Dear UBER, या तो Driver को हटाओ या उस पत्रकार पर केस करो: बिना कागज़ वाले मुस्लिम Uber Driver की पेचीदा कहानी

या तो कहानी नकली है, या Driver का कोई अस्तित्व ही नहीं है, या Driver बिना पेपर्स के Drive कर रहा है: जो भी है, कुछ तो लफड़ा है

लोग अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए कई बार झूठी कहानियों का सहारा लेते हैं। ये झूठी कहानियाँ अक्सर ह्यूमन स्टोरी होती हैं, जिससे लोगों का दिल पिघल जाए और लोग एजेंडे के झांसे में आ जाए। ऐसा ही हमे CAA और NRC के विरोध प्रदर्शनों में भी देखने को मिल रहा है। CAA के पारित होने के बाद से एक अजीब ट्रेंड शुरू हो गया है और सभी विरोध करने वाले यह रट लगा रहे हैं कि ‘कागज़ नहीं दिखाएंगे’। इससे जुड़ी विशेष वर्ग की कई झूठी कहानियाँ परोसी जा रहीं है। अच्छे-भले डॉक्युमेंट्स दिखाकर नौकरी कर रहे लोग भी अपने पास कागज़ ना होने की बात कहकर बात को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर अक्सर इस कानून का विरोध करने वाले पत्रकार इस तरह की कपोल कल्पित कहानियाँ बता कर अपने एजेंडे को आगे करते है। इसी का एक नमूना हमे बुधवार को देखने को मिला जब Huff post के एक पत्रकार ने ट्विटर पर एक कहानी बता कर NRC और CAA के खिलाफ लोगों को भड़काया।

पत्रकार अंकुर पाठक huffpost के entertainment एडिटर है। ट्वीटर पर वह एक verified ट्विटर चलाते हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक मुस्लिम ड्राईवर की कहानी लिखी जो ‘Uber’ में नौकरी करता है। उन्होंने लिखा कि मैं “Uber कार में था जिसका ड्राईवर एक मुस्लिम था। वह वृन्दावन का रहने वाला था”। Uber ड्राईवर ने पत्रकार अंकुर पाठक से कहा, “मैं हॉस्पिटल में नहीं चारपाई पर पैदा हुआ है। मां-बाप अनपढ़ कहाँ से लाऊं कागज।

इस पत्रकार ने आगे लिखा कि “उस मुस्लिम ड्राईवर ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह वृन्दावन में मस्ती करता था और अपने हिन्दू दोस्तों के साथ क्रिकेट और छुपा-छुपी खेलता था।”

वह आगे लिखते हैं, “जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, वे फ़ेसबुक से आपस में जुड़े रहे लेकिन हाल के दिनों में सभी दोस्त उसे अनफ़्रेंड करने लगे और उसके टाइमलाइन पर गलत-गलत पोस्ट लिखने लगे। उस ड्राईवर ने कहा कि बचपन के यारों को मजहब कब से दिखने लगा”।

ड्राईवर ने आगे बताया, “मैंने अपने FB पर जेएनयू पर हमले की निंदा करने वाली एक वीडियो शेयर की, जिसके बाद उसके बचपन के दोस्त ने टिप्पणी की, ‘गोली मारनी चाहिए सालों को’। मेरे भाई हैं वो। साथ मे बड़े हुए। कैसा बन गया ऐसा वो?”

इस कपोल कल्पित कहानी में भावनाओं को डालने के लिए huffpost के इस पत्रकार ने लिखा कि उन्होंने कभी किसी को इस तरह से दुखी होते हुए नहीं देखा है।

यह कहानी कितनी सच्ची है और कितनी नहीं! ये तो आप स्वयं थोड़ी देर में समझ जाएँगे। हम बस दो सवाल करना चाहते है उबर से।

पहला सवाल Uber से यह है कि यह व्यक्ति कौन है जो किसी document के न होने के बावजूद भी आपके यहाँ नौकरी कर रहा है? Uber इस ड्राइवर को ढूँढे और उसे तुरंत नौकरी ने निकाले क्योंकि बिना document के किसी की प्रोफाइल को verify किया ही नहीं जा सकता।

आम लोग, जो इस ड्राईवर की कैब से आवाजाही करते हैं, यह उनके लिए खतरा है। क्योंकि अगर कोई अपराध होता है तो ऐसे बिना documents वाले ड्राईवर पकड़ में कैसे आएंगे? अगर ऐसा सच में है कि Uber बिना verify किए drivers को काम दे रहा है, तो पुलिस को इस पर संज्ञान लेकर तुरंत सभी एग्रीगेटर से इस प्रकार के ड्राईवरों के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए। पुलिस को यह दबाव बनाना चाहिए कि एग्रीगेटर ऐसे ड्राईवरों से documents जमा करने को बोले नहीं तो नौकरी से निकाले, क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा की बात है।

दूसरा सवाल यह कि अगर ऐसी बिना डॉकयुमेंट वाले ड्राईवर का कोई अस्तित्व ही नहीं है, तो फिर उस huff post के पत्रकार ने इस कहानी को कैसे गढ़ लिया? अगर Uber पहले से ही पूरे कागज़ात देखकर drivers को verify कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि अंकुर पाठक ने झूठी कहानी फैलाई है। इसके लिए Uber को तुरंत इस पत्रकार के खिलाफ लीगल एक्शन लेना चाहिए क्योंकि यह व्यक्ति काल्पनिक कहानी बनकार अपने CAA-NRC के विरोध में एजेंडे को फैलाने के लिए मनगढ़ंत कहानियाँ बनाकर Uber को बदनाम कर रहा है।

यह हास्यास्पद है कि लोग CAA-NRC के खिलाफ एजेंडा चलाने के लिए स्तरहीन और दिशाहीन खबरें चला रहे हैं और किसी पर भी कोई आरोप लगा दे रहे हैं। जब ट्विटर पर लोगों ने इस पत्रकार को आड़े हाथों लिया और सवाल किया कि उसने अपना Driving License कैसे प्राप्त किया? वह बिना documents के उबर के साथ कैसे पंजीकृत हुआ? उसका payment कैसे हो रहा है? उसके पास बैंक खाता होना चाहिए? खाता खोलने के लिए भी उसने कुछ डॉक्यूमेंट जमा किया होगा?

https://twitter.com/prabhatkumar76/status/1215127314234691585?s=20

तब इस पत्रकार ने लोगों को “right-wing nincompoops” से संबोधित कर यह कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस या पैन-कार्ड जैसे documents NRC के लिए स्वीकार्य नहीं है।

उनके इस टिप्पणी से यह सवाल उठता है कि अगर NRC में ड्राइविंग लाइसेंस नहीं भी चाहिए हो, तो driving के लिए तो ये चाहिए ही। किसी ड्राईवर के पास इसका होना अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा सवाल यह भी कि पाठक को यह कैसे पता चला कि कौन-कौन से documents आवश्यक हैं, क्योंकि अभी NRC के नियम-कानून तो ड्राफ्ट ही नहीं हुये हैं। इससे तो यही साबित होता है कि अंकुर या तो बेवकूफ हैं या लोगों को सच नहीं बताना चाहते है और भारत-विरोधी एजेंडे को चलाने के लिए लोगों को बेवकूफ समझते हैं। Uber को ऐसे एजेंडावादी पत्रकार के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेना ही चाहिए।

 

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