एक समय पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और Tony Schwartz ने मिलकर एक पुस्तक लिखी थी – ‘द आर्ट ऑफ द डील’। इसमें डोनाल्ड ट्रम्प के सम्पूर्ण बिज़नेस करियर पर प्रकाश डाला गया है, और यह बताया है कि सफलतापूर्वक व्यापार कैसे किया जाये। हाल के कुछ निर्णयों को देखकर लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी उन्हीं की परिपाटी पर भी चल रहे हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पीएम मोदी राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं, जिसे डोनाल्ड ट्रम्प ने भी स्वीकारा है। हाल ही में सम्पन्न डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे में नरेंद्र मोदी ने सिद्ध कर दिया कि वे कैसे ट्रम्प के ही सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए उनसे दो कदम आगे निकल रहे हैं।
जब डोनाल्ड ट्रम्प भारत के दौरे पर आने वाले थे, तो उन्होंने उससे पहले ट्वीट करते हुए कहा, मैं अगले हफ्ते भारत जा रहा हूं और हम व्यापार पर बात करने वाले हैं। वह हमें कई सालों से बहुत बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। मैं पीएम मोदी का मुरीद हूँ, हम थोड़ी साधारण बातचीत करेंगे, थोड़ी व्यापार पर बातचीत करेंगे। यह हमें बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। भारत की ओर से आयात पर ऊंचे शुल्क लगाये जाते हैं।”
ऐसे में पीएम मोदी ने स्वयं डोनाल्ड ट्रम्प की गलतफहमियों को दूर करने का बीड़ा उठाते हुए अपने देश हित को सर्वोपरि रखने के लिए एक अहम निर्णय लिया। चूंकि भारत का अमेरिका के साथ ‘ट्रेड सरप्लस’ है, इसलिए ट्रम्प चाहते थे कि भारत के साथ सभी डील अमेरिका के फ़ायदे की दृष्टि से लिए जाएँ। परंतु ये पूरी कहानी तो नहीं बताती, लिहाजा पीएम मोदी ने अपना आई पैड निकालते हुए प्रेसिडेंट ट्रम्प को इस बात से अवगत कराया कि कैसे भारत ने ट्रेड डेफ़िसिट को कम करने के लिए काफी व्यापक बदलाव किए थे। 2014 में 31 बिलियन डॉलर से भारत का ट्रेड डेफ़िसिट 24.2 बिलियन, यानि केवल 4 वर्षों में 22 प्रतिशत का सकारात्मक बदलाव हुआ है। पीएम मोदी ने ये भी बताया कि कैसे भारत में हाइड्रोकार्बन का आयात शून्य से 2020 के अंत में 12 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रम्प को इस बात से भी अवगत कराया कि अमेरिकी राजकोष को भारतीय विद्यार्थी हर वर्ष लगभग 6 अरब डॉलर का अहम योगदान देते हैं। इसके अलावा उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच सैन्य व्यापार पर भी प्रकाश डाला। उदाहरण के लिए इस वर्ष भारत 3 बिलियन डॉलर मूल्य के हेलिकॉप्टर डील पर हस्ताक्षर कर चुका है। पीएम मोदी भली भांति जानते थे कि सभी डील अक्षरश: नहीं चलेंगी, इसलिए उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प की शंकाओं का बड़े प्रेम से और रचनात्मक तरह से समाधान किया।
‘नमस्ते ट्रम्प’ के जरिये दोनों नेताओं ने व्यापार से संबन्धित अपनी सभी समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए एक दूसरे से साझा किया, और बातचीत से उसे सुलझाने हेतु एक सार्थक प्रयास भी करते हुए दिखे। अपने देश की राजनीति के परिप्रेक्ष्य से दक्षिणपंथी होने के नाते दोनों के कुछ लक्ष्य समान है, जैसे चीन को नियंत्रण में रखना और कट्टर इस्लामिक आतंकवाद को रोकना।
मंगलवार को द्विपक्षीय वार्ता खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दोनों देश अब एक बड़े व्यापार सौदे के लिए हाथ मिलाने वाली है। इस बार भले ही कोई अहम ट्रेड डील न पूरी हुई हो, परंतु भारत काफी आगे बढ़ रहा है और जिस तरह से डोनाल्ड ट्रम्प की आवभगत हुई है, उससे स्पष्ट होता है कि भारत की प्रगति किसी भी चुनौती के सामने नहीं झुकेगी। ट्रम्प भी भारत की आवभगत से काफी प्रसन्न हुए थे। उन्होंने बताया भी कि, “हमारा समय काफी अच्छा बीता। हमारी काफी बढ़िया मुलाक़ात हुई। यह अद्भुत देश है। मुझे लगता है कि भारतीय हमें पहले से ज़्यादा चाहते हैं। पीएम मोदी और मेरे बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं”।
भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर कूटनीति का उत्तम परिचय देते हुए डोनाल्ड ट्रम्प की बढ़िया आवभगत की है, परंतु अपने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए जिस तरह से उन्होने ट्रम्प की व्यापार संबंधी समस्याओं का निवारण किया है, वो सराहनीय है।