बीते शुक्रवार को गुजरात के डांग जिले में वर्ली जनजातीय समुदाय के 144 लोगों ने ईसाई धर्म को छोड़कर वापस हिन्दू धर्म को अपना लिया। जिले के भोगड़िया गाँव में विश्व हिन्दू परिषद के साथ मिलकर साध्वी यशोदा दीदी ने इन सभी लोगों की ‘घर वापसी’ करवाई। यशोदा ने मीडिया को बताया “इन सब लोगों को आज से पाँच साल पहले लालच देकर ईसाई धर्म में धर्मांतरित कर दिया था, लेकिन इन्होंने हमसे संपर्क कर हमें बताया कि ये लोग इस धर्म से संतुष्ट नहीं हैं”। उन्होंने आगे कहा “चूंकि ये सब लोग दोबारा हिन्दू धर्म को अपनाना चाहते थे, तो हमने इनकी घर वापसी करवाई है।
इन लोगों के दुख को देखकर यह समझा जा सकता है कि देश में ईसाई मिशनरी लोगों को ईसाई धर्म में धर्मांतरित करने के लिए किस तरह छोटे-मोटे लालच देते हैं, लेकिन इन लोगों के धर्म में बदलाव आने के अलावा इनके जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं आता है। इसलिए ये लोग गरीबी की वजह से इन ईसाई मिशनरियों के बहकावे में आकर अपना धर्म बदल लेते हैं और बाद में इनके हाथ कुछ नहीं लगता है। पीड़ित होने की वजह से ये लोग दोबारा हिन्दू धर्म में आने की कोशिश करते हैं। ऐसा ही एक और उदाहरण हमें दिसंबर 2018 में भी देखने को मिला था
तब गुजरात के वलसाड जिले के कपराडा तालुका में विराट हिंदू धर्म जागरण संस्थान का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए 200 से अधिक आदिवासी परिवारों ने घर वापसी की थी और उन्होंने पुन: हिंदू धर्म अपना लिया था। उल्लेखनीय है कि यह सम्मेलन स्वामीनारायण ज्ञानपीठ संस्थान द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख संत मौजूद थे।
तब स्वामीनारायण संप्रदाय के संतों ने कहा था कि “भांति-भांति लालच और अलग-अलग प्रलोभन देकर निर्मल और निर्दोष लोगों को गुमराह करके ईसाई बना दिया गया था। अब सारे लोग हिन्दू धर्म में ही रहने की इच्छा रखते हैं। इनसे उम्मीद करते हैं कि ये किसी और के बहाकावे में नहीं आएंगे। कपराड़ा में ईसाई मिशनरीज द्वारा आदिवासियों के धर्म परिवर्तन कराने को लेकर अनेक बार विवाद हुआ और कई अनिच्छनीय घटना भी होती रहती है”।
खुद गुजरात के लोग भी इन ईसाई मिशनरियों से तंग आ चुके हैं और एक बार एक गाँव के लोगों ने तो अपने गाँव के बाहर साइन बोर्ड पर यह तक लिख दिया था कि यहाँ इसाइयों का प्रवेश करना मना है। नवसारी जिला के गणदेवा गांव में हिंदू आदिवासी समुदाय के लोगों ने गुजराती में लिखा एक बैनर लगा दिया था, जिसमें लिखा है कि धर्मांतरण करने वाले ईसाई गांव में नहीं घुसें।
गांव के बाहर टंगे एक बैनर पर लिखा था ”ईसाई धर्म के तमाम भाई-बहन गणदेवा के हरिपुरा मोहल्ले में प्रवेश ना करें।” गांव के उपसरपंच जयंती मिस्त्री का कहना है,” गांव में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार से स्थानीय हिंदू परेशान हैं। आज की तारीख में यहां 900 से ज्यादा ईसाई हैं। गांव में 70 परिवार हैं जिनमें से 12 परिवार ईसाई बन चुके हैं। हर रविवार को पड़ोसी जिलों से ईसाई पादरी आते हैं और ईसाई धर्म का प्रवचन देते हैं। ये लोग लोगों को बहला-फुसलाकर उनका धर्मांतरण कराते हैं।”
स्पष्ट है कि ईसाई मिशनरी ऐसे ही लोगों को बहला-फुसलाकर ईसाई धर्म में धर्मांतरित कर देते हैं और बाद में मासूम लोगों को प्रताड़ित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। हालांकि, ऐसे लोगों को वापस हिन्दू धर्म में शामिल करने की तमाम कोशिशों की सराहना की जानी चाहिए।