आज के दौर में जिसने भी अपने प्लस टू विज्ञान से किया है उसे HC Verma की physics की किताब तो याद ही होगा। खास तौर पर लटकते बंदरों की फोटो जिसके माध्यम से HC Verma ने कठिन से कठिन physics के सवालों को समझाया था। अब एक बड़ी खबर में उन्हीं HC Verma को पद्म श्री से नवाजा गया है।
उन्होंने Physics को इतना सरल करके दिखाया है कि कोई भी छात्र उनके बताए हुए तरीके से बड़ी से बड़ी परिभाषा व फॉर्मूला तैयार कर सकता है। इंजीनीयरिंग छात्रों से लेकर स्कूली बच्चों तक भौतिक विज्ञान यानि Physics को आसान बनाने के लिए ही उनका नाम पद्म श्री के लिए चुना गया है।
बता दें कि हरीश चन्द्र वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1952 को बिहार राज्य के दरभंगा जिले में हुआ था। इनके पिता एक शिक्षक थे। स्नातक करने के लिए हरीश चन्द्र वर्मा का दाखिला पटना विज्ञान महाविद्यालय में हुआ। यहाँ के फैकल्टी से प्रभावित होकर हरीश चन्द्र वर्मा के मन में विज्ञान और गणित विषय में रूचि बढ़ी। उनकी रूचि ऐसी बढ़ी की हाई स्कूल की परीक्षा में संघर्ष करने वाले लड़के ने पटना विश्वविद्यालय के BSc भौतिकी (ऑनर्स) में तीसरा स्थान ला दिया। स्नातक कम्पलीट करने के बाद हरीश चन्द्र वर्मा ने GATE की परीक्षा निकाली और आईआईटी कानपुर से MSc के लिए दाखिला लिया। आईआईटी कानपुर में हरीश चन्द्र वर्मा ने सभी लडको में टॉप किया और 10.0 में से 9.9 GPA हासिल किया। उसके बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर से ही डॉक्टरेट की पढाई की और तीन वर्षो से भी कम समय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
साईंस कॉलेज में बच्चों को पढ़ते हुए इन्होंने देखा कि बच्चे भौतिक विज्ञान की पढ़ाई का आनंद नहीं ले रहे हैं बल्कि पढ़ पढ़ कर उब रहे हैं। इस वजह से हरीश चन्द्र वर्मा ने एक किताब लिखने की सोची जो भाषा के इस कठिनाई को आसान कर सके। इसके लिए उन्होंने 8 साल तक कठिन परिश्रम किया और फलस्वरूप लोगों के बीच आया Concepts of Physics. जहां कभी भौतिक विज्ञान का नाम सुनते ही छात्रों के पसीने छूटने लगते थे आज वह विषय HC Verma की पुस्तक ने उनके लिए बेहद आसान बना दिया है। लकड़ी, कागज, दफ्ती व रस्सी जैसी रोजमर्रा की चीजों से उन्होंने ऐसी दिलचस्प बनाई हैं जो छात्रों को खेल-खेल में भौतिकी को आम जीवन से वापस जोड़ दिया है।
डॉ एच सी वर्मा 1994 में सहायक प्रोफेसर के रूप में आईआईटी कानपुर में शामिल हुए। यहां, उन्होंने कई पाठ्यक्रमों के छात्रो को पढाया और “क्वांटम फिजिक्स” नामक एक पुस्तक भी लिखा। HC Verma ने प्रयोगात्मक परमाणु भौतिकी में अनुसंधान भी किया। आईआईटी कानपुर आने से पहले वह लगभग 15 वर्षों तक पटना विज्ञान महाविद्यालय में रहे। किताब लिखने के अलावा HC Verma ने स्कूल, कॉलेज व इंडस्ट्री में काम करने वालों के लिए ऑनलाइन कोर्स तैयार किया जिसमें यूएस, यूके, फ्रांस, जर्मनी व कनाडा समेत अन्य देशों के अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराते हैं।
प्रो. वर्मा ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने व उन्हें स्कूल तक पहुंचाने के लिए शिक्षा सोपान कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की शुरुआत की है जिसका लाभ कई बच्चे उठा चुके हैं।
सेवानिवृत्त होने के बाद भौतिकविद् प्रोफेसर वर्मा आइआइटी में एडजेंट फैकल्टी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
अब जब HC Verma को पद्म श्री से सम्मानित किया जा रहा है तो यह उन सभी के लिए हर्ष की बात है जिन्होंने अपने समय में उनकी पुस्तक पढ़ कर आज एक मुकाम हासिल कर चुके हैं और उनके लिए भी जो आज के दौर में उनकी Dr HC Verma की पुस्तक पढ़ते हैं। युवाओं में Physics को एक नई पहचान देने वाले HC Verma को पद्म पुरस्कार मिलने पर बहुत-बहुत बधाई।