‘मिलने के लिए रेडी,’ Shah इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन शाहीनबाग के शांतिदूत अपने आकाओं को नहीं भेज रहे

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कुछ दिन पहले अमित शाह ने यह ऐलान किया था कि वे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मिलने और उनकी बातें सुनने के लिए तैयार हैं। हालांकि यह कोई आधिकारिक बुलावा नहीं था, लेकिन अमित शाह ने यह कहा था कि तीन दिन के अंदर जिसे बात करनी है उसे वे सुनने के लिए तैयार हैं।

शुरुआत में अमित शाह पर लगातार न मिलने का आरोप लगाने वाले प्रदर्शनकारी अब अचानक से सकते में आ चुके हैं और कोई एक व्यक्ति अपने आप को नेता बताकर गृहमंत्री से बातचीत करने नहीं जाना चाहता है।

गृह मंत्रालय के अनुसार शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों की तरफ से कोई भी औपचारिक मांग नहीं आई है, लेकिन फिर भी रविवार को सभी प्रदर्शनकारी शाहीन बाग से उठकर अमित शाह से मिलने चल दिए थे, वो भी बिना नेता के। अभी तक प्रदर्शनकारियों ने अपना नेता नहीं चुना है जो जाकर किसी भी प्लेटफ़ार्म पर उनकी बात रख सके। सच कहें तो तथ्य यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि वे प्रदर्शन किस बात पर कर रहे हैं।

जिस तरह से यह प्रदर्शन शुरू हुआ था, उससे तो यह बिल्कुल स्पष्ट था कि यह प्रदर्शन निर्भया प्रदर्शन की तरह कोई त्वरित प्रदर्शन था। यह एक सुनियोजित प्रदर्शन था जिसका खूब PR किया गया। उस दौरान खाना बांटे गए, कई नेता मिलने पहुंचे और कईयों ने बाहर से समर्थन किया।

शुरू में तो इस प्रदर्शन को शरजील जैसे लोग नेतृत्व कर रहे थे लेकिन अब वे अपने देश को पूर्वोतर राज्यों से अलग करने के बयानों के लिए पुलिस की कस्टडी में है। यही नहीं उसके बाद कांग्रेस और AAP के नेताओं की भागेदारी भी सामने आई जब उनके और PFI के इस प्रदर्शन में शामिल होना का खुलासा हुआ। ओखला के MLA अमानुतुल्लाह ने तो लगभग रोज़ ही शाहीन बाग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। वहीं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को भी वहां तफरी लगाते हुए देखा गया था।

हालांकि जबसे सरकार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने का रास्ता खोला है तब से कोई भी शाहीन बाग की बात को अमित शाह के सामने जाकर कहने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है। इसका कारण क्या हो सकता है? इससे तो यही पता चलता है अब अमित शाह के सामने जाने में ये सभी भींगी बिल्ली बन जाते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे जो प्रदर्शन कर रहे हैं उसका कोई आधार ही नहीं है।

तथ्य यह है कि शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन एक सुनियोजित तरीके से किया गया प्रोपेगेंडा था, जिसके PFI से फंडिंग होने का खुलासा भी ED ने किया था। PFI ने जान-बुझकर कांग्रेस और AAP के साथ मिलकर रोड ब्लॉक करने की साजिश रचा। यह प्रदर्शन शुरू से ही बिना चेहरे का था लेकिन इसके निर्देशन के लिए कई नेता थे पर कोई सामने नहीं आना चाहता क्योंकि सभी को पता है कि सामने अमित शाह हैं।

इस प्रदर्शन के आयोजनकर्ता अब सामने नहीं आना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है अगर वे सामने आएंगे तो शर्जिल इमाम जैसे देशद्रोही से उनका संबंध सामने आ जाएगा।

वैसे भी जब से दिल्ली चुनाव सम्पन्न हुआ है और जबसे आम आदमी पार्टी की जीत हुई है तभी से यह प्रदर्शन कमजोर पड़ने लगा है। ऐसे में अब सभी को समझ आ गया है कि यह प्रदर्शन सिर्फ आम आदमी पार्टी को जीताने के लिए आयोजित किया गया था।

अब जिस तरह से ये प्रदर्शनकारी जल्दी में दिख रहे हैं उससे तो यह भी स्पष्ट होता है कि अब ये अपने प्रदर्शन को इज्जत के साथ समाप्त करना चाहते हैं परंतु यह होता दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि अमित शाह ने उन्हें बातचीत करने का आमंत्रण दे दिया है।

प्रदर्शनकारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है क्योंकि कोर्ट बार-बार उन्हें अपने प्रदर्शन के स्थान को दूसरी जगह स्थान्तरित करने का निर्देश दे रहा है। इसके लिए इन प्रदर्शनकरियों से बातचीत करने के लिए 3 वार्ताकारों को भी नियुक्त किया है।

इससे प्रदर्शन के आयोजन करने वाले घबराए हुए हैं और जल्द से जल्द इस प्रदर्शन को समाप्त करना चाहते हैं। उन्हें पता है कि अगर वे अमित शाह से बातचीत करने जाएंगे तो भी वे कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वे जिस CAA मुद्दे को सामने रखेंगे वे उनके लिए है ही नहीं।

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