जब लगा कि CAA के बाद असम में BJP की कहानी खत्म हो गयी, तब हिमंता ने अपना जलवा दिखाया

हिमन्ता बिस्वा सरमा ने संभाला मोर्चा

हिमंता बिस्वा सरमा

(PC: Twitter/@himantabiswa)

अभी महीने भर पहले असम राज्य को हिंसा की आग में झोंका गया, जब सीएए को संसद में पारित कराया गया था। तब से असम में एक सुनियोजित अभियान चलाया गया है, जिसमें सीएए के बारे में भ्रामक खबरें फैलाकर लोगों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। इन खबरों का प्रमुख उद्देश्य है असम के लोगों के मन मस्तिष्क में ये धारणा बिठाना कि इस अधिनियम के कारण असम के मूल निवासी के अस्तित्व को खतरा होगा। अब इस झूठ के खिलाफ असम के स्वास्थ्य, वित्त एवं शिक्षा मंत्री डॉ॰ हिमंता बिस्वा सरमा मुखर हो गये हैं।

दरअसल, सीएए  को लेकर फैलाए जा रहे झूठ को फैलाने में मेनस्ट्रीम मीडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। मूल निवासियों के समूहों के अलावा असम में सीएए का विरोध करने वालों में एआईयूडीएफ़ के सदस्य भी शामिल थे, जिनका उद्देश्य है एनआरसी को किसी भी स्थिति में असम में लागू न होने देना, ताकि  बांग्लादेशी घुसपैठियों का वोट बैंक बना रहे। मुस्लिम घुसपैठियों की पैरवी करने और उनका बचाव करने के पीछे एआईयूडीएफ़ को पहले भी आलोचना का सामना करना पड़ा है।

इन विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप असम को हिंसा  पड़ा था। राज्य में लगभग हर जगह विरोध प्रदर्शन, कर्फ़्यू, हिंसा, आगजनी हो रही थी और कई जगह लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा था। कुछ समय तक राज्य में धारणा व्याप्त थी कि असम में हो रहे हिंसक प्रदर्शन भाजपा के विरुद्ध विद्रोह के संकेत हैं।

पिछले महीने असम गण परिषद ने घोषणा भी की कि वे नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करेंगे और मूल निवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। परंतु भाजपा विरोधी लहर की धज्जियां उड़ाते हुए शुक्रवार को असम के बोका खाट नगर में असम के स्वास्थ्य, वित्त एवं शिक्षा मंत्री डॉ॰ हिमंता बिस्वा सरमा ने एक विशाल संकल्प रैली का आयोजन कराया।

 

हिमंता बिस्वा सरमा की रैली में जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिस तरह की भीड़ इस संकल्प रैली में देखी गयी, उससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि भाजपा की लोकप्रियता असम में बिलकुल भी कम नहीं हुई है। बोकाखट रैली ही नहीं, परंतु हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा धेमाजी में आयोजित ‘शांति रैली’ में भी भारी संख्या में लोग हिस्सा लेने के लिए आए। इतना ही नहीं, हिमंता बिस्वा सरमा ने विरोधियों पर तंज़ कसते हुए ये भी कहा कि 90 प्रतिशत विपक्षी विधायकों के पूर्वज बांग्लादेश से आए हैं, तो वे कृपया सीएए पर न ही उपदेश दें तो अच्छा!

सच कहें तो ये हिमंता बिस्वा सरमा ही थे जिनके कारण भाजपा सीएए विरोध के नाम पर हुई हिंसा के बावजूद असम में जनता का समर्थन प्राप्त कर पायी है। संकट के समय भी वे धैर्य और सूझ बूझ के साथ सीएए को समर्थन देते रहे। सीएए के पारित होते ही हिमन्ता बिस्वा सरमा ने नालबारी ‘शांति एवं समृद्धि’ मार्च में हिस्सा लिया, जिसमें असम के मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनोवाल भी शामिल हुए।

जबसे सीएए पारित हुआ, हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य के लोगों को वास्तविकता से परिचित कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सीएए के विरुद्ध प्रचारित हो रहे भ्रामक खबरों को उजागर करते हुए हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “नागरिकता अधिनियम में संशोधन असम accord की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए नहीं अपितु उसके अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने हेतु किया गया है”।

असम मंत्री ने आश्वासन भी दिया है कि 5 लाख से ज़्यादा शरणार्थी असम क्षेत्र में सीएए के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कोई नया शरणार्थी बांग्लादेश से नहीं आएगा। यदि तय आंकड़े से ज़्यादा लोगों ने सीएए के लिए आवेदन किया, तो वे राजनीति से सन्यास ले लेंगे। कहा जा रहा था कि सीएए के पारित होने पर भाजपा का असम में अस्तित्व खत्म हो जाएगा। परंतु जिस तरह से हिमंता बिस्वा सरमा के रैलियों में लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि भाजपा ने सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन के बाद भी अपना जनाधार कायम रखा है।

 

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