सत्ता की चाह क्या क्या न करवाती है। सोमवार को एक वीडियो खूब वायरल हो रही। इस वीडियो में दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री यह कहते दिख रहे हैं कि वे भगवान हनुमान के कट्टर भक्त हैं फिर भी बीजेपी उन्हें हिंदू विरोधी बता रही है। यही नहीं इसके जवाब में उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। इससे तो यही पता चलता है कि तुष्टीकरण कर राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल अब वापस हिंदुओं से वोट पाना चाहते हैं। यही नहीं एक इंटरव्यू में तो केजरीवाल ने यह तक कह दिया कि अगर वे पावर में होते तो शाहीन बाग को 2 घंटे में खाली करा देते।
एक तरफ वो खुलकर शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के खिलाफ हैं तो दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इसके समर्थन में हैं। अब सवाल उठता है कि अगर अरविंद केजरीवाल शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का समर्थन नहीं कर रहे हैं तो प्रदर्शन करने वाले उन्हें वोट क्यों करें? कहीं न कहीं ऐसा कहकर मुस्लिम समुदाय को केजरीवाल ने नाराज किया है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव बस चंद दिनों की दूरी पर हैं। सभी पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला शुरु कर दिया है। इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल हनुमान चालीसा पढ़ने लगें हैं।
उनके ऐसा करने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं इसे समझने के लिए थोड़ी गहराई में जाते हैं
क्या आपने हनुमान चालीसा सुना है? जरूर सुनिए। मन को बहुत शांति मिलती है pic.twitter.com/niyUOxCEFu
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 3, 2020
आइए नजर डालते हैं इन कारणों पर:
पहला कारण यह है कि अरविंद केजरीवाल यह जानते हैं कि आज अगर उनकी सरकार है तो वह सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं के वोट से ही है। वह जानते हैं कि दिल्ली की सिर्फ 13% आबादी मुस्लिम है और अब वह स्थिति भी नहीं रही जो वर्ष 2015 में थी। इसलिए अगर वे शाहीन बाग जैसे प्रदर्शनों का समर्थन कर हिन्दू आबादी को नाराज करेंगे तो यह उनके लिए ही घातक साबित होगा। हालांकि, 70 में से पांच विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां मुस्लिम आबादी 40% या उससे अधिक है। लेकिन इन 5 को छोड़ दिया जाए तो 65 विधान सभा क्षेत्रों में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दूसरा कारण यह है कि अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि जब वर्ष 2015 में उनकी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी तब दिल्ली का माहौल कुछ और था। उस दौरान दिल्ली की जनता कांग्रेस के भ्रष्टाचार से निजात पाना चाहती थी। दिल्ली में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी उफान पर थी। BJP के नेताओं की भी वह छवि नहीं थी जिस पर वे भरोसा कर सके। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली वासियों के जहन में निर्भया केस अभी भी जीवित था और दिल्ली की जनता उस केस में त्वरित कार्रवाई चाहती थी। इस वजह से जनता ने अरविंद केजरीवाल को अपने सिर आँखों पर बैठा लिया और 70 में से 67 सीटों पर जीत दिला दी। अब माहौल बदल चुका है और केजरीवाल का भ्रष्ट रूप दिल्ली की जनता के सामने आ चुका है। केजरीवाल को यह अच्छे से पता है कि लोग अपने राष्ट्र के लिए अधिक जागरूक हैं और अगर केजरीवाल हिंदुओं को छोड़ मुस्लिमों का तुष्टीकरण करते हैं तो उन्हें 10 से 15 सीटों से अधिक सीट नहीं मिलने वाली है।
तीसरा कारण वोट शेयर है। वर्ष 2015 के चुनाव में केजरीवाल को 54 प्रतिशत से ऊपर वोट मिले थे और यह वोट शेयर उन्होंने कांग्रेस के वोट शेयर में सेंधमारी कर अपने पाले में किया था। भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पार्टी ने 2013 में 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 33.07 फीसदी वोट मिला था। जबकि 2015 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 3 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी लेकिन वोट शेयर उसे 32.1 फीसदी रहा था जिससे यह पता चलता है कि BJP को वोट करने वालों ने BJP का साथ नहीं छोड़ा था। वहीं दिल्ली में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि दिल्ली में औसतन 40% मतदाता उच्च जातियों के हैं। इसी वजह से केजरीवाल अब 40 प्रतिशत को भी अपने पाले में करने की कोशिश में लगे हैं। परंतु दिल्ली के हिन्दू अब केजरीवाल के मुखौटे से परिचित हो चुके हैं और वे तो केजरीवाल को वोट तो बिल्कुल नहीं देने जा रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल इसी पाशोपेश में फंस कर इस बार न तो शाहीन बाग का खुलकर समर्थन कर पा रहें है और न ही मस्जिदों में जा कर वोट की दुहाई मांग रहें हैं। अब हनुमान चालीसा पढ़ कर हिन्दुओं को लुभाने के चक्कर में मुस्लिमों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। ऐसे में केजरीवाल एक तरह से अपने लिए गड्ढा खोदने का काम कर रहे हैं।