‘एक और बड़ी मछ्ली फंसी स्वामी के जाल में’, अब Air Asia के CEO टोनी फर्नांडिस को अपने पद से हटना पड़ा है

टोनी फर्नांडीस

मलेशियाई एयरलाइन ‘एयर एशिया’ के भारतीय मूल के CEO टोनी फर्नांडीस ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके खिलाफ कई मामलों में भारत, ब्रिटेन और मलेशिया में जांच चल रही है। भारत में भी CBI एयर एशिया के पाँच अधिकारियों की जांच कर रही है। आरोप है कि यूरोप की Aerospace कंपनी एयरबस ने ऑर्डर हासिल करने के लिए टोनी समेत कंपनी के चेयरमैन कमरुद्दीन मेरानुन को 50-50 मिलियन डॉलर की रिश्‍वत दी थी। अब एयरएशिया के बोर्ड ने आरोपों की जांच के लिए कमेटी बनाई है। इसलिए, सीईओ और चेयरमैन को कार्यकारी भूमिका से हटाकर सिर्फ सलाहकार की भूमिका में रखा गया है। सुब्रमण्यम स्वामी एयर एशिया द्वारा की जा रही नियमों की अवहेलना को लेकर काफी समय से आवाज उठाते रहे हैं और जांच की भी मांग करते रहे हैं, अब जाकर उनकी मेहनत रंग लायी है।

बता दें कि ब्रिटेन के सीरियस फ्रॉड ऑफिस (एसएफओ) एयरबस से जुड़े इस मामले की जांच कर रहा है। एयरबस ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका में भ्रष्टाचार की जांच के मामलों को सेटल करने के लिए 3.6 अरब यूरो (2,830 करोड़ रुपये) चुकाने को तैयार है। इन आरोपों के बाद एयर एशिया और यूनिट एयर एशिया X के शेयर बुरी तरह गिर गए। एयरएशिया के स्टॉक मई 2016 के बाद से 11 फीसदी लुढ़क गए, तो वहीं AirAsia X में 12 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।

ईडी ने एयर एशिया और इसके अधिकारियों के खिलाफ साल 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। इस संदर्भ में अधिकारियों ने 20 जनवरी को फर्नांडिस को पूछताछ के लिए भी बुलाया था। भारत में अंतरराष्ट्रीय लाइसेंस लेने के लिए एयर एशिया पर सरकारी नीतियों को गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश करने का आरोप है, जिसकी जांच ईडी कर रही है। इतना ही नहीं, विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत भी इस मामले में ईडी की जांच चल रही है।

वर्ष 2016 से पहले के एविएशन सेक्टर के नियमों के मुताबिक, किसी एयरलाइन को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लाइसेंस के लिए पांच साल का अनुभव और 20 एयरक्राफ्ट होना जरूरी था। टोनी फर्नांडिस पर आरोप है कि उन्होंने उस वक्त 5/20 नियम हटवाने, रेग्युलेटरी पॉलिसीज में बदलाव करवाने और दूसरे क्लीयरेंस के लिए सरकारी अफसरों के साथ सांठगांठ की थी। वर्ष 2016 में भारत सरकार ने नियमों में बदलाव करके अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से संबन्धित नियम आसान कर दिये थे, लेकिन उससे पहले से ही एयर एशिया द्वारा उड़ाई जा रही अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को लेकर अब विवाद जारी है, जिसको लेकर जांच चल रही है।

सुब्रमण्यम स्वामी पहले से ही एयरएशिया पर नियमों की अवहेलना का आरोप लगाकर भारत में इसका लाइसेन्स रद्द करने की मांग करते रहे हैं, और इसकी वजह से खुद एयरएशिया के सीईओ उनके खिलाफ बयान दे चुके हैं। वर्ष 2013 में जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि एयर एशिया का इंडिया प्लान नियमों के मुताबिक नहीं है, जिसके बाद एयर एशिया के ग्रुप सीईओ टोनी फर्नांडीस ने उनको जवाब देते हुए कहा था कि कुछ स्वार्थी लोग एविएशन इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वर्ष 2016 में स्वामी ने कंपनी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।

इसके अलावा स्वामी ने पीएम मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर टाटा समूह की दो एयरलाइन यूनिट- एयर एशिया इंडिया और विस्तारा के खिलाफ जांच करने की मांग की थी। बता दें कि एयर एशिया इंडिया में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा संस की है और टाटा के साथ मिलकर ही एयर एशिया ने भारतीय एविएशन नियमों की अवहेलना की थी। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन द ने भी टाटा और एयर एशिया के जाइंट वैंचर द्वारा किए जा रहे FDI नियमों की अवहलेना और सरकारी अफसरों को रिश्वत देने जैसे अपराधों पर प्रकाश डाला था।

जिस तरह भारत में सुब्रमण्यम स्वामी एयर एशिया द्वारा की जा रही नियमों की अवहेलना को लेकर शुरू से ही अपनी आवाज़ उठाते रहे हैं और जिसको लेकर हाई कोर्ट में उन्होंने याचिका भी दायर की हुई थी, ऐसे में टोनी फर्नांडीस के इस्तीफे को उनकी एक और सफलता के रूप में देखा जा सकता है। स्वामी नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले भ्रष्ट अधिकारियों और टोनी फर्नांडिस के खिलाफ लगातार केस लड़ते आ रहे हैं। अब भारत सरकार ED द्वारा की जा रही जांच के बूते मलेशियाई सरकार से टोनी के प्रत्यर्पण की मांग कर सकती है।

 

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