इंडिया टुडे की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। जेएनयू में हुई हिंसा में अपने कथित स्टिंग ऑपरेशन की पोल खुलने पर चारों ओर से आलोचना की बौछार झेलने के बाद अब इंडिया टुडे का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। एक पत्रकार ने जेएनयू हिंसा में उपद्रवी छात्रों द्वारा सर्वर ब्लॉक किए जाने के आरोपों के खंडन में अपनी अज्ञानता की ही पोल खोल दी।
इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडे ने जेएनयू के सर्वर विवाद पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया, “इंडिया टुडे ने जेएनयू के कम्युनिकेशन और इन्फॉर्मेशन सर्विसेज के सर्वर से कुछ मेल एक्सैस की, जो जेएनयू के प्रशासक के अनुसार इसलिए बंद हो गया था क्योंकि वामपंथी विद्यार्थियों ने सर्वर रूम में तोड़फोड़ की थी। तो ये मास मेल कैसे गए?”
.@IndiaToday accesses mails sent from the server of Communication & Info Services, which was down acc to #JNU admin after left students vandalised server room. Administration said that registration process couldn't take place because server was down. So how did the mass mails go? pic.twitter.com/B0gCAhd5Uy
— Tanushree Pandey (@TanushreePande) January 11, 2020
मतलब साफ था, चूंकि जेएनयू के आधिकारिक सर्वर से मास मेल जा सकते थे, इसलिए इंडिया टुडे की इस पत्रकार के अनुसार दिल्ली पुलिस द्वारा वामपंथी विद्यार्थियों के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। तनुश्री पांडे के बाद एनडीटीवी के पत्रकार अरविंद गुणसेकर ने ट्वीट किया, “जेएनयू के वाइस चांसलर बताते हैं कि कम्युनिकेशन और इन्फॉर्मेशन सर्विस के सर्वर रूम में 4 जनवरी को उपद्रवी छात्रों ने तोड़फोड़ मचाई थी। विश्वविद्यालय की डिजिटल सेवा 8 जनवरी तक रुक गयी थी, तो आखिर सीआईएस द्वारा ये मेल 5 जनवरी को कैसे भेजा गया?” –
JNU VC had said that Communication and Information Service was vandalised by students on Jan 4 and so CCTVs weren’t working on Jan 5th…University’s digital services came to a stand still till Jan 8.
If so, how was this mail sent by CIS (mailing server) on Jan 5 at 1.58 PM ?! pic.twitter.com/Z7qWqZdSC2
— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) January 11, 2020
लगता है इंडिया टुडे ने एनडीटीवी से अपनी भद्द पिटवाने में अच्छी दीक्षा ली है। तभी वे फर्जी स्टिंग ऑपरेशन में पोल खुलने के बाद भी बेशर्मी से जेएनयू मुद्दे पर प्रोपेगेंडा चलाये जा रहे हैं। जेएनयू के सर्वर से संबन्धित उनके पत्रकार का वर्तमान ट्वीट भी इसी अज्ञानता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। शायद उन्हें पता नहीं है कि एक वेब सर्वर और एक मेल सर्वर में काफी अंतर होता है। शुभ के नाम के एक ट्विटर यूजर ने कहा, “ हैलो आईटी एक्सपेर्ट, 1 सर्वर का मतलब यह नहीं है कि उसका सब पर कंट्रोल है। यह ईमेल jnu.nic.in नामक डोमेन से आया है, जो किसी अन्य सर्वर पर भी हो सकता है, जैसे किसी 3rdपार्टी क्लाउड सर्विस पर।
और यह जेएनयू के बुद्धिजीवी हैं” –
https://twitter.com/HackyShubham/status/1216031932376502272
फिर क्या था, सोशल मीडिया ने इंडिया टुडे की पत्रकार को उसकी अज्ञानता के लिए जमकर आड़े हाथों लिया। द बॉन्ग हेड नाम के एक यूजर ने कहा, ‘“यह गूगल मेल का साइट है। आधिकारिक उद्देश्य से कोई व्यक्ति एक कस्टम डोमेन नेम के अंतर्गत गूगल द्वारा प्रोवाइड किए जाने वाले मेल सर्वर का उपयोग करता है। UI के जरिये कोई बच्चा भी बता सकता है कि यह गूगल मेल का सर्वर है। पर हाय रे जेएनयू के humanities ग्रेजुएट, केवल यही इतने dumb होकर एनडीटीवी में पत्रकार के लिए आवेदन कर सकते हैं” –
– This is Google mail suite
– One may use custom domain name in mail servers provided by Google for official purpose
– One kid can tell by UI that its a Google mail serverBut oh humanities from JNU are so dumb in a way and joined as NDTV qualified.
— The Bong Head (@TheBongHead) January 11, 2020
इसी प्रकार से चर्चित ट्विटर यूज़र @AndColorPocket इस प्रकरण पर ट्वीट करते हैं, “जेएनयू की आधिकारिक साइट जेएनयू में स्थित सर्वर्स से चलती है, पर मेल सर्वर के लिए वे जीमेल की सेवाओं का उपयोग करते दिखाई दे रहे हैं। तो अगर विश्वविद्यालय में सर्वर डाउन है, तब भी आप कहीं से भी अपने ईमेल अकाउंट से लॉगिन कर ईमेल भेज सकते है” –
JNU site is hosted at servers inside JNU but for the mail server they seem to be using gmail services i.e. hosted by google at cloud. So even if the server inside the University is down you can still login the mail account from anywhere and send the email. https://t.co/cPEWdJkkaI pic.twitter.com/RPAjMfaigo
— 🦁 (@AndColorPockeT) January 11, 2020
ऐसे ही एक ट्विटर यूज़र अभिमन्यु ने इंडिया टुडे के पत्रकार की अज्ञानता पर तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “मतलब तनुश्री मैडम की माने तो यदि आपके फोन ने काम करना बंद कर दिया, तो आपका ट्विटर अकाउंट भी काम करना बंद कर देगा” –
As per Tanushree Ma'ams logic if your phone stops working your twitter account will stop working as well 😂😂
— अभिमन्यु (@abhimanyuafc) January 11, 2020
परंतु ठहरिए। यह पहली बार नहीं जब इंडिया टुडे को अपने प्रोपगैंडा के कारण भारी आलोचना का सामना करना पड़ा हो। अभी कुछ ही दिनों पहले राहुल कंवल द्वारा एक स्टिंग ऑपरेशन करने का दावा किया गया था, जहां उन्होंने बताया कि कैसे एक एबीवीपी सदस्य को दंगाइयों के साथ उत्पात मचाते हुए पकड़ा गया था। परंतु उनका पैंतरा फुस्स हो गया, जब ये सामने आया कि उक्त व्यक्ति एबीवीपी का सदस्य था ही नहीं, और जिस रैली की दुहाई देकर राहुल अक्षत नाम के व्यक्ति को एबीवीपी का सदस्य घोषित करना चाह रहे थे, वह तो फीस में बढ़ोत्तरी के विरोध में निकाली गयी रैली की तस्वीर निकली, जिसके लिए इंडिया टुडे को इसके लिए काफी आलोचना का सामना करना पड़ा –
Here's video of your channel from the day of protest. Channel shows Aishe Ghosh speaking, SFI's Soori at the protest.
Do you have any shame @rahulkanwal before calling it ABVP rally?
Or are you saying that anyone who holds a flag must be from ABVP? pic.twitter.com/0mH2JnEJxD
— Ankur Singh (Modi Ka Parivar) (@iAnkurSingh) January 10, 2020
जेएनयू में हुई हिंसा कोई अच्छी बात नहीं है, और इसके लिए दोषियों पर पुलिस को कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। पर जिस तरह से इंडिया टुडे इस मुद्दे को जानबूझकर अपनी भ्रामक रिपोर्टिंग से भड़का रहा है, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं जिससे लोगों का सच्ची और निष्पक्ष पत्रकारिता पर से विश्वास उठने लगा है।