अपराध की दुनिया में अन्धेरा ही होता है, और अपराधी का कभी न कभी कानून के हाथ आना तय होता है। अगर हाल की घटनाओं पर गौर करें तो दिल्ली के कई बड़े और इनामी अपराधी UP या हरियाणा भागने की कोशिश करे रहे थे लेकिन ये सभी या तो पकड़े गए या फिर इनका एनकाउंटर हो गया। बीते दिनों से दिल्ली के जो हालात देखने को मिल रहे हैं अगर, उनपर गौर करें तो ऐसा लगता है कि आज कल अपराधियों के लिए दिल्ली सबसे सुरक्षित जगह बन गया है। परंतु जैसे ही अपराधी हरियाणा या उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों जाने की हिमाकत करते हैं वो कानून के शिकंजे से बच नहीं पाते। ऐसा ही कुछ एक बार फिर देखने को मिला जब दिल्ली से भागा एक आरोपी मोहम्मद शाहरुख उत्तर प्रदेश में पकड़ा गया।
दरअसल, कुछ दिनों पहले उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान पुलिस के सामने तमंचा लहराने वाला मोहम्मद शाहरुख आखिरकार बरेली से गिरफ्तार कर लिया गया है और इसे दिल्ली की स्पेशल टीम ने पकड़ा है। वहीं हरियाणा से भी खबर आई है कि दिल्ली के सबसे वांटेड गैंगस्टर में से एक जितेन्द्र गोगी गिरफ्तार हो चुका है। कुछ दिनों पहले ही यूपी पुलिस ने मोस्ट वांटेड और डेढ़ लाख का इनामी शिव शक्ति नायडू को मुठभेड़ में मार गिराया था। इस तरह से देखा जाए तो कई उदाहरण मिल जाएंगे।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के नए आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली शहर में प्रति लाख जनसंख्या पर 1,050 IPC के अपराध की घटनाएँ हुई थीं। यह राष्ट्रीय औसत दर 238 से चार गुना अधिक था। वहीं NCRB के डाटा के अनुसार दिल्ली में अकेले 1.70 लाख केस पेन्डिंग हैं जो कि देश में सर्वाधिक हैं। इतने केस में औसतन सिर्फ 20 प्रतिशत के ऊपर ही चार्जशीट दायर हुई है। यह भी पूरे देश में सबसे निम्न स्तर का है। यानि देखें तो दिल्ली में किसी भी अपराध को अंजाम देने वाले कुल अपराधियों में से केवल 20 प्रतिशत अपराधियों पर चार्जशीट दायर होती है, और अगर होती भी है तो केस पेंडिंग ही रह जाती है। दिल्ली में नाबालिगों द्वारा किए जा रहे अपराध दर में भी बढ़ोतरी आई है। वर्ष 2015 में यह संख्या जहां 2,366 था तो वहीं वर्ष 2017 में यह संख्या बढ़कर 2,965 तक हो गयी थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली किस तरह से अपराधियों के लिए सुरक्षित जगह बनती जा रही है।
ये अपराधी जैसे ही किसी दूसरे राज्य जाने की कोशिश करते हैं तो वे तुरंत पकड़े जाते हैं। ये अपराधी अभी भी यही सोचते हैं कि वे उत्तर प्रदेश में रह कर बच जाएंगे लेकिन होता बिल्कुल विपरीत होता है। या तो वे पकड़े जाते हैं या फिर एनकाउंटर में मारे जाते हैं। मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद मुठभेड़ों में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कम से कम 76 अपराधियों को मार गिराया गया है। UP सरकार द्वारा जारी एक डाटा के अनुसार पुलिस के अपराधियों के साथ लगभग 3,896 मुठभेड़ हुए और इस प्रक्रिया में 8,904 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इन अपराधियों में 76 अपराधी मारे गए, और 1,154 अन्य घायल हुए। योगी आदित्यनाथ की अपराध के प्रति ज़ीरो टोलरेंस की वजह से अपराधी खुद सरेंडर करने लगे। राज्य सरकार ने बताया कि 20 मार्च, 2017 और 15 मई, 2019 के बीच राज्य में कुल 15,170 अपराधियों ने स्वेच्छा से अदालतों में आत्मसमर्पण किया था। योगी सरकार ने सत्ता में आते ही सपा सरकार के गुंडाराज को अपने एनकाउंटर से तहस नहस कर दिया है।
दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान तमंचा लहराने वाला शाहरुख़ हो या इनामी शिव शक्ति नायडू इन सभी अपराधियों का UP में बचना नामुमकिन हो गया है। दिल्ली में बढ़ते क्राइम ग्राफ दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों के लिए चिंता की बात है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गयी तो ये अपराधी दिल्ली को 90 के दशक की मुंबई बना देंगे। दिल्ली पुलिस को संज्ञान लेते हुए UP पुलिस से सीख लेनी चाहिए। यूपी पुलिस ने अपराधियों से कड़े अंदाज में निपट कर एक बहुत अच्छी मिसाल कायम की है और इसके साथ ही दूसरे राज्यों की पुलिस के लिए एक मानक भी तय कर दिया है।