पिछले कुछ वर्षों से सेना में कई बदलाव देखने को मिले हैं उनमें से एक CDS की नियुक्ति थी। अब एक और नया बदलाव देखने को मिल सकता है। यह बदलाव है सेना के जवानों और अफसरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाए जाने को लेकर। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जेनरल बिपिन रावत ने यह संकेत दिया है कि सशस्त्र बलों के जवानों की सेवा निवृत्ति उम्र बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि जवानों की सेवानिवृति की उम्र बढ़ा कर 58 वर्ष तक करने के लिए अध्ययन किया जा रहा है और इसके लिए सेना के तीनों अंग अध्ययन कर रहे हैं।
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि वर्तमान में सेना में दो श्रेणियां होती हैं जिसमें अधिकारी और जवान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी 54 से 58 साल की उम्र के बीच सेवानिवृत होते हैं लेकिन जवान 37-38 साल की उम्र में सेवानिवृत हो जाते हैं। सीडीएस ने संवाददाताओं से कहा, ‘वह (अधिकारी) 58 साल की उम्र तक (आर्थिक रूप से) बिल्कुल सुरक्षित रहता है। उस उम्र में उसके बच्चे आम तौर पर अपने पैरों पर खड़े हो जाते है या होने वाले होते हैं। समस्या जवानों के साथ है।’ उन्होंने कहा कि जवानों को 18-19 साल की उम्र में भर्ती करने के बाद सेना उन्हें 37-38 साल में सेवानिवृत कर देती है। उन्होंने कहा, ‘उस उम्र में वह अचानक महसूस करता है कि उसकी तनख्वाह घटकर आधी रह गयी और उसका मुफ्त आवास एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा चली गयी।’ बिपिन रावत ने कहा, ‘मुझे लगता है कि सेना के एक तिहाई कर्मी 58 साल तक सेवा दे सकते हैं. आज आप एक जवान को 38 साल में घर भेज रहे हैं और वह 70 साल तक जीवित रहता है. इसलिए, 17 साल की सेवा के लिए 30-32 साल पेंशन देते हैं। उसे 38 साल की सेवा ही क्यों न दे दी जाए और फिर उसे 20 साल तक पेंशन दीजिए। हम इस प्रवृत्ति को पलट रहे हैं”।
उनका यह बयान रक्षा बजट के आने के बाद आया है। बता दें कि सरकार के रक्षा बजट पेश करने के बाद कई रक्षा विशेषज्ञों ने रक्षा बजट की आलोचना की थी। इस पर समाचार एजेंसी से बात करते हुए सीडीएस रावत ने कहा कि इस मामले में चिंता करने की जरूरत नहीं है। सेनाओं को फंड जुटाने के लिए अन्य संसाधनों की ओर रुख करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम अपनी रक्षा जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध कर रहे हैं। अगर लगा कि हमें और धन की जरूरत है तो हम सरकार के पास यह मामला ले जाएंगे। उल्लेखनीय है इस बार के आम बजट में रक्षा क्षेत्र को 3.37 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं। पिछले बजट की तुलना में रक्षा बजट में छह फीसद वृद्धि की गई है।
उन्होंने आगे कहा कि “पेंशन बजट 1.17 लाख करोड़ से बढ़कर 1.33 लाख करोड़ होना बहुत चिंताजनक है। इसे नियंत्रित करने के लिए मेरा सुझाव है कि सेना में जवानों और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति बढ़ाई जाए। पेंशन प्रबंधन के लिए मैं इस मामले को बहुत तरजीह देने जा रहा हूं।”
उल्लेखनीय है सातवां वेतनमान और वन रैंक वन पेंशन योजना लागू होने के बाद से पेंशन के बजट में भारी भरकम वृद्धि हुई है। ऐसा अनुमान है कि यदि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ती है तो सेना की विभिन्न कोर के चार लाख से अधिक जवानों पर असर पड़ेगा।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के रक्षा बजट में 6 प्रतिशत की वृद्धि की है। इस वित्तीय वर्ष का रक्षा बजट पिछली वित्तीय बजट की तुलना में 3.18 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3.37 लाख करोड़ किया गया है। इस बजट में यदि रक्षा पेंशन को भी जोड़ा जाए तो इस बार का ये बजट करीब 4.7 लाख करोड़ का है। इस बार रक्षा पेंशन के बजट को पिछले वर्ष की तुलना में 1.17 लाख करोड़ से बढ़ाकर 1.33 लाख करोड़ किया गया। पेंशन रक्षा मंत्रालय के कुल व्यय का 28 प्रतिशत है। अगर सरकार जेनरल बिपिन रावत की बात मानते हुए सेना में इस तरह का बदलाव करती है तो निश्चित ही सरकार के ऊपर भार कम पड़ेगा और सैनिकों को भी सुविधा होगी क्योंकि वे अधिक समय तक सेना में रह सकेंगे और उन्हें पूरा सम्मान ने साथ वेतन भी मिल सकेगा।