कल बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री ने अनेक घोषणा की जिसमें से टैक्स कटौती और LIC का हिस्सा बेचने का फैसला था। परंतु देश की सुरक्षा दृष्टि से देखा जाए तो वित्त मंत्री का रणनीतिक राजमार्गों के विकास की घोषणा सबसे अहम थी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार आने वाले सालों में 2 हज़ार किलोमीटर रणनीतिक राजमार्ग का निर्माण करेगी। इन सड़कों को बॉर्डर इलाकों पर सेना की आसान आवाजाही के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा।
यह तो सभी को पता है कि देश के बार्डर इलाकों में रोड या राजमार्ग न होने से सेना और बार्डर की सुरक्षाकर्मियों को कितनी परेशानी होती है। इसके साथ ही एक अच्छा राजमार्ग न होने से पड़ोसी देश अतिक्रमण भी करता आया है। इसी से निपटने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है।
यही नहीं वित्त मंत्री ने इंफ्रास्ट्रक्चर में ग्रोथ के लिए 2500 किमी का एक्सप्रेस हाईवे, और 9 हजार किमी का इकोनॉमिक कॉरिडोर भी बनाने का फैसला लिया है। फाइनेंस मिनिस्टर ने संसद में सेंट्रल बजट 2020-21 पेश करते हुए कहा कि इसके अलावा तटवर्ती इलाकों में 2,000 किमी की सड़कों तथा इतनी ही लंबाई के स्ट्रेटजिक नेशनल हाईवे का निर्माण किया जाएगा।
केन्द्रीय बजट 2020-21 पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राजमार्गों का तेजी से विकास किया जाएगा। इनमें 2500 किलोमीटर का एसेस-कंट्रोल्ड राजमार्ग, आर्थिक गलियारों (9000 किलोमीटर), तटीय और बंदरगाह तक जाने वाली सड़कों (2000 किलोमीटर) तथा रणनीतिक राजमार्गों (2000 किलोमीटर) के निर्माण शामिल हैं।। दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे और अन्य एक्सप्रेस-वे को 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। चेन्नई-बैंगलुरु एक्सप्रेस-वे को भी शुरू किया जाएगा। 2024 से पहले कुल 6000 किलोमीटर की लम्बाई वाले 12 राजमार्ग समूहों के मुद्रीकरण का प्रस्ताव दिया गया है। फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे 3 साल में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा 2 और एक्सप्रेस हाईवे परियोजनाएं भी 3 साल के समय में पूरी हो जाएंगी।
बता दें कि शुक्रवार को पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में नेशनल हाईवे सेक्टर में साल 2024-25 तक 19.63 लाख करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट की जरूरत बताई गई थी। इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार एक मार्च 2019 तक देश में 59.64 लाख किमी की सड़कें थीं इसमें से नेशनल हाईवे महज 1.32 लाख किमी थे।
अभी तक भारत-चीन बॉर्डर पर चीन की तरफ के इन्फ्रास्ट्रक्चर और वहां के बेहतर रोड संपर्क के सामने भारत काफी पीछे रहा है। हालांकि, अब भी यह अंतर है लेकिन काफी हद तक संपर्क में सुधार हुआ है। इन रणनीतिक हाइवे के बनने से न सिर्फ उन इलाकों में रहने वाले लोगों को सुविधा होगी, बल्कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सैनिक तुरंत पहुंच और वहां से लौट सकेंगे।
पिछले साल, सरकार ने भारत-चीन सीमा के पास 44 रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ‘सड़कों के निर्माण को मंजूरी दे दी थी और पाकिस्तान की सीमा वाले क्षेत्रों में 21 किमी axial और lateral सड़कों का निर्माण किया था।
केंद्रीय राज्य मंत्री (रक्षा), श्रीपद नाइक ने भी पिछले साल यह बताया था कि बीआरओ ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ रणनीतिक क्षेत्रों में 2,000 किमी से अधिक सड़कों के निर्माण को पूरा किया है। नाइक ने बताया था कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 61 सड़कों में से, 2304.65 किलोमीटर की दूरी पर काम पूरा हो चुका था।
बता दें कि मोदी सरकार ने 2015 से 2018 के बीच सीमा क्षेत्रों में सड़क बुनियादी ढांचे को विकसित करने में 1,900 करोड़ रुपये खर्च किए।
तवांग सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बेहद अहम है। चीन भी तवांग पर अपना दावा जताता रहा है। यहां की करीब 50 हजार की आबादी और भारतीय फौज के लिए देश के दूसरे हिस्से से रोड कनेक्टिविटी का एक मात्र रास्ता सेला पास के जरिए है। सेला पास तवांग की लाइफ लाइन है। लेकिन सर्दियों में इसके बंद होने पर तवांग और LAC पर तैनात लोग पूरी तरह देश के दूसरे हिस्सों से कट जाते हैं। इस वजह से ऐसे क्षेत्रों में हाइवे बनना अतिआवश्यक है जिससे अगर चीन 1962 की तरह कुछ अप्रतायशित करे तो उसे करारा जवाब दिया जा सके।
इसलिए यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने रणनीतिक राजमार्गों के विकास पर विशेष ध्यान दिया है, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों को शेष भारत से जोड़ने से ही बार्डर एरिया को सुरक्षित रखा जा सकता है।