जिस दिन दिल्ली अपनी भाग्य विधाता चुनने के लिए वोट करने गयी, आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल एक बार फिर सुर्खियों में आए, परंतु इस बार गलत कारणों से। महिलाओं को लेकर अरविंद केजरीवाल ने एक बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी ट्वीट की है, जिसके कारण चारो ओर से इनकी आलोचना हो रही है।
अरविंद केजरीवाल के ट्वीट के अनुसार, “वोट डालने ज़रूर जाइये सभी महिलाओं से ख़ास अपील – जैसे आप घर की ज़िम्मेदारी उठाती हैं, वैसे ही मुल्क और दिल्ली की ज़िम्मेदारी भी आपके कंधों पर है। आप सभी महिलायें वोट डालने ज़रूर जायें और अपने घर के पुरुषों को भी ले जायें। पुरुषों से चर्चा ज़रूर करें कि किसे वोट देना सही रहेगा” –
वोट डालने ज़रूर जाइये
सभी महिलाओं से ख़ास अपील – जैसे आप घर की ज़िम्मेदारी उठाती हैं, वैसे ही मुल्क और दिल्ली की ज़िम्मेदारी भी आपके कंधों पर है। आप सभी महिलायें वोट डालने ज़रूर जायें और अपने घर के पुरुषों को भी ले जायें। पुरुषों से चर्चा ज़रूर करें कि किसे वोट देना सही रहेगा
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 8, 2020
इस ट्वीट से स्पष्ट रूप से झलकता है की AAP सुप्रीमो कितनी संकुचित और नारी विरोधी है, जिन्हें आज भी लगता है की महिलाओं की अपनी बुद्धि नहीं हो सकती और वे बिना पुरुषों से बातचीत के अपने निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। सच कहें तो केजरीवाल ने हर महिला के निःस्संकोच वोट डालने के अधिकार पर सवाल उठाया है।
अरविंद केजरीवाल के इस घटिया बयान पर विरोध होना स्वाभाविक था और हुआ भी। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए पूछा, “आप क्या महिलाओं को इतना सक्षम नहीं समझते की वे स्वयं निर्धारित कर सकें किसे वोट देना है?” –
आप क्या महिलाओं को इतना सक्षम नहीं समझते की वे स्वयं निर्धारित कर सके किसे वोट देना है ? #महिलाविरोधीकेजरीवाल https://t.co/fUnqt2gJZk
— Smriti Z Irani (Modi Ka Parivar) (@smritiirani) February 8, 2020
परंतु केजरीवाल जैसे व्यक्ति के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी, और उसने जवाब दिया, “इस बार ये महिलाएं हैं जो तय करेंगी कि उनके परिवार का वोट किसे जाएगा दिल्ली में”
स्मृति जी, दिल्ली की महिलाओं ने किसे वोट देना है ये तय कर लिया है। और पूरी दिल्ली में इस बार अपने परिवार का वोट महिलाओं ने ही तय किया है। आखिर घर तो उन्हें ही चलाना होता है https://t.co/Psszwmmd3a
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 8, 2020
केजरीवाल का वर्तमान बयान भले ही कई लोगों को क्रोध से आग बबूला कर दे, परंतु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब केजरीवाल ने इस प्रकार से नारी विरोधी मानसिकता का परिचय दिया हो। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के राज में ऐसे कई मौके आए हैं, जहां केजरीवाल और उसके अनुयाइयो ने ऐसी नारी विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है।
पिछले वर्ष एक अधेड़ उम्र की महिला ने आम आदमी पार्टी के विधायक मोहिंदर गोयल पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। कार्रवाई करना तो बहुत दूर की बात, आम आदमी पार्टी ने इस व्यक्ति को एक बार फिर दिल्ली के रिठाला क्षेत्र से टिकट दिया। दिलचस्प बात तो यह है कि इस विषय पर वामपंथी ब्रिगेड द्वारा कोई भी विरोध नहीं जताया गया है –
A woman in her 40s alleged that AAP MLA Mohinder Goyal raped her. https://t.co/fTgw0uLrC1
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) March 7, 2019
परंतु यह तो मात्र शुरुआत है। आम आदमी पार्टी की सरकार का इतिहास ऐसे विवादों से भरा पड़ा है। मालवीय नगर से चुनाव लड़ने वाले सोमनाथ भारती पर तो 2015 में पत्नी के साथ घरेलू हिंसा करने के आरोप हैं। ये और बात है कि उसके विरुद्ध मामले दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिये गए थे। परंतु सोमनाथ भारती कोई दूध के धुले नहीं हैं। 2015 में इन्होंने ही कहा था, “मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि यदि दिल्ली सरकार को पूरी आज़ादी दी गयी, तो सुंदर औरतों को अर्धरात्रि में भी बाहर जाने में कोई परेशानी नहीं होगी”। जिस तरह से उन्होंने सुंदर औरतों का reference दिया था, वो कितना परिपक्व था आप खुद समझ सकते हैं।
2015 में आम आदमी पार्टी को सरकार बनाए कुछ ही महीने हुए थे परंतु महिलाओं के प्रति उसका दोगला व्यवहार सबके सामने आ गया। पंजाब से AAP नेता अमनदीप कौर ने हो हल्ला मचाते हुए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर छेड़खानी का आरोप लगाया। परंतु पार्टी ने अपने आंतरिक पूछताछ में इस एलीगेशन को डिसमिस करते हुए इसे दबाने का प्रयास किया।
2017 में एक महिला ने सोमनाथ भारती और अमानतुल्लाह खान के साथ साथ जरनैल सिंह पर अभद्रता का आरोप लगाया। परंतु आम आदमी पार्टी ने इस घटना को भी विपक्ष की साजिश बताया।
हम उस घटना को कैसे भूल सकते हैं, जहां एक आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता को अरविंद केजरीवाल की निष्ठुरता के कारण आत्महत्या करनी पड़ी थी। उस महिला कार्यकर्ता ने अरविंद केजरीवाल से आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता रमेश भारद्वाज के विरुद्ध एक्शन लेने को कहा, क्योंकि उसने उस महिला कार्यकर्ता का यौन शोषण किया था। परंतु कार्रवाई का आश्वासन तो बहुत दूर की बात, केजरीवाल ने उल्टे उस महिला से सुलह करने को कहा, जिसके कारण उस महिला कार्यकर्ता के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। आज तो केजरीवाल इस पीड़िता के अस्तित्व को मानने से ही इनकार देता है। एक इंटरव्यू में पीड़िता के उल्लेख पर जनाब कहते हैं, ‘कौन है ये?’
Soni Mishra was an AAP volunteer, She committed suicide after Kejriwal said "Compromise kar le" when she complaint about sexual harassment.
Now Kejriwal refuses to even recognize her. This is the price Aam Aadmi have to pay in Politics. pic.twitter.com/ttuKg3HVSO
— BALA (@erbmjha) January 29, 2020
ऐसे में कोई हैरानी की बात नहीं है कि आम आदमी पार्टी के हाईकमान में कोई महिला नेता नहीं है। केवल आतिशी मार्लेना कुछ हद तक आम आदमी पार्टी में एक प्रभावशाली महिला नेता है, परंतु उसके पास भी कोई उच्च पद नहीं है।
अरविंद केजरीवाल के इसी नारी विरोधी मानसिकता के कारण कई महिलाओं को आम आदमी पार्टी छोड़नी पड़ी। पार्टी के स्थापना के कुछ ही महीनों में मधु भादुरी ने पार्टी छोडते हुए कहा, “मैं आम आदमी पार्टी से कोई संबंध नहीं रखती हूँ। पार्टी महिलाओं के साथ इन्सानों जैसा कोई बर्ताव नहीं करती”।
आम आदमी पार्टी मेन्स्ट्रीम मीडिया की चहेती है, जिसके कारण वास्तव में कोई भी आम आदमी पार्टी पर प्रश्न करने का साहस नहीं कर पा रहा। परंतु जिस तरह से केजरीवाल ने वर्तमान ट्वीट में अपने नारी विरोधी मानसिकता को उजागर किया है, उससे स्पष्ट होता है कि वे वास्तव में महिला सुरक्षा और उनके मान सम्मान के बारे में कितना सोचते हैं।