बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण एक बार फिर सुर्खियों में हैं, पर इस बार गलत कारणों से। उन्होंने जेएनयू में हुई हिंसा के विरोध में विद्यार्थियों द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया जिस वजह से वो कल शाम से ही चर्चा में बनी हुईं हैं। मंगलवार रात से ही इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कारण ट्विटर पर एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल पर आधारित उनकी आगामी फिल्म ‘छपाक’ को बॉयकॉट करने की मांग ट्रेंड में है।
https://twitter.com/Being_Vinita/status/1214784981156814854
"Deepika’s stand is going to make a lot of young people question their parents, their peers and their government," Vikramaditya Motwane said.#DeepikaPadukone https://t.co/a1WJ30P69t
— News18.com (@news18dotcom) January 8, 2020
दरअसल, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में मंगलवार देर शाम आंदोलनकारियों छात्रों के बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का पहुंचना सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर मुद्दा बन गया। #boycottchhapaak हैशटैग सुबह से ट्विटर पर लगातार टॉप ट्रेंड में बना हुआ है। ‘छपाक’ दीपिका की अगली फिल्म है, जो शुक्रवार को रिलीज हो रही है। वहीं दूसरी ओर दीपिका के जेएनयू के आन्दोलनकारी छात्रों के समर्थन में जाने से कुछ लोग #ChhapakDekhoTapaakSe हैशटैग ट्रेंड करवा रहे हैं।
Deepika Padukone made a film based on a social issue!
Now to gain publicity and to please Bollywood bigwigs
she is supporting anti nationals!Out of 789 universities and hundreds of issue to be addressed in India,
she chose JNU!Hypocrisy at its best#boycottchhapaak
— Mahesh Vikram Hegde 🇮🇳( Modi Ka Parivar ) (@mvmeet) January 8, 2020
Dear @deepikapadukone ji congratulations & see, the trend is getting started. #boycottchhapaak pic.twitter.com/soGogtMtpJ
— Pramod Kumar (@pkkushwah007) January 8, 2020
दीपिका पादुकोण जेएनयू में हिंसा के खिलाफ आंदलोन पर बैठे छात्रों से मिलीं और वहां 10 मिनट तक रुकने के बाद निकल गईं। इस दौरान उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। दीपिका जब जेएनयू में थीं तब सीपीआई नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी वहीं मौजूद थे। दीपिका ने जेएनयू से निकलने से पहले वाम छात्र संगठनों के कुछ सदस्यों से बात भी की। दीपिका पादुकोण के इस रुख को लेकर एबीवीपी के समर्थक उनसे नाराज हो गये। इन सभी का तर्क है कि अगर उन्हें हिंसा के खिलाफ समर्थन देना था तो फिर हिंसा के शिकार एबीवीपी के छात्रों से भी मिलना चाहिए था।
अब इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, आपको बता दें कि हम #boycottchhapaak करने के ट्रेंड का समर्थन नहीं करते हैं, परंतु जो दीपिका पादुकोण ने किया है, वो क्षमा योग्य भी नहीं है। जब देश में कुछ मुद्दों को लेकर ध्रुवीकरण का माहौल बना हुआ हो, तब बिना सोचे समझे एक पक्ष का ही समर्थन करना असंवेदशील रुख को दर्शाता है।
पूरे देश में पिछले कुछ समय से ध्रुवीकरण का माहौल बना हुआ है। चाहे जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो, या फिर धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यकों को न्याय देने हेतु सीएए को पारित कराना हो, या फिर राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्ग ही क्यों न प्रशस्त करवाना हो, पूरा देश इन मुद्दों को लेकर स्पष्ट रूप से दो गुटों में बंटा हुआ सा दिखाई दे रहा है: एक वो जो 370, सीएए जैसे मुद्दों का विरोध करते हैं, और दूसरे जो इसका समर्थन करते हैं।
ऐसे समय में दीपिका पादुकोण यदि अपनी फिल्म का प्रोमोशन कर भी ही रही थीं तो उन्हें कम से कम ये सुनिश्चित करना चाहिए था कि वे एक परिपक्व पक्ष रखें, या कम से कम विराट कोहली की तरह ये कह दें कि जब विषय पर ज्ञान, तभी हमें बोलने को क्यों बाध्य किया जाये? परंतु ऐसा न कर उन्होंने न केवल अपना पक्षपाती रुख उजागर किया, अपितु उन्होंने अपनी ही फिल्म के मूल विषय के साथ घोर अन्याय भी किया है।
बॉयकॉट छपाक का ट्रेंड दीपिका के लिए कम, और फिल्म के मूल विषय के लिए ज़्यादा हानिकारक है। ये फिल्म एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल पर आधारित है जिसने इस भीषण हमले के बाद भी न्याय की लड़ाई लड़ी, और अन्य पीड़ित महिलाओं के लिए भी आवाज बनी। दीपिका पादुकोण का पीआर स्टंट भले ही सफल हो गया हो और वो सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल्स में चर्चा का विषय बन गयी हों, परन्तु इस तरह के कदम से इस एक्ट्रेस ने वास्तविक पीड़िता का अपमान किया है और अपने असवेंदनशील रुख को दर्शाया है ।
इस फिल्म के जरिये लक्ष्मी की कहानी देश के हर वर्ग तक पहुंचती और लोग मदद के लिए सामने आते। एक एसिड अटैक के जीवन की वास्तविक लड़ाई पर आधारित कहानी सभी तक पहुंचनी आवश्यक है, परन्तु दीपिका पादुकोण ने गुट को बेहद निराश किया है। फिल्म के रिलीज़ होने से दो दिन पहले दीपिका पादुकोण के इस कदम से नाराज लोग छपाक को न देखने की बात कर रहे हैं जिससे वास्तविक पीड़िता की कहानी को वो महत्व नहीं मिल सकेगा जिसकी वो हकदार है। ये बेहद शर्मनाक है कि दीपिका पादुकोण ने पीआर स्टंट के लिए एसिड अटैक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित फिल्म का मजाक बनाकर रख दिया है।