बारामती शुगर मिल पर पवार गुट का कब्जा, अभी कई सहकारी संस्थानों में घोटाले के केस चल रहे हैं

शरद पवार, एनसीपी, चीनी मील

मालेगांव सहकारी चीनी मिल के चुनाव परिणामों के रिजल्ट आ गए हैं। इस चुनाव में एनसीपी ने जीत का परचम लहरा दिया है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी ने मालेगांव कोऑपरेटीव शुगर मील पर सत्ता हासिल किया है। इस चुनाव परिणाम में एनसीपी के नीलकंठेश्वर पैनल के निदेशक को 21 में से कुल 16 सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा समर्थित तावरे गुट को केवल पांच सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।

मालूम हो कि राज्य में पिछली बार साल 2015 में चुनाव हुए थे। जिसमें पवार गुट को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। रंजन तांवरे के नेतृत्व में भाजपा गुट ने एनसीपी को हराकर चीनी मिल पर नियंत्रण हासिल किया था। राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद से ही चीनी मील पर कब्जा करने के लिए एनसीपी ने एड़ी चोटी एक कर दिया था।

सहकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार के दोषी भी हैं अजित पवार

बता दें कि जिस कोऑपरेटिव बैंक, मील पर शरद पवार का गुट बहुत पहले से ही हावी रहा है। इसी के बल पर एनसीपी ने कई भ्रष्टाचार किए हैं। कुछ पर तो अभी केस भी चल रहा है। इसमें महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले का मामला सबसे चर्चित है। इस घोटाले में शरद पवार के भतीजे यानि उप मुख्यमंत्री अजित पवार समेत 70 लोगों पर केस चल रहा है। मालूम हो कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार 10 नवंबर 2010 से 26 सितंबर 2014 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री थे, उसी दौरान उन्होंने ये हेराफेरी की थी।

शरद पवार और उनके करीबी जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। इन्होंने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था और कर्जा चुकाने में असमर्थ दोषियों की संपत्तियों को कोड़ियों के भाव बेच दिया था। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका पुनर्भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार उस समय उक्त सहकारी [co-operative] बैंक के डायरेक्टर थे। नाबार्ड ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पवार और अन्य लोगों को बैंक घोटाले का आरोपी बनाया गया है।

फिलहाल, इस केस की अभी जांच भी पूरी नहीं हुई है और फिर से तमाम सहकारी संस्थानों में पवार गुट कब्जा जमाने लगे हैं। भाजपा के शासनकाल में एनसीपी इन सहकारी संस्थानों की इर्द-गिर्द भी नहीं भटकती थी लेकिन जैसी ही शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की गठबंधन सरकार आई फिर से पवार गुट हावी हो गया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जिन लोगों ने सहकारी संस्थानों में लूट मचाकर बर्बाद किया अब वही लोग इसे कैसे संचालित करते हैं।

Exit mobile version