कल पीएम मोदी का असम में भव्य स्वागत हुआ। ऐतिहासिक बोडो समझौता होने के बाद पीएम मोदी राज्य में पहली बार पहुंचे थे, तो लोगों ने उनके सामने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। पीएम मोदी ने कल असम के कोकराझार में एक बड़ी रैली का भी आयोजन किया। इस रैली में उन्होंने एक बार फिर असम के लोगों को विश्वास दिलाया कि उनके राज्य में किसी बाहरी को आने नहीं दिया जाएगा और असम की संस्कृति को बचाने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। जिस असम में कल पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया था, ठीक उसी असम में पिछले महीने तक कुछ लोग पीएम मोदी को प्रवेश नहीं करने देने की बात कर रहे थे। दिसंबर में All Assam Students Union (AASU) ने चेतावनी जारी कर कहा था कि अगर पीएम मोदी 10 जनवरी को खेलो इंडिया का उदघाटन करने असम में आने की कोशिश करेंगे, तो वे उनका ‘भारी विरोध’ से स्वागत करेंगे। हालांकि, कल पीएम मोदी के दौरे के दौरान एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला।
असम के लोगों के बर्ताव में इस बड़े बदलाव का सबसे बड़ा कारण हाल ही में भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच फाइनल हुआ बोड़ा एकोर्ड है। दरअसल, ये समुदाय अपने हिस्से के लिए असम के एक बोडो-बहुल जिले को अलग राज्य ‘बोडोलैंड’ घोषित करने की मांग कर रहा था, जिसको लेकर सरकार और इस समुदाय के लोगों में तनाव चल रहा था। इतना ही नहीं, अपनी मांगें मनवाने के लिए बोडो समुदाय के लोगों ने हिंसा का रास्ता भी अपना लिया था, और इससे नॉर्थ ईस्ट में अलगाव की भावना को बढ़ावा मिल रहा था, लेकिन एक बोडो समझौते ने सब कुछ सही कर दिया है। इस एग्रीमेंट के अंतर्गत बोडो टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें बोडो संप्रदाय बहुल क्षेत्रों को वर्तमान BTAD [बोडो टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट] क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। बीटीएडी को बोडो टेरिटोरियल region का नाम दिया जाएगा। इसके अलावा बोडो भाषा को असम की राजकीय भाषा माना जाएगा।
समझौता होने के बाद ना सिर्फ बोडो समुदाय के लोगों में हर्षोल्लास है, बल्कि उन्होंने दिल खोलकर केंद्र सरकार को भी अपना लिया है। अब बोडो समुदाय के हजारों युवकों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला कर लिया है। यहाँ सबसे बड़ी बात ये है कि जो लोग इस समझौते के पक्ष में नहीं भी थे, उनको भी सरकार ने बातचीत का हिस्सा बनाया है और उनकी सभी मांगों को मानने का पूरा भरोसा दिया है। उदाहरण के तौर पर जब पीएम मोदी कल असम पहुंचे, तो उन्होंने बोडो एकोर्ड के खिलाफ खड़े लोगों के साथ मुलाक़ात कर यकीन दिलाया कि केंद्र सरकार इस महीने उनके साथ भी वार्ता करेगी।
पिछले महीने तक पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने कि बात कर रहे AASU ने कल किसी बंद का आव्हान नहीं किया। AASU ने इसपर कहा कि बोडो समुदाय के लोग भी असम का ही हिस्सा हैं और ऐसे में पीएम मोदी की यात्रा का विरोध कर वे अपने ही लोगों के जश्न में कोई बाधा नहीं डालना चाहते। AASU के इस बयान से ही समझा जा सकता है कि असम के लोग अब दिल खोलकर पीएम मोदी का स्वागत कर रहे हैं।
दिसंबर में असम के हालात बहुत खराब हो चुके थे। CAA के आने के बाद लोगों में भय फैल गया था कि सरकार अब इसके माध्यम से उनके राज्य में बाहरी लोगों को Settle करने की कोशिश कर रही है। यहाँ तक कि पीएम मोदी को भी दो बार असम राज्य का दौरा रद्द करना पड़ा।
#Breaking: Japan PM Abe may cancel his visit to India due to ongoing #CAB protests in Assam. His delegation members have already cancelled their Visa for India, Japanese media reports.
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) December 13, 2019
दिसंबर 15 से 17 के बीच असम में जापान के पीएम शिंजों आबे के साथ पीएम मोदी की मुलाक़ात होने वाली थी जिसे विरोध प्रदर्शनों के चलते रद्द कर दिया था, उसके बाद 10 जनवरी को पीएम मोदी को असम के गुवाहाटी में खेलो इंडिया का उदघाटन करना था, जो बाद में उनको रद्द करना पड़ा। हालांकि, अब जब पीएम मोदी असम गए, तो उनको सभी पक्षों के लोगों ने दिल से स्वीकार किया। यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार जनता के साथ मिलकर, उनकी मुश्किलों को समझकर किसी भी समस्या का हल निकालने में विश्वास रखती है। पीएम मोदी ने सही मायनों में देश में लोकतन्त्र को मजबूत करने का काम किया है।