वर्ष 1347 का अक्टूबर महीना था। इस वक्त में यूरोप का मौसम अपनी खूबसूरती के चरम पर था। काले समुद्र से लंबी दूरी तय कर एक दर्जन व्यापारिक जहाज सिसिली बंदरगाह पहुंचे थे। एक दर्जन जहाज के आने से बंदरगाह पर काफी गहमागहमी थी। काफी संख्या में लोग जहाज का स्वागत करने के लिए समुद्र के किनारे इकट्ठा हुए थे।
जहाज किनारे तो लगे, लेकिन कोई व्यक्ति बाहर नहीं निकला। पहले तो लोगों को कुछ समझ में नहीं आया लेकिन फिर कुछ देर बाद जब वे खुद जहाज पर चढ़े, तो उनके होश उड़ गए। उनके सामने जो दृश्य थे वो दिल दहला देने के लिए काफी था। जहाजों में चरो तरफ लाशें ही दिख रही थी और लाशों के बीच कुछ लोग जिंदा तो थे लेकिन वो भी अपनी आखरी सांसें गिन रहे थे।
दरअसल, ये मौतें प्लेग के कारण हुई थीं। जहाज पर सवार होकर आयी यह महामारी धीरे-धीरे यूरोप के कई हिस्सों में फैल गयी थी और वहां की आधी आबादी को खत्म कर दिया जो ब्लैक डेथ के नाम से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई।
आज जब जापान के योकोहामा बंदरगाह पर रुके लग्जरी क्रूज लाइनर जहाज में कई लोगों के कोरोना वायरस होने की पुष्टि हुई है तब से उसी ब्लैक डेथ का डर सभी के दिमाग में चल रहा होगा। इस क्रूज में कई भारतीय भी फंसे है। एक क्रू मेंबर ने अपने कुछ साथियों के साथ एक वीडियो रिकॉर्ड किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र से मदद की गुहार लगाते हुए देखा जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डायमंड प्रिंसेस नाम के इस क्रूज लाइनर में 66 और लोगों के कोरोना वायरस से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है। एक दिन पहले तक जहाज के 71 लोग में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी।
3,711 लोगों को ले जा रहा यह जहाज पिछले हफ्ते जापान के तट पर पहुंचा था। हॉन्ग कॉन्ग में इस जहाज से उतरने वाले यात्री में कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद जापान ने जहाज से लोगों के उतरने पर रोक लगा दी थी। तभी से क्रूज डायमंड प्रिंसेज को अलग रखा गया है। क्रूज पर सवार लोग बुरी तरह फंसे हुए हैं। वायरस जिस तेजी के साथ इस पर सवार लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है उसके संक्रमण से अब तक बचे भारतीयों के लिए खतरा बढ़ गया है।
अगर इतिहास को देखा जाए तो ये पानी के जहाज से बीमारियों को एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर महामारी का रूप लेते पढ़ा जा सकता है। क्रूज जहाज किसी भी वायरल महामारी के फैलने का सबसे संवेदनशील माध्यम होते हैं। विश्व के विभिन्न देशों के यात्री इस तरह के क्रूज जहाजों पर यात्रा करते हैं जिससे वैश्विक स्तर पर इन वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या खतरनाक स्तर से बढ़ने का खतरा रहता है। इसी डायमंड प्रिंसेस को ही लीजिए जिस पर 56 अलग-अलग देशों के लोग इस क्रूज़ेड जहाज पर सवार हैं।
इतिहास गवाह है कि इस तरह के जहाज किसी भी संक्रमण को फैलाने में सबसे बड़े दोषी रहे हैं। ब्लैक डैथ यानि प्लेग ने यूरोप में फैलने के बाद आधी आबादी से अधिक की जान ली थी। 15वीं और 16वीं शताब्दी में इसी तरह कोलंबस के अमेरिका जाने के बाद यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और अमेरिका के बीच हुए आदान-प्रदान भी जहाज से ही हुई थी। कोलंबस के नाम पर ही इन आदान-प्रदान को कोलंबियाई आदान-प्रदान या कोलंबियन एक्स्चेंज का नाम दिया गया था। इस दौरान पौधों, जानवरों, संस्कृति, मानव आबादी, प्रौद्योगिकी, और सबसे महत्वपूर्ण बीमारियों का आदान प्रदान हुआ था।
बीमारियों में measles, smallpox, influenza, mumps, typhus, bubonic plague, chickenpox, cholera, the common cold, scarlet fever, typhoid, tuberculosis, pertussis, sexually transmitted diseases और खांसी सहित कई बीमारियां उत्तरी अमेरिका में इस कोलंबियन एक्स्चेंज के दौरान लाई गईं। इन बीमारियों ने अमरीकी आबादी का भविष्य ही समाप्त कर दिया और एक चौथाई से आधी आबादी इन बीमारियों के चपेट में आकार काल के गाल में समा गईं। इससे अमेरिका में मजदूरों की भयंकर कमी आ गई और इसी कमी से अफ्रीका से slave यानि दास लाने की प्रथा शुरू हुई। यूरोप से बीमारी ले कर आए लोग सीधे अमेरिका के मूल निवासी के संपर्क में आए और फिर ऐसे ही बीमारियों का संक्रमण पूरे अमेरिका में फैल गया। हालांकि यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उन बीमारियों से कितनी मौतें हुई थीं लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार इन महामारियों ने अमेरिका के मूल निवासियों की 80 प्रतिशत आबादी को समाप्त कर दिया था। हालांकि यह कोलंबियन एक्स्चेंज एकतरफा रहा था लेकिन कुछ लोगों द्वारा यह भी तर्क दिया जाता है कि अमेरिका की भी कुछ बीमारियां जैसे venereal syphilis यूरोप में फैली।
इसी तरह यूरोप से ही small pox यानि चेचक ऑस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीप पर भी फैला। चेचक ने मूल आबादी को तबाह कर डाला और पूर्वी तट पर लगभग 50% तटीय मूल आबादी को ही समाप्त कर दिया।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी महामारी के जानलेवा बनने में समुद्री जहाज सबसे बड़े कारण हैं। इसी इस संदर्भ में जापान के योकोहामा बन्दरगाह पर डायमंड प्रिंसेस के कोरोना वायरस के चपेट में आने से सभी देश सकते में हैं।
हालांकि जापान ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस डायमंड प्रिंसेज क्रूज जहाज को अलग रखा है। परंतु उन यात्रियों में से एक यात्री भी अपने देश को संक्रमण के साथ जाता है तो पहले देश और फिर महाद्वीप तबाह हो सकता है। भारत को चाहिए कि अफले अपने यात्रियों के चिकित्सा के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई करे फिर उन्हें वापस बुलाए।