‘सपने का भारत’ या ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ कैसा होना चाहिए? सभी का यही प्रश्न होता है। सभी यह चाहते हैं कि देश में राष्ट्रीय ध्वज और चिन्हों का सम्मान करें और देशवासी राष्ट्रगान गाने से परहेज न करे। जब से अमित शाह ने गृह मंत्रालय संभाला है और ताबड़-तोड़ फैसले लिए हैं तब से देश के अंदर एक अलग ही बदलाव देखने को मिल रहा है। कहीं भी प्रदर्शन हो रहा है तो वहाँ संविधान का प्रस्तावना पढ़ा जा रहा है, जिन्हें राष्ट्रगान से भी दिक्कत होती थी वे अब राष्ट्रगान गाने लगे हैं, इसके साथ ही वंदे मातरम का भी नारा लगने लगा है।
जी हाँ, इसी भारत की तो पीएम मोदी और अमित शाह ने कल्पना की थी। बता दें कि अनुच्छेद 370 के बाद से ही मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों लाइन लग गयी थी। परंतु CAA के पारित होने के बाद यह विरोध प्रदर्शन सड़क पर उतर चुके हैं। दिल्ली के शाहीन बाग में यह प्रदर्शन भी 40 दिनों से चल रहा है। इसी दौरान कल यानि रविवार को गणतन्त्र दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।
एक तरफ असदुद्दीन ओवैसी भी राष्ट्रगान गाते दिखे तो दूसरी तरफ मुंबई में आयोजित हुई CAA के विरोध प्रदर्शन में भी जन-गण मन गाया गया था और राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। वहीं कानपुर में भी इसी तरह के आयोजन देखे गए थे।
8 जनवरी को कुछ वकीलों ने सीएए और एनआरसी के विरोध में संविधान की प्रस्तावन पढ़ी थी। इसमें वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, संजय पारिख और प्रशांत भूषण थे।
तिहाड़ जेल से रिहा होने के कुछ घंटे बाद भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी जामा मस्जिद पहुँच कर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी थी।
जामिया विश्वविद्यालय में संविधान की प्रस्तावना के नीचे बैठकर छात्राओं ने CAA पर अपना विरोध दर्ज कराया था। संविधान की प्रस्तावना का एक मेगा बैनर जामिया विश्वविद्यालय के बाहर सड़क के बीचों बीच जामिया को-आर्डिनेशन कमेटी द्वारा टांग दिया गया था।
वहीं 8 जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन्स कॉलेज के छात्रों ने क्लास का बहिष्कार कर कॉलेज कैंपस में संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ा था।
At St Stephen's today. Students boycott classes (very, very rare) to read the Preamble to the Constitution and to support and say #WeStandWithJNU. And #NoCAANoNRC pic.twitter.com/OxlGWhWjyL
— Stephanians (@CafeSSC) January 8, 2020
यह सभी को पता है कि इस तरह का आयोजन देश विरोधी और टुकड़े-टुकड़े गैंग कर रहा है लेकिन उन्हें भी लोगों के सामने दिखावा करने के लिए हाथ में राष्ट्रीय ध्वज और होंठो पर राष्ट्रगान और हाथ में संविधान की प्रस्तावना रख विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। आम जनता भी यही करती है लेकिन वह देश को तोड़ने के लिए नहीं जोड़ने के लिए। जनता को पता है कि कौन कितना सहिष्णु है इसलिए उन्हें यह पता है कि ये जो कर रहे हैं बस दिखावा है। दिखावा के लिए ही सही आखिरकार इन देश विरोधी तत्वों ने अपने हाथ में तिरंगा तो पकड़ा, कम से कम सम्मान तो करना सीख गये हैं राष्ट्रध्वज का।
खुलेआम इन सभी राष्ट्रीय चिन्हों पर प्रश्न दागने वालों का इस तरह nationalism का चोला पहने देख जनता को भी यह एहसास हो गया होगा कि कितने सहिष्णु है ये सभी। लोगों के बीच अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए ये सभी नाटक कर रहे हैं। यह देख आश्चर्य ही होता है कि अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने देश विरोधी तत्वों को घुटने पर ला दिया है कि वे झूठे ही सही पर तिरंगा पकड़ कर संविधान तो पढ़ रहे हैं। खास कर अमित शाह के फैसलों ने तो मानो इस देश विरोधी गैंग को ये सब करने पर मजबूर कर दिया है। अनुच्छेद 370 हटने से पहले तो ऐसा लगता था कि किसी को संविधान के बारे में पता भी नहीं है। उसके हटते ही सभी ने संविधान पढ़ना शुरू कर दिया और अब जन गण मन भी गाने लगें हैं। ऐसा चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यही गैंग भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए भी दिखेगा।