दिल्ली में योगी, AAP का डर, बैन की मांग और हिंदूवादी नेता की हत्या, कुछ तो गड़बड़ है

कहीं योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर ब्रेक के लिए तो हिन्दुओं को बनाया जा रहा निशाना

योगी आदित्यनाथ

PC: Best Hindi News

उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को यानि कि 2 फरवरी को तब हड़कंप मच गया जब हिंदूवादी नेता रणजीत बच्चन की सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना से पूरे देश में फिर से वही माहौल बन गया जैसा कि पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की हत्या हुई थी। इससे योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में कानून व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े उठने लगे हैं और उनके विरोधियों को एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ को घेरने का मौका मिल गया। परन्तु अगर गौर किया जाए तो दोनों ही मामलों से राजनीतिक साजिश की बू आ रही है।

दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव बेहद समीप है और योगी आदित्यनाथ शनिवार से ही दिल्ली में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने में व्यस्त हैं। वो दिल्ली में 4 फरवरी तक हैं और चार दिन में कुल 16 जनसभाएं करेंगे। जिन जगहों पर वो रैली करेंगे उनमें शाहीन बाग से लेकर तुगलकाबाद और चांद बाग, मुस्तफाबाद और श्रीराम कॉलोनी समेत मौलवी नगर के इलाके शामिल हैं। ये वही इलाके हैं जहाँ बीते कुछ समय से सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। पहले ही दिन योगी आदित्यनाथ की रैली से आम आदमी पार्टी इतनी भयभीत हो गयी कि उसने दिल्ली चुनाव आयोग से योगी आदित्यनाथ पर बैन लगाने की मांग कर डाली। आम आदमी पार्टी ने रविवार को निर्वाचन आयोग से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर रोक की मांग की और साथ ही ये तक कहा कि अगर निर्वाचन आयोग ने उनकी बात नहीं मानी तो वो सोमवार को आयोग के कार्यालय के समक्ष बैठकर धरना देंगे। इस बयान से फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ के दिल्ली में आने से डर का आंकलन आप खुद ही कर लीजिये।

दिल्ली में योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार को एक दिन ही बीता था कि अगली सुबह रविवार को लखनऊ में हिंदूवादी नेता रणजीत बच्चन की हत्या की खबर मीडिया के लिए ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है और सभी का ध्यान योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में कथित खराब कानून व्यवस्था के लिए निशाना बनाने लगते हैं। रणजीत बच्चन की हत्या पर उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने तुरंत योगी सरकार को निशाने पर लिया और कहा कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

इसके बाद वहीं भाजपा का दामन छोड़ चुके पूर्व सांसद शरद तिवारी ने भी योगी सरकार को निशाना बनाया।

इस तरह कुछ ट्वीटस भी आप देख सकते हैं..

वहीं हजरतगंज कोतवाली और पोस्टमॉर्टम हाउस पर रणजीत की पत्‍नी कालिंदी ने जमकर हंगामा किया और मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग की है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हो सकता है बीच में ही अपने चुनाव प्रचार को रोककर लखनऊ के लिए रवाना होना पड़े और उनकी जगह दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी या किसी अन्य नेता को आगे का मोर्चा संभालना पड़े। ऐसे में भाजपा के लिए ये बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।

कुछ ऐसी ही तस्वीर पिछले वर्ष महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे और पार्टी के लिए लकी चार्म बन चुके योगी आदित्यनाथ रैलियों में व्यस्त थे। वो पिछले वर्ष अक्टूबर के महीने में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे थे। इस बीच हिन्दू महासभा के नेता और हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की उनके कार्यालय में ही साजिश के तहत मार दिया गया। इसके बाद पूरे देश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के अंतर्गत कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। विवाद इतना बढ़ गया कि योगी आदित्यनाथ को मीडिया के समक्ष स्पष्टीकरण देना पड़ा। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में कहा था कि ‘इस प्रकार की वारदात को स्वीकार नहीं किया जायेगा। दशहत और भय फैलाने वालों के मंसूबों को कुचल दिया जाएगा। जो भी इस घटना में शामिल होगा, वह बख्शा नहीं जाएगा। इसके बाद कमलेश तिवारी के परिवार की उनसे मिलने की मांग पर सहमति जताते हुए सीएम योगी ने कहा कि मैं सबसे मिलता हूं। उन्होंने इच्छा जताई है और वो यदि मिलने आएंगे तो मैं उनसे मिलूंगा, इसमें कोई दिक्कत नहीं हैं’। इसके बाद योगी आदित्यनाथ कमलेश तिवारी के परिवार से भी मिले भी थे।

इन दोनों ही घटनाओं में भले ही ज्यादा समानता न हो परन्तु जिस तरह के परिदृश्य में ये घटनाएं हुई हैं उससे सवाल तो उठते ही हैं कि आखिर योगी आदित्यनाथ जब भी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए योजना के तहत काम करते हैं उसी वक्त इस तरह की घटनाओं को अंजाम देना कहीं न कहीं इसके राजनीतिक साजिश को भी उजागर करता है। कहीं न कहीं हिन्दुओं के नेता के तौर पर जाने जाने वाले नेता योगी आदित्यनाथ के छवि को भी धूमिल करने के प्रयास नजर आते हैं।

ये तो सभी को ज्ञात है कि योगी आदित्यनाथ जब भी चुनाव प्रचार करने के लिए मैदान में उतरते हैं उस राज्य का राजनीतिक समीकरण ही बदल जाता है। कर्नाटका, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ और हरियाणा जैसे राज्यों में हमें यह देखने को भी मिला है।  यकीन न हो तो आकंड़ों को ही देख लीजिये। भाजपा के देश व्यापी विजय अभियान में स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ने जहाँ भी चुनाव प्रचार किया है भाजपा को जीत मिली है। चाहे कोलकाता दक्षिण (पश्चिम बंगाल) हो या गांधीनगर (गुजरात), रुड़की हो या काशीपुर (उत्तराखंड), इसके अलावा असम, भुवनेश्वर (उड़ीसा), श्रीकालहस, पेद्दापल् येल्लारेड्डजीत (आंध्रपदेश) अम्बिकापुर, जांजगीर चंपा, नवापारा ( छत्तीसगढ़), मोतिहारी, मधुबनी, छपरा, पटना (बिहार ) श्रीगंगानगर , नागौर, पावटा, अलवर (राजस्थान ) जैसे कई राज्यों के शहरों में योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार किये और भाजपा को जीत मिली है। मतलब स्पष्ट है जहां-जहां योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के लिए प्रचार किया है वहां वहां बीजेपी फायदे में रही है. ऐसे में विपक्षी दलों का डरना लाजमी है।

योगी आदित्यनाथ की छवि एक महंत के तौर पर है जो कानून व्यवस्था को मजबूत बनाये रखने के लिए भी जाने जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं उनके चुनाव प्रचार पर ब्रेक लगाने के लिए इस तरह की घटनाओं को तो अंजाम नहीं दिया जा रहा ? और यदि ये सच है तो वास्तव में ये शर्मनाक है कि अपने राजनीति एजेंडे के लिए किसी निर्दोष को निशाना बनाया जा रहा है।

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