देश में बढ़ते कट्टरवाद से निपटने के लिए श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने मुस्लिम धार्मिक मामलों के विभाग को देश के सभी मदरसों को विभाग के साथ पंजीकृत करने का आदेश दिया है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री, महिंदा राजपक्षे ने मुस्लिम धार्मिक मामलों के विभाग के अधिकारियों को सभी मदरसों के पाठ्यक्रम का पुनर्मूल्यांकन करने और शिक्षा मंत्रालय की सहायता से एक अद्यतन पाठ्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया है।
महिंदा राजपक्षे ने यह आदेश बुद्धसेना, धार्मिक मामलों और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय की प्रगति समीक्षा बैठक के दौरान दिया। इसके साथ ही राजपक्षे ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वे कट्टरता से उत्पन्न खतरों और religious indoctrination से बचने के लिए यह कदम उठा रहे हैं। इस्लामिक आतंक के चपेट में आ चुके इस द्वीपीय देश ने यह कदम उठा कर विश्व में बदते कट्टरवाद से निपटने में मदद मिलेगी।
आपको याद ही होगा, पिछले वर्ष 21 अप्रैल को आतंकवादियों द्वारा ईस्टर के दिन तीन चर्च और पांच होटलों को 8 सीरियल बम धमाकों के जरिये निशाने पर लिया गया था। इस हमले में 277 लोगों की मौत हो गयी थी। ईस्टर संडे के दिन हुए इस हमले में 30 विदेशियों की मौत भी हुई थी।
इस हमले में स्पष्ट रूप से इस्लामिक कट्टरवाद के स्पष्ट निशान थे जिससे इन हमलों को मदद मिली थी। ISIS ने भी इस विनाशकारी आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जबकि स्थानीय जिहादी संगठन, National Thowheeth Jamaath (NTJ) ने बम विस्फोट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जांच में यह पता चला था कि श्रीलंका के इस शांगरी ला होटल पर हमले के पीछे के मास्टरमाइंड, मौलवी जहरान हाशिम, विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के भाषणों से प्रेरित था। इस तरह के आतंकी हमले से पता चलता है कि किस तरह इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के खतरे श्रीलंका पर बड़े पैमाने पर मंडरा रहे हैं। इस कारण गृह युद्ध समाप्त होने के बाद शांति से रह रहे इस द्वीपीय देश के लिए एक चुनौती बन चुकी है जिससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।
इसी चुनौती से निपटने के लिए श्रीलंका की जनता ने इस बार के चुनावों में पीएम महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति के रूप में चुना था। रक्षा मंत्री रहते हुए वर्ष 2009 में उन्होंने लिट्टे के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया था। बता दें कि लिट्टे श्रीलंका का एक तमिल अलगाववादी संगठन था जो श्रीलंका में तमिल लोगों के लिए एक अलग देश की मांग कर रहा था। लिट्टे के खिलाफ जिस तरह बतौर रक्षा मंत्री गोटाबाया राजपक्षे ने एक निर्णायक अभियान चलाया, उसी की वजह से वे श्रीलंका में काफी लोकप्रिय हुए। इस कारण से उन्हें टर्मिनेटर का भी उप नाम दिया गया था।
राजपक्षे भाई अपने राष्ट्रवाद के लिए जाने जाते हैं। ऐसे समय में जब यह देश आंतरिक सुरक्षा संकट से जूझ रहा है, तब श्रीलंका के लोगों ने गोटाबाया राजपक्षे के रूप में उस व्यक्ति के रूप में देखा, जो इस्लामी चरमपंथ से छुटकारा पा सकता था। इसके बाद उनके बड़े भाई, महिंदा राजपक्षे ने भी प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इन दोनों ने आते ही कमान अपने हाथों में ले ली है और अपने खूबसूरत देश को इस्लामी चरमपंथ से छुटकारा दिलाने के लिए सभी मदरसों को विभाग के साथ पंजीकृत करने और पाठ्यक्रम का पुनर्मूल्यांकन करने जैसा कदम भी उठाना शुरू कर दिया है। भारत को भी अपने पड़ोसी से इस मामले में सीख लेकर कुछ ऐसा ही कदम उठाना चाहिए जिससे कट्टरवाद का खात्मा हो।