दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रोटेस्ट का मास्टरमाइंड कहे जाने वाले और देशद्रोही का आरोप झेल रहे जेएनयू छात्र शर्जील इमाम को पुलिस ने जहानाबाद से गिरफ्तार कर लिया है। अब बिहार पुलिस देश के टुकड़े करने की बात कहने वाले शर्जील इमाम को जहानाबाद के कोर्ट में पेश करेगी वहीं दिल्ली पुलिस जेएनयू छात्र शर्जील इमाम ट्रांजिट रिमांड के लिए आवेदन देगी।
आज सुबह पुलिस ने शर्जील के भाई मुजम्मिल और उसके एक सहयोगी को जहानाबाद से हिरासत में लिया था और कड़ी पूछताछ के बाद उसके भाई ने अपनी जुबान खोल दी। जैसे ही पुलिस को पता चला कि वह जहानाबाद से काको में है वो तुरंत उसकी गिरफ़्तारी के लिए निकल गयी और काको में छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में असम को भारत से अलग करने की शर्जील इमाम ने मांग क्या की, उसे लेने के देने पड़ गए। उसके पीछे करीब 6 राज्यों की पुलिस थी। एक तरफ शर्जील भागे भागे फिर रहा था, तो वहीं उसके प्रशंसक सरकार द्वारा उचित कदम उठाए जाने पर अपनी छाती पीट रहे थे।
अब तक शर्जील इमाम के खिलाफ मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं बिहार की पुलिस ने धारा 124 अ एवं UAPA कानून के अंतर्गत केस दर्ज कराया है। दिल्ली, यूपी एवं बिहार पुलिस की एक संयुक्त टीम शर्जील इमाम को पकड़ने के लिए हर प्रयास कर रही थी। पुलिस ने इसी संबंध में शर्जील के जहानाबाद में स्थित पुश्तैनी आवास पर भी छापा डाला था।
बता दें कि शर्जील इमाम तब से चर्चा में है जबसे उसने भारत के टुकड़े करने की बात कही है। उसने अपने एक भाषण में कहा था कि, “असम को भारत से काटना हमारी ज़िम्मेदारी है। जब तक असम और भारत अलग नहीं होते, तब तक वो हमारी नहीं सुनेंगे। असम में मुसलमानों की हालत तो आप जानते ही हैं। सीएए और एनआरसी वहाँ पर लागू हो चुका है। लोगों को डिटेन्शन कैंप्स में फेंका गया है, नरसंहार हो रहा है और फिर 6-8 महीने में हम पाएंगे कि बंगाली, चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सब मारे जाएंगे। यदि हमें असम की रक्षा करनी है, तो हमें पूर्वोत्तर का गेटवे बंद करना होगा”।
इमाम ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर, या चिकन्स नेक (Chicken’s neck) का उल्लेख भी किया, जो भारत की सिक्योरिटी के लिहाज से काफी अहम है। शर्जील ने दावा किया, “ये Chicken’s neck मुसलमानों का है, क्योंकि यही अधिकांश लोग मुसलमान हैं”।
इस तरह के बाद से ही शर्जील इमाम कानून की नजर में था परन्तु उसके खिलाफ एक्शन लिए जाने से वामपंथी गैंग में विलाप शुरू हो गया था। यही नहीं इमाम ने तो वामपंथियों के चहेते मीडिया पोर्टल के लिए कई लेख भी लिखे हैं। परन्तु जब शर्जील इमाम का सच सामने आया तो द वायर अपने चहेते लेखक के बचाव में उतर गया।
हाल ही में द वायर के एक पत्रकार ने दावा भी किया है कि कैसे शर्जील का भाषण देशद्रोही नहीं हो सकता। द वायर भले ही शर्जील इमाम के अपराधों को मानने से मना करे, परंतु ये बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि वो ऐसे देशद्रोहियों को मंच देने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते, जिसके कारण शर्जील जैसे विश्वासघातियों को बढ़ावा मिलता है। हालांकि, अब ये देशद्रोही कानून के शिकंजे में है और कानून सही दिशा में इस मामले में कदम उठाएगी यही सभी को उम्मीद भी है।