प्रशांत किशोर ने ममता को PM मोदी की Yorker के लिए तैयार किया, उधर शाह ने उन्हें Bouncer दे मारा

ममता बनर्जी

वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं और ममता बनर्जी अपने प्रचार के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ मिलकर काम कर रही हैं। वे प्रशांत किशोर की कंपनी आइपैक के मार्गदर्शन में ही अपनी चुनावी योजना तैयार कर रही हैं। परंतु यही टीम उनकी हार का कारण बनने जा रही है। इसका कारण है गृह मंत्री अमित शाह की शानदार रणनीति। प्रशांत किशोर की टीम ममता बनर्जी को पीएम मोदी के यॉर्कर खेलने के लिए तो तैयार किया लेकिन अमित शाह के  बाउंसर को वह झेल नहीं पायीं।

अब ये हुआ कैसे?

पिछले एक वर्षों में देश के सभी लोगों ने ममता बनर्जी के कई कांड सुने। जो कभी मुस्लिमों के तुष्टीकरण से संबंधित तो कभी हिंदुओं को लुभाने के प्रपंचों से जुड़ा था। वर्ष 2019 से पहले ममता बनर्जी अपनी तुष्टीकरण की राजनीति के लिए जानी जाती थीं। RSS के कार्यकर्ताओं की हत्या पर चुप्पी साधना हो या मुसलमानों द्वारा दुर्गा पूजा जुलूस रोकने पर मौन रहना हो, ममता बनर्जी ने इस विशेष वर्ग पर कुछ खास ही ध्यान दिया था। धूलागढ़ हो या फिर बसीरहट, यहाँ पर हुई सांप्रदायिक हिंसा को जिस तरह से छुपाने की कोशिश की थी वो किसी से छुपा नहीं है। इसके अलावा उन्होंने रोहिंग्या घुसपैठियों के पक्ष में आवाज उठाई और उनके लिए केंद्र सरकार से मोर्चा लिया, वह अपने आप में उनके सत्ता के प्रति मोह को अच्छी तरह दर्शाता है। इसके अलावा उन्होंने राज्य में जिस तरह से दुर्गा पूजा और रामनवमी के अवसर पर हिंदुओं के उत्सवों में बाधा डालने का प्रयास किया, उससे भी सब परिचित हैं। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में ममता बनर्जी की कट्टरपंथी छवि और अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण की नीति ने टीएमसी को 42 सीटो से 21 सीटों पर ला दिया। इससे घबराई हुई ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीति बनाने में माहिर प्रशांत किशोर की मदद ली और उनकी टीम IPAC के साथ गठबंधन किया।

इसके बाद PK अपने अनुसार ममता बनर्जी की रिब्रांडिंग करने में जुट गए ताकि वह 2021 में होने वालों राज्य के विधानसभा चुनावों में PM Modi के सामने अपनी पार्टी को बचा सकें।

इसी क्रम में ममता बनर्जी ने ममता को सॉफ्ट हिन्दुत्व कार्ड खेलने के लिए उतार दिया था। सबसे पहले चुनावों के ठीक बाद जब सांसदों का शपथ समारोह हो रहा था तब TMC की नवनिर्वाचित सांसद और नवविवाहिता नुसरत जहां  ने लोकसभा में साड़ी, मंगलसूत्र और सिंदूर में शपथ ली, फिर नुसरत ने ईश्वर के नाम पर शपथ ली और अपने शपथ का अंत उन्होंने जय हिन्द वंदे मातरम और जय बंगला बोलकर किया। टीएमसी के एक सांसद द्वारा ऐसा करना आश्चर्यचकित करने वाला कदम था।

इसके बाद प्रशांत किशोर ने टीएमसी के नेताओं को कुछ स्पष्ट दिशानिर्देश दिये थे, जिससे  ममता बनर्जी की हिन्दू विरोधी छवि को सुधारकर जनता से समर्थन प्राप्त किया जा सके। न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया था कि जमीनी स्तर पर नेतृत्व मजबूत करने के अलावा टीएमसी के नेताओं, विशेषकर ममता बनर्जी को ऐसे कोई भी बयान नहीं देने हैं, जिससे विपक्ष, और प्रमुख रूप से भाजपा को फ़ायदा पहुंचे। इसी रिपोर्ट के अनुसार ममता बनर्जी को यह भी सलाह दी गयी थी कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर प्रत्यक्ष रूप से कोई हमला नहीं करना है, जिसके कारण ममता बनर्जी काफी समय से शांत नजर आ रही हैं। ममता भी एक अच्छे स्टूडेंट की भांति अपने कोच द्वारा दिये गए दिशा-निर्देश का पालन करने लगी और उसे प्रैक्टिस कर रही हैं।

वहीं ममता की हिन्दू विरोधी छवि को सुधारने के लिए कुछ अहम निर्णय भी लिए गए थे। बंगाल के तारकेश्वर मंदिर की कमेटी की अध्यक्षता करने वाले मुस्लिम अध्यक्ष को इसी उद्देश्य से मंदिर प्रबंधक के पद से हटाया गया था। ये सभी निर्णय ममता की एक ममतामयी छवि को प्रदर्शित करने के लिए लिए गये, ताकि 2021 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो सके।

प्रशांत किशोर अभी ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री मोदी के यॉर्कर को खेलने के लिए प्रैक्टिक्स करा ही रहे थे तभी अमित शाह ने CAA के रूप में एक बाउन्सर फेंका जिसका जवाब ममता के पास नहीं था और उन्हें फिर से अपने हिन्दू विरोधी रुख पर उतरना पड़ा।

CAA को लेकर पश्चिम बंगाल में हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। विरोध प्रदर्शनों में कई बसों और ट्रेनों में आगज़नी की घटनाएं देखने को मिली थीं। इसके बावजूद ममता ने फिर से मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए इन हिंसक प्रदर्शनों पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसके अलावा वे नागरिकता कानून के खिलाफ भी एक बड़ी रैली का आयोजन कर चुकी हैं। ममता ने राज्य में NPR यानि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर से संबन्धित चल रहीं सभी गतिविधियों को भी रोक दिया था। यानि एक तरह से देखें तो प्रशांत किशोर का सारा दांव उल्टा पड़ गया। वह चाह रहे थे कि ममता बनर्जी हिन्दू विरोधी न दिखें लेकिन अमित शाह के एक कदम ने उन्हें एक्सपोज कर दिया।

प्रशांत किशोर चाहे कैसी भी रणनीति क्यों ना बना लें, वे किसी भी प्लान पर काम क्यों न करलें, लेकिन सच्चाई यह है कि लोग टीएमसी सरकार के तुष्टीकरण और ओछी राजनीति से अब ऊब चुके हैं। पिछले 10 सालों के दौरान वे अपने द्वारा की गई तुष्टीकरण की राजनीति को किसी से छुपा नहीं सकती। इसलिए अब CAA पर उठाया गया कदम विधानसभा चुनावों में उन पर भरी पड़ने वाला है।

 

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