलायन कर आए रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के अलावा पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा हैं”। इसके अलावा बांग्लादेश पहले ही कॉक्स बाज़ार में फोन और इन्टरनेट पर पूरी तरह पाबंदी लगा चुका है। ये रोहिंग्या अवैध तस्करी करते हैं और बांग्लादेश के नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं, जिसकी वजह से बांग्लादेश की पुलिस भी इनसे परेशान हो गयी है।
इधर भारत सरकार भी सुरक्षा कारणों से ही इन रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकालने की दिशा में काम कर रही है। भारत सरकार यह पहले ही साफ कर चुकी है कि CAA के बाद अब भारत सरकार का फोकस रोहिंग्याओं को बाहर निकालने पर होगा जिसपर कुछ लोगों ने विवाद खड़ा करने की कोशिश की थी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था, “रोहिंग्या लोगों की यहां बड़ी आबादी है. इनके निर्वासन की क्या योजना है, सरकार इसको लेकर चिंतित है। सूची बनाई जाएगी और अगर ज़रूरत होगी तो बायोमेट्रिक सर्टिफ़िकेट्स भी लिए जाएंगे क्योंकि CAA रोहिंग्याओं को कोई लाभ नहीं देगा। ये उन तीन देशों से और छह अल्पसंख्यक समुदायों से नहीं आते हैं”।
पाकिस्तान और रोहिंग्या मुसलमानों के हाथ मिलाने से एक बात यह भी स्पष्ट है कि ये शरणार्थी आतंकियों के लिए ब्रीडिंग ग्राउंड साबित हो सकते हैं। ये गरीब लोग होते हैं और इसलिए इन्हें पैसा देकर कुछ भी कराया जा सकता है। पाकिस्तान भारत में शुरू से ही आतंक को फैलाने की कोशिश करता आया है, और पश्चिमी बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने की वजह से अब पाकिस्तान ने पूर्वी बॉर्डर से भारत में आतंक को एक्सपोर्ट करने का फैसला लिया है। बांग्लादेश के साथ मिलकर अब भारत सरकार इन रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देशों से बाहर करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि ये शरणार्थी दिनों –दिन इन देशों के लिए बड़ा सुरक्षा खतरा बनते जा रहे हैं।