‘जिन्ना रीति सदा चली आई, प्राण जाये पर कश्मीर न जाये’, कश्मीर के लिए पाकिस्तान कितना लालायित रहता है, ये किसी से नहीं छुपा है। अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बाद से पाकिस्तान कश्मीर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग हर जगह दरवाजा खटखटा चुका है, परंतु हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी है। अब जब पाकिस्तान हर तरीका अपना कर फेल हो चुका है, तो उसने हर समस्या के लिए अपना ‘रामबाण’ इलाज निकाला – भारत से ‘जिहाद’।
पाकिस्तानी सांसदों ने प्रधानमंत्री इमरान खान को कश्मीर मुद्दे की ओर अंतर्राष्ट्रीय समुदायों का ध्यान आकर्षित करने हेतु भारत से जिहाद करने की गुहार की है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, “जमीयत उलेमा ए इस्लाम फजल के नेता और पाकिस्तानी सांसद मौलाना अब्दुल अकबर चित्राली ने पाकिस्तानी सरकार से भारत के विरुद्ध जिहाद की घोषणा करने का आवाहन किया है”।
इतना ही नहीं अब्दुल अकबर ने ये भी सुझाव दिया है कि पीएम इमरान खान को घोषणा कर देनी चाहिए कि पाकिस्तान को भारत के साथ 10 फरवरी के बाद जिहाद शुरू कर देना चाहिए। सिर्फ जिहाद की घोषणा मात्र से ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान को मनाने आ जाएगी और कश्मीर के मसले का समाधान संभव हो पाएगा”।
अब्दुल अकबर की मांग का पूरी पाकिस्तानी संसद ने जमकर समर्थन किया। विपक्ष के प्रमुख नेताओं में से एक और पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री रह चुके ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने अब्दुल अकबर चित्राली की मांग का समर्थन करते हुए कहा, “बाकी इस्लामिक मुल्कों ने कश्मीर के लोगों के लिए किया ही क्या है? ओआईसी एक मृत संस्था है और तीन चार सदस्यीय देशों को छोड़कर बाकी देश तो अपने आप को बचा भी नहीं पाये, वे कश्मीर के लिए कैसे हिमायती हो सकते हैं?”
तीन घंटे लंबे संसदीय कार्यवाही के पश्चात संसदीय कार्यों के राज्य मंत्री अली मोहम्मद खान ने भी अब्दुल अकबर और ख्वाजा आसिफ की मांगों का समर्थन करते हुए भावुक हो गए और वे कह पड़े, “वक्त आ गया है कि अब हमारे मुल्क को हिंदुस्तान पर हमला करना चाहिए और कश्मीर छीन लेना चाहिए”। इमरान खान ने अब तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कश्मीर के लिए पाकिस्तान अपना सब कुछ लुटाने के लिए तत्पर है। जब से अनुच्छेद 370 जम्मू एवं कश्मीर से हटाया गया है, और जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया है, तब से पाकिस्तान लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय महाशक्ति एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के दरवाजे पर खटखटा चुका है, पर लगभग हर जगह निराशा ही हाथ लगी है।
आज भी पाकिस्तान के लिए जो चीज़ सबसे ज़्यादा अहम है, वो है कश्मीर। चाहे उनके नागरिक कोरोना वायरस से संक्रमित हो कर चीन में मर जाएँ, चाहे खुद की आवाम भूखों मरे, परंतु कश्मीर को हासिल करने की जंग जारी रहनी चाहिए। पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भद्द पिटवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
खुद दिवालिया होकर पाकिस्तान मलेशिया की डावांडोल हो रही अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए आगे आया है। पीएम इमरान खान के अनुसार, “आपने ठीक सुना है। जबसे हमने मलेशिया को कश्मीर के मसले का समर्थन करने के लिए भारत के हाथों पीड़ित होते हुए देखा है, तब हमने फैसला किया कि पाकिस्तान हर तरह से इस नुकसान का हरजाना भरेगा”। अपनी फजीहत कराते हुए पीएम इमरान खान ने घोषणा की है कि वे मलेशिया के पाम ऑयल निर्यात को हुए नुकसान का हरजाना भरेंगे, विशेषकर ऐसे समय में, जब Pakistan की अर्थव्यवस्था स्वयं रसातल में है।
इसके अलावा पाकिस्तान शायद ये भूल रहा है कि वो आखिर किससे जंग लड़ने जा रहा है। जब जब उसने भारत के विरुद्ध जंग लड़ी है, हमेशा उसने मुंह की खाई है, जिसका सबसे ताज़ा उदाहरण है 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ़ के काफिले पर हुए आतंकी हमले। प्रत्युत्तर में जिस तरह भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी कैम्प पर धावा बोला, और जिस तरह पाकिस्तान द्वारा भारतीय एयरस्पेस में घुसपैठ करने पर विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमन ने अपने मिग 27 प्लेन से उनके नापाक इरादों को मुंहतोड़ जवाब दिया, वो किसी से छुपा नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान यदि एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी नाक कटवाना चाहता है, तो वो बेशक इसके लिए स्वच्छंद है, आखिर खयाली पुलाव पकाने पर कभी टैक्स लगा है क्या?