CAA का विरोध कर रही कई कांग्रेस राज्य सरकारों को कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेताओं ने बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि कोई भी राज्य नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने से इनकार नहीं कर सकता। केरल लिट्रेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन शनिवार को कोझिकोड में उन्होंने कहा कि संसद में पास होने के बाद राज्य अगर कानून लागू करने से इनकार करते हैं, तो यह असंवैधानिक होगा। बता दें कि पहले बंगाल, राजस्थान, केरल, पुड्डुचेरी, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की सरकारें पहले ही CAA को लागू नहीं करने की बात कह चुकी हैं।
#WATCH Senior Congress leader Kapil Sibal in Kozhikode, Kerala: Constitutionally, it will be difficult for any state government to say that 'I will not follow a law passed by Parliament'. #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/tNeSt5h0e5
— ANI (@ANI) January 18, 2020
कपिल सिब्बल के अलावा कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद भी यह संकेत दे चुके हैं कि किसी के पास इस कानून को मानने के अलावा कोई और चारा नहीं बचता। सलमान खुर्शीद ने कहा कि “सीएए की संवैधानिक स्थिति संदेहास्पद है। अगर सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया तो वह कानून की किताब में कायम रहेगा और अगर कुछ कानून की किताब में है तो उसे सभी को मानना होगा”।
इसके अलावा जयराम रमेश ने भी आरिफ़ मोहम्मद खान के उस बयान से सहमति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी राज्यों को CAA लागू करना ही होगा।
इन वरिष्ठ नेताओं के बयान ऐसे समय में आए हैं जब हाल ही में पंजाब विधानसभा ने CAA के विरोध में एक प्रस्ताव पास किया था। इससे पहले केरल की विधानसभा भी ऐसा ही प्रस्ताव पास कर चुकी है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तो इस कानून पर बोलते हुए केंद्र सरकार पर हिटलरशाही करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था “आप हिटलर की जीवनी निकाल कर पढ़ लीजिए, जो हिटलर के शासन में उस वक्त हो रहा था… वहीं आज हमारे देश में हो रहा है”।
अब कपिल सिब्बल ने ऐसे नेताओं को नसीहत देते हुए कहा है कि अगर वे इस कानून को लागू नहीं करते हैं, तो उनके लिए अधिक समस्या पैदा हो सकती हैं। कपिल सिब्बल ने कहा था “जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है”।
हालांकि, पार्टी के दबाव में उन्होंने अपना बयान बदल लिया पर सच तो सच होता है, और कपिल सिब्बल का यह बयान उन सभी नेताओं के लिए सबक है जो CAA के खिलाफ एजेंडा चला रहे हैं और इसे अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं करने की बात कर रहे हैं।
अभी तक कांग्रेस, शिवसेना, टीएमसी और सीपीएम शासित राज्य इस कानून को लागू करने से मना कर चुके हैं। इन सबको भी पता है कि इनके विरोध करने से इस कानून पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला, लेकिन फिर भी ये अपनी राजनीति को साधने और एक खास वर्ग के लोगों को खुश करने के लिए आए दिन ऐसे बेतुके बयान देते रहते हैं। अब कपिल सिब्बल का बयान ऐसे ही लोगों के लिए सबक है।