देश के 20 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) ने मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय से अपने संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति को आरक्षण से छूट देने का अनुरोध किया है। देश के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन संस्थानों में शामिल आईआईएम में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नहीं दिया जाता है। पिछले वर्ष नवंबर माह में एचआरडी मंत्रालय ने इन संस्थानों में आरक्षण लागू करने को कहा था।
All 20 IIMs request HRD Ministry for exemption from providing quota in teaching positions: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) January 1, 2020
दरअसल, मंत्रालय की तरफ से आईआईएम को शिक्षक पदों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए कहा गया है। इसके बाद सभी IIM ने मिलकर मंत्रालय को चिठ्ठी लिखी और शिक्षकों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं करने को कहा है। अधिकारियों के मुताबिक, आईआईएम ने यह भी कहा कि वे निष्पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया का पालन करते हैं और इसमें समाज के वंचित तबके समेत सभी को समान अवसर दिया जाता है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सप्ताह, इन 20 आईआईएम ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से The Central Educational Institutions (Reservation In Teachers’ Cadre) Act, 2019 की Section 4 में उल्लिखित “Institutions Of Excellence” की सूची में जोड़ने का अनुरोध किया था जिससे इन संस्थानों को प्रोफेसरों की नियुक्ति में आरक्षण न लागू करना पड़े।
बता दें कि 9 जुलाई 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद लागू इस कानून के section 4 के अनुसार Institutions Of Excellence, Research Institutions, Institutions Of National And Strategic Importance के संस्थानों और minority institutions में शिक्षकों या प्रोफेसरों की नियुक्ति में आरक्षण नहीं लागू होता है।
वर्तमान में, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, नॉर्थ-ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान और इसकी सभी 10 यूनिट इस कानून की धारा 4 के अंतर्गत आती हैं।
आईआईएम अभी तक उस नीति का अनुपालन करता है जिसमें 1975 से वैज्ञानिक और तकनीकी पदों को आरक्षण नीति से छूट प्रदान की जाती है। इससे आईआईएम के प्रदर्शन पर भी काफी अच्छा प्रभाव देखने को मिलता रहा है।
हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स की लेटेस्ट मास्टर्स इन मैनेजमेंट 2019 रैंकिंग जारी की थी जिसमें आईआईएम के प्रदर्शन को देखकर आप भी कहेंगे की उसकी मांग जायज है। इस रिपोर्ट में भारत के पांच बिजनस स्कूलों को एफटी रैंकिंग में लिस्ट किया गया है जिनमें टॉप पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कलकत्ता था। वैसे आईआईएम, कलकत्ता को वैश्विक स्तर पर 17वीं रैंक मिली है। क्यूएस ग्लोबल एमबीए रैंकिंग (QS Global MBA Ranking 2020) की टॉप 50 की सूची में दो भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIMs) शामिल हैं। आईआईएम अहमदाबाद (IIM A) एशिया की रैंकिंग में छठे और आईआईएम बंगलूरू (IIM B) आठवें स्थान पर है। वहीं वैश्विक स्तर पर आईआईएम अहमादाबाद 40वें और आईआईएम बंगलूरू 44वें स्थान पर रहा था।
IIM ने सरकार को पत्र लिख कर यह जाता दिया है कि वो क्वालिटी में तनिक भी समझौता करने को तैयार नहीं है और इसलिए शिक्षा को अरक्षण से दूर रखना ही सही रहेगा। अब यह देखना होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है।