गठबंधन सरकारें दो नावों की सवारी होती हैं और जब गठबंधन तीन पार्टियां की हो, वो भी लगभग बराबर सीट की तब स्थिति और भी जंभीर हो जाती है। सभी को खुश करने के चक्कर में या तो सरकारें गिर जाती हैं, नहीं तो सबसे बड़ी पार्टी पूरी सरकार को अपने इशारों पर चलाती है। महाराष्ट्र में भी यही देखने को मिल रहा है, शिवसेना, NCP और कांग्रेस के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। महा विकास आघाडी का गठबंधन करवाने वाले शरद पवार ने शिवसेना के बढ़ते कदम को रोकने के लिए अपनी पार्टी के मंत्रियों की बैठक बुलाई है।
दरअसल, NCP प्रमुख शरद पवार ने आज अपने आवास पर एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में राज्य सरकार में शामिल एनसीपी कोटे के सभी 16 मंत्री शामिल होंगे। इस मीटिंग को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि शिवसेना और NCP के बीच का शीत युद्ध किसी से छुपा नहीं है।
उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच तल्खी की प्रमुख वजह भीमा कोरेगांव मामला है। पहले यह कहा गया था कि भीमा कोरेगांव मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस करेगी, लेकिन इस मामले की जांच अब NIA करेगी, जिसका समर्थन उद्धव ठाकरे ने भी किया है। इसके बाद से पवार और ठाकरे के बीच विवाद शुरू हो गया है।
शरद पवार ने शिवसेना के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, ‘भीमा-कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र पुलिस के कुछ अधिकारियों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता था कि इन अधिकारियों के व्यवहार की भी जांच की जाए, लेकिन जिस दिन सुबह महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की, उसी दिन शाम को 3 बजे केंद्र ने पूरे मामले को एनआईए को सौंप दिया। संविधान के मुताबिक यह गलत है, क्योंकि आपराधिक जांच राज्य के क्षेत्राधिकार में आता है।’
शरद पवार ने कहा था, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केन्द्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया।’
कांग्रेस और NCP का शिवसेना से सिर्फ इसी मुद्दे पर तनातनी नहीं है बल्कि कई और मुद्दे हैं। पिछले दिनों ही उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को भी मंजूरी दे दी। ठाकरे ने कहा कि एनपीआर में जनता के खिलाफ कुछ भी नहीं है। इसके बाद फिर क्या, कांग्रेस और NCP को एक और मौका मिल गया। महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा है कि एनपीआर के प्रावधानों पर कांग्रेस का विरोध है। इस संबंध में कांग्रेस के मंत्री सरकार से बात करेंगे।
अगर इसी तरह से चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब महा विकास आघाडी की सरकार टूट जाएगी। हालांकि, उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम हैं, लेकिन असली ताकत शरद पवार के पास ही रहता है। अब उनके रहते ही अगर कोई उनके खिलाफ जा रहा है तो इसका मतलब स्पष्ट है कि वे अपनी शक्ति को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसी वजह से यह मीटिंग महत्वपूर्ण है।
वहीं दूसरी तरफ अचानक से शिवसेना का इस तरह से अपने गठबंधन के विरुद्ध फैसला लेना दिखाता है कि वो राज ठाकरे और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के उदय से परेशान हैं। उन्हें यह दिखाई दे रहा है कि उनके पैरों तले से हिन्दुत्व की जमीन खिसकती जा रही है जो उनका प्रमुख वोट बैंक है।
अब तक, शिवसेना कांग्रेस द्वारा वीर सावरकर के बार-बार अपमान कर