चीन में जैसे-जैसे कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे चीन की अर्थव्यवस्था भी नीचे जा रही है। चीन के स्टॉक मार्केट ने सोमवार को पिछले पाँच वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट देखी। China की स्टॉक मार्केट का इंडेक्स Shanghai Composite Index में 8.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी। हालांकि, China में यह त्योहारों का मौसम है और इसी सीजन में न्यू इयर भी मनाया जाता है। इस वजह से आम तौर पर इस मौसम में चीन के बाज़ारों में रौनक देखने को मिलती है और व्यापार कई गुना बढ़ जाता है। परंतु इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण सभी लोग अपने घर में बैठे हैं और कोई भी बाहर जा कर इस वायरस के डर से खरीददारी नहीं कर रहा है।
सिर्फ Shanghai Composite Index ही नहीं बल्कि Shenzhen Composite index में भी 9.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी। चीन के लगभग सभी बड़े शहरों में लॉकडाउन है और सभी manufacturing काम ठप पड़ा है। इस लॉकडाउन के कारण विश्व का सप्लाइ चेन भी प्रभावित हुआ है क्योंकि यह सभी को पता है कि चीन विश्व के लिए फ़ैक्टरी की तरह है।
विश्व की अर्थव्यवस्था पहले से ही स्लोडाउन से गुजर रही है और अब कोरोना वायरस के कारण इसे और नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई एक्स्पर्ट्स का मानना है कि इस कोरोना वायरस से चीन को अकेले 60 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा। चीन की सरकार ने पहले ही कोरोना वायरस से होने वाले स्लो डाउन से निपटने के लिए 12.6 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा कर चुकी है।
China के शटडाउन को देखते हुए, चीनी अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी देशों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में शेयर बाजार में भी 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज किया गया, जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी घाटे में हैं। China का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश सऊदी अरब चीन में लॉकडाउन झेल रहा है, जिससे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। चीन तेल का सबसे बड़ा आयातक है और प्राकृतिक गैस के बढ़ते प्रभाव ने भी ओपके देशों की आर्थिक संभावनाओं को कम किया है जिससे इन तेल निर्यातक देशों को घाटा उठाना पड़ रहा है।
बता दें कि China की अर्थव्यवस्था पहले से ही स्लो हो रही है। वर्ष 2019 में China ने अपने पिछले तीन दशकों में सबसे कम वृद्धि दर यानि 6.1 प्रतिशत दर्ज की है। इसके बाद अब कोरोना का प्रकोप के कारण, कर्ज में डूबते चीनी अर्थव्यवस्था को और खराब होने की उम्मीद है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन का हिस्सा पिछले कुछ दशकों में काफी तेजी से बढ़ा है, इस कारण चीन में यह मंदी वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी मंद कर देगा। Purchasing Power के संदर्भ में, चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 20 प्रतिशत के साथ अमेरिका से भी आगे है। बता दें कि वर्ष 2003 में, SARS नाम की एक महामारी पूरे चीन में फैल गई थी और इसके परिणामस्वरूप चीनी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ था। लेकिन, उस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन का हिस्सा बहुत कम था, इसी कारण उस दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था अधिक प्रभावित नहीं हुई थी।
लेकिन इस बार, वैश्विक अर्थव्यवस्था भी मंदी की मार झेलने वाली है क्योंकि चीन सबसे बड़ा उपभोक्ता देश होने के साथ-साथ goods and services के सबसे बड़े producers में से एक है।
इस तरह से देखे तो चीन global supply chain का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है। और Apple, , Boston Consulting Group, और Levi Strauss जैसी अमेरिकी कंपनियां पहले से ही कोरोना के प्रकोप से प्रभावित हो चुकी हैं। अमेरिका अपने पहले ही अपने वर्कर्स की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही हैं। अब तक China में वायरस से 14,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है। वहीं 20 से अधिक देशों ने कोरोना के मामले दर्ज किए हैं। और इसके बढ़ते प्रकोप को और वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन के महत्व को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि यह कोरोना वायरस विश्व को आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुंचाने वाला है।