चीन दुनिया के सबसे नियंत्रित देशों में से एक है जहां के लोगों पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध हैं। इंटरनेट पर भी सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और ट्विटर पर प्रतिबंध है। इस वजह से उस देश में क्या हो रहा है यह जानना मुश्किल है। जनता सरकार से अपना विरोध व्यक्त नहीं कर सकती, अगर किया तो उसके परिणाम भयानक होते हैं। पर चीन दुनिया के सामने अपनी छवि साफ सुथरी रखने के लिए कई हथकंडे अपनाता है। उन्हीं हथकंडों में से एक है शीर्ष अधिकारियों की ट्विटर जैसे प्लेटफार्म पर उपस्थिती। इन सोशल मीडिया पर ये अधिकारी चीनी सरकार की बात रखते हैं जिसका उद्देश्य चीन विरोधी तत्वों को जवाब देना था परन्तु यह कदम चीन पर ही भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है।
दरअसल, चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने नागरिकों के लिए ट्विटर तो बैन कर रखा है लेकिन अपनी छवि को बेदाग बनाए रखने के लिए अपने शीर्ष अधियाकरियों को इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने की छुट दे रखी है। इन अधिकारियों के माध्यम से चीन की सरकार यह सुनिश्चित करती है कि China के बारे में कोई गलत खबर ना फैला सके। हालांकि, यह कदम चीन के अधिकारियों पर ही भारी पड़ रहा है।
दरअसल, चीन के अधिकारियों को ट्विटर अच्छे से चलाना नहीं आता है जिस वजह से इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उन्हें खासा ट्रोलिंग झेलनी पड़ रही है। सामान्यतः चीन में सरकार से सवाल करना मना है और जो सवाल करता है वो या तो गायब हो जाता है, या फिर उसे कड़े परिणाम भुगतने पड़ते हैं। पर ट्विटर Wechat या Weibo नहीं है और न ही ये China की सरकार के नियंत्रण में है इसी वजह से इन चीनी अधिकारियों को विश्व भर के लोग चीनी की नीतियों को लेकर खूब ट्रोल करते हैं।
आज के दौर में हाँग-काँग से लेकर ताइवान और शिंजियांग में उइगर मुसलमानों के साथ बर्ताव से लेकर कोरोना वायरस जैसे मामलों में चीन विश्व के सामने एक्सपोज होता जा रहा है। इस वजह से चीन को अपनी वैश्विक छवि बचाने के लिए ट्विटर जैसे प्लैटफ़ार्म का सहारा लेना पड़ रहा है। परंतु अब उन्हें यह अहसास हो रहा है कि ट्विटर पर वे कॉमेंट और पब्लिक ओपिनियन को सेंसर नहीं कर सकते हैं। लोग चीनी डिप्लोमेट के ट्वीट के नीचे अपने विरोधी ओपिनियन कॉमेंट करते हैं और उन्हें ट्रोल भी करते हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने पिछले वर्ष ही ट्विटर जॉइन किया था और उनके अभी तक 62 हजार से अधिक फॉलोअर हो चुके हैं। कुछ ही दिनों पहले उन्होंने ट्विटर पर एक ऐसे पोस्ट को लाइक कर दिया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिंपिंग को हटाने की बात कही गयी थी।
बता दें कि चीनी अधिकारी कोरियन pop के एक गायक के पीछे पड़े थे जिसने हाँगकाँग प्रोटेस्ट से जुड़ा एक ट्वीट को लाइक किया था। उस दृष्टि से देखे तो इस चीनी प्रवक्ता ने अक्षम्य अपराध कर दिया है। उनके इस लाइक से उनकी खूब ट्रोलिंग हुई। एक बार तो चीनी डिप्लोमेट को racist disgrace कह दिया गया था।
इससे तो यही पता चलता है कि चीन के नागरिकों की तुलना में ये अधिकारी अधिक स्वतंत्रता से रहते हैं लेकिन इन्हें ट्विटर के Dos and Don’ts Dos नहीं पता है।
कुल मिलाकर कहें तो चीन में भी चीनी अधकरियों के ट्विटर इस्तेमाल करने को लेकर किया जा रहा प्रोपेगेंडा backfire कर रहा है। Weibo पर लोगों ने इस तरह के भेदभाव के खिलाफ खूब लिखा है। उनका मानना है कि चीनी सरकार उनके अभिव्यक्ति की आजादी को रोक रही है।
इस तरह से देखें तो चीनी अधिकारी न सिर्फ ट्विटर पर ट्रोल हो रहे हैं बल्कि अपने देश में भी ट्रोल ही हो रहे है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार विश्व से संवाद तो करना चाहती है लेकिन अपने नागरिकों पर प्रतिबंध लगा कर और यही उनपर भारी पड़ रहा हैं। वास्तव में इन अधिकरियों को अब पता चल रहा है कि वास्तविक दुनिया कैसी है और यहाँ हर दिन हर फैसले पर किस तरह की प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ता है।