IB ऑफिसर की मौत- क्या दिल्ली में एंटी हिंदू दंगा शांतिदूत कौम की गहरी साजिश है?

अंकित शर्मा, दिल्ली,

पिछले तीन दिनों से दिल्ली जल रही है और यह सभी को पता है कि जलाने वाले कौन हैं इसके बावजूद भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हर बार की तरह इस बार भी दंगों में अल्पसंख्यक वर्ग की भूमिका को ढकने के लिए लिबरल पत्रकार माइक लेकर सड़क पर उतर चुकें हैं। परंतु इन दंगों में जो सबसे हृदयविदारक घटना सामने आई वह है एक IB अफसर अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या और हत्या के बाद शव को नाले में फेंका जाना। यह हत्या दिल दहला देने वाली है क्योंकि शव लगभग 24 घंटे बाद मिला वो भी नाले में, तो यह सोच कर ही डर लगता है कि हत्या से पहले क्या हुआ होगा!

यह हत्या कई प्रकार के सवाल खड़ा करती है। एक खुफिया विभाग के अधिकारी की हत्या का क्या मतलब है? या तो इस अधिकारी को चांदबाग में हुए दंगे के बारे में सब पता था या फिर दंगाइयों को यह पता चल गया था था कि यह अधिकारी खुफिया विभाग का है। अगर दंगाइयों को यह पता चला तो कैसे पता चला। इसका अर्थ यह है कि सिस्टम में ही कोई ऐसा है जो इन दंगाइयों से ऐसे अधिकारियों की जानकारी शेयर कर रहा है। अगर ऐसा है तो देश की सुरक्षा को कितना बड़ा झटका लग सकता है यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।

अंकित शर्मा के बड़े भाई अंकुर ने बताया कि मंगलवार शाम को चार बजे वह घर लौटे थे। यहां चांद बाग पुलिया पर एक पार्षद के घर से लगातार फायरिंग हो रही थी। वह देखने के लिए वहां पहुंचे थे। इसी दौरान उपद्रवियों ने उन पर हमला कर दिया। अंकुर के मुताबिक शाम तक वह वापस नहीं लौटे तो तलाश शुरू की गई। रात भर अंकित को ढूंढते रहे। पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद बुधवार को शव मिला।

शुरुआती खबर और कई वीडियो से यह बात सामने आई है कि उस इलाके में दंगों के प्रमुख आरोपी आम आदमी पार्टी का पार्षद ताहिर हुसैन है। कई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि ताहिर हुसैन के घर से गोलियां चल रही थी। यही नहीं एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि ताहीर हुसैन के छत पर भीड़ जमा है और ऊपर से पेट्रोल और तेजाब बम फेंके जा रहे हैं।

अंकित शर्मा भी उसी इलाके में रहते थे। कई लोगों के बयान सामने आए हैं जिसमें वे यह स्वीकार रहें है कि ताहिर हुसैन के ही आदमी आए थे और अंकित शर्मा को उनके घर से ले गए। अंकित के घर वालों का कहना है कि आप के नेता के घर से लगातार गोलियां चल रही थी। उनके पास तलवारें और पेट्रोल बम भी थे। उनके लड़के अंकित शर्मा को खींच कर ले गए जबकि अंकित लोगों को बचाने की कोशिश कर रहा था।”

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उस क्षेत्र के स्थानीय लोगों का कहना है कि अंकित के साथ 2 और लड़कों को वे खींच कर ले जा रहे थे। यही नहीं ताहिर हुसैन के छत से पेट्रोल और तेजाब बम के कई कैरेट भी बरामद हुए जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह सुनियोजित दंगा था।

हालांकि जिस तरह से माहौल तैयार किया जा रहा है उसका एक ही मकसद है कि इस दंगे को मुस्लिम विरोधी कहा जा सके। राणा, बरखा और राजदीप जैसे गिद्ध सोशल मीडिया पर अपना विष उगलना शुरू कर चुके हैं। परंतु सोशल मीडिया के जमाने में अगर झूठ जंगल के आग की तरह फैलता है तो सच्चाई भी उतनी ही तेज़ी से सामने आती है।

छत से पेट्रोल बम फेंका जाना और स्थानिय लोगों के बयान से स्पष्ट हो गया है कि यह किस तरह से प्लान किया हुआ और सुनियोजित दंगा था। अंकित शर्मा की हत्या ने कई सवाल खड़े किए हैं जिसका उत्तर ढूंढने पर कई लोग लपेटे में आ सकते हैं। यह किसी को नहीं भूलना चाहिए कि अंकित एक Intelligence Bureau के अधिकारी थे। एक खुफिया विभाग के अधिकारी की इस तरह बेरहमी से हत्या कोई आम बात नहीं है। आखिर क्यों दंगाइयों ने उन्हें पहचान कर हमला किया? क्या उनके पास इन दंगाइयों के खिलाफ जानकारी थी या उनके लिंक अंकित को पता चल चुका था?

पहले तो यह दंगा CAA विरोधी था लेकिन कब यह हिन्दू-मुस्लिम में बदल गया यह पता ही नहीं चला। या फिर पहले से यही प्लान था और इसे बाद में CAA विरोध का चोला पहनाया गया। अब कुछ पत्रकारों द्वारा इसे मुस्लिम विरोधी दंगा घोषित किए जाने की कोशिश की जा रही है।

यह किसी से छुपा नहीं है कि CAA विरोधी दंगों में PFI जैसे radical इस्लामिस्ट संगठन का हाथ है, जो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन SIMI का ही एक हिस्सा है।

यह ध्यान देने वाली बात यह है कि जब अंकित के हत्या की खबर आई तब पता चला कि वे एक IB अफसर थे। इससे यह भी साफ होता है कि उनके पहचान को किसी ने दंगाइयों के साथ शेयर किया, जिससे उन्हें टारगेट किया जा सके।

अगर ऐसा हुआ है तो यह सामान्य दंगाई तो नहीं कर सकता। इसके पीछे कहीं न कहीं किसी बड़ी मछ्ली का हाथ है। अंकित शर्मा की हत्या न सिर्फ मीडिया पर सवाल खड़ा करती है बल्कि आम आदमी पार्टी और PFI के संबंध की ओर भी इशारा करती है।

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