FM निर्मला सीतारमण की दो टूक – अब करदाताओं को कर अधिकारी परेशान नहीं कर सकेंगे

PC: The Economic Times

भारत के विकास में टैक्स अधिकारियों द्वारा टैक्स टेररिज्म और उत्पीड़न बड़ी समस्याओं में से एक है। भारतीय समाज में टैक्स चोरी की प्रवृत्ति हावी रही है चाहे वो कोई भी वर्ग हो या कोई व्यवसाय से जुड़ा व्यापारी। मोदी सरकार ने हमेशा ही टैक्स चोरी रोकने की दिशा में कई कदम उठाये हैं। अब, मोदी सरकार ने दूसरे बजट में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है।

आज बजट पेश करते समय देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसपर प्रकाश  डाला और कहा कि टैक्स टेररिज्म को बिलकुल नहीं सहा जायेगा बल्कि जो भी अधिकारी ऐसा करते हुए पाए जाते हैं उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जायेगा।

निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा,  “इज ऑफ़ लिविंग और इज ऑफ़ डूइंग बिज़नस का महत्वपूर्ण पहलू निष्पक्षता है। व्यवसायों को यह विश्वास होना चाहिए कि चीजें निष्पक्ष हैं और कर प्रशासन कुशल है। सरकार एक टैक्स पेयर चार्टर बनाएगी जिससे अब किसी भी करदाता को कोई भी तंग नहीं कर पाएगा। हम करदाताओं को यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम उनके उत्पीड़न को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जब हम धन सृजन की बात करते हैं तो कर उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।”

वास्तव में सरकार ने कर-अनुकूल शासन की शुरूआत करने की दिशा में उचित कदम उठाया है। इसके लिए आयकर अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा गया है। इसके अलावा संसद में उन्होंने वित्‍त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए ‘विवाद से विश्वास’ योजना का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि ‘प्रत्यक्ष कर में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए विवाद से विश्वास योजना लाई जाएगी। इसके तहत 31 मार्च 2020 के बाद टैक्स देने पर कोई पेनाल्टी नहीं लगेगी। जबकि इसके बाद 30 जून तक कुछ अतिरिक्त राशि देनी होगी।’। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इससे उन्हें उम्मीद है कि करदाता इस अवसर का उपयोग मुकदमें की कष्टदायक प्रक्रिया से राहत पाने के लिए करेंगे।

इसके साथ ही उन्होंने छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए कहा कि इस समय 1 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार पर चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपने बही खातों का ऑडिट अनिवार्य रूप से करवाना होता है। MSMEs क्षेत्र के छोटे खुदरा कारोबारियों, व्यवसायियों, दुकानदारों को इस नियम को पालन करने में कठिनाई आ रही थी। इस परेशानी को देखते हुए ऑडिट की यह सीमा 1 करोड़ से 5 करोड़ की जा रही है। ये फायदा केवल उन कारोबारियों को मिलेगा जो अपने कुल कारोबारी लेनदेन में सिर्फ 5 प्रतिशत से कम नकदी का इस्तेमाल करते हैं।

यहाँ उल्लेख करना आवश्यक है कि टैक्स टेररिज्म का मुद्दा काफी गंभीर है क्योंकि आजादी के बाद से करदाताओं का उत्पीड़न होता रहा है। वर्ष 1991 में आर्थिक सुधारों के बावजूद इसमें कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से दिए भाषण में भी टैक्स अधिकारियों की ओर से उत्पीड़न करने पर चिंता जताई थी। प्रधानमंत्री ने लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं। ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना निशाना बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे-मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कार्रवाई करते हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने अब तक कुल 85 अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट  दे दिया था।

इस सरकार के बारे में बात करें तो एक तरह जहां वर्ष 2019 टैक्स प्रशासन अधिकारियों को एक स्पष्ट संदेश देने के बारे में था कि Tax Collection के नाम पर उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, तो वहीं वर्ष 2020 ऐसे सुधारों को संस्थागत बनाने के लिए है। Taxpayer’s Charter के आने के साथ tax terrorism के युग में उस पर काबू करने का मार्ग प्रशस्त किया है।

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