इन दिनों मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामा चल रहा है। कांग्रेस ने दावा किया है कि भाजपा कमलनाथ की सरकार को गिराने पर तुली हुई है, जिसके लिए उन्होंने गुरुग्राम में 8 विधायकों को बंधक बना लिया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता तरुण भानोट के अनुसार इन विधायकों को भाजपा द्वारा गुरुग्राम के होटल में बंधक बनाया था। चार विधायक कांग्रेस पार्टी से थे, दो बहुजन समाज पार्टी से, एक समाजवादी पार्टी से और एक निर्दलीय विधायक इस ग्रुप में शामिल थे। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने तो भाजपा पर खरीद फरोख्त और विधायकों को बंधक बनाने का दावा भी किया।
पर कांग्रेस को ऐसे ऊटपटांग बयान देने की क्या आवश्यकता पड़ गयी? आखिर आठ विधायकों के गुरुग्राम में एक होटल में पाए जाने पर उनकी सांसें क्यों अटकी हुई है? दरअसल, पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद 15 से ज़्यादा विधायकों ने कर्नाटक कांग्रेस के खिलाफ बगावत करते हुए कांग्रेस और जेडीएस की सरकार से नाता तोड़ लिया, जिसके कारण विश्वास मत में भाजपा को विजय प्राप्त हुई और उपचुनाव में प्रचंड बहुमत प्राप्त करते हुए भाजपा ने कर्नाटक में पूर्ण बहुमत से सरकार बना ली। ऐसे में कांग्रेस को डर है कि कहीं एक बार फिर उनके हाथ से सत्ता छिन न जाए।
बता दें कि कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराते हुए 15 वर्षों बाद सत्ता में स्थान प्राप्त किया था। परंतु सरकार को सत्ता में रहे अभी एक वर्ष ही पूरा हुआ है, और कांग्रेस में अंतर्कलह जनता के समक्ष उजागर हो चुकी है। एक ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से मोर्चा संभाले हुए हैं, दूसरी ओर पार्टी की खिचड़ी सरकार के कुशासन के कारण जनता भी काफी आक्रोश में है। फिलहाल, कांग्रेस 114 विधायकों के साथ सदन में सबसे बड़ी पार्टी है, और वे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कुछ निर्दलियों के साथ अपनी सरकार चला रही है।
परंतु यह समस्या अभी हाल ही में उत्पन्न नहीं हुई है। पिछले कई महीनों से मध्य प्रदेश कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आई है। हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के विरुद्ध मोर्चा खोलने की धमकी दी थी। सिंधिया के अनुसार कमल नाथ ने कर्ज माफी और गेस्ट टीचर्स की स्थायी नियुक्ति के अपने वादों पर कोई काम नहीं किया, और आवश्यकता पड़ने पर वे कमलनाथ के विरुद्ध सड़क पर उतरने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। इस पर जब कमलनाथ से जवाब मांगा गया तो उन्होंने बिना किसी शर्म के कहा, “यदि वे इतने ही इच्छुक हैं तो उतर जाएं!”
#WATCH Madhya Pradesh Chief Minister Kamal Nath on being asked about Congress leader Jyotiraditya Scindia's statement of taking to streets over not fulfilling the state government's promise of waiving off farmers loan in the state: Toh utar jayein. pic.twitter.com/zg329BJSw0
— ANI (@ANI) February 15, 2020
परंतु यह खेल यहीं पर खत्म नहीं होता। वरिष्ठ भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा की मानें तो 15-20 कांग्रेसी विधायक उनके संपर्क में हैं और वे कमलनाथ सरकार के काम से काफी रुष्ट हैं। नरोत्तम के अनुसार,
“मध्य प्रदेश के 15-20 कांग्रेस के विधायक हमारे संपर्क में हैं। विधायक जनता का काम नहीं करवा पा रहे हैं और इसीलिए उनमें अपनी ही पार्टी के प्रति असंतोष व्याप्त है। कांग्रेस अभी भी दावा कर रही है कि राज्य में उसकी सरकार पर कोई संकट नहीं है पर मेरे मायने में जनता के प्रति जवाबदेही पूरी न कर पाने का कारण वो कांग्रेस से नाराज़ हैं”।
कांग्रेस को भी आभास हो चुका है कि अब मध्यप्रदेश में उनका तिकड़म ज़्यादा दिन नहीं चलने वाला। इसीलिए उन्होंने भाजपा के विरुद्ध खरीद-फरोख्त का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। सोमवार को दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि भाजपा के नेता उनके विधायकों को अच्छी ख़ासी रकम देकर कमलनाथ की स्थिर सरकार को गिराना चाहते हैं। इस पर शिवराज सिंह चौहान ने प्रत्युत्तर में कांग्रेस के अंतर्कलह पर भी प्रकाश डाला हुए कहा-
“कांग्रेस सरकार अपनी ही बोझ नहीं संभाल पा रही है और खुद के बोझ से ही उसकी सरकार चरमराकर गिर पड़े तो उसमें हम क्या कर सकते हैं? यह तो उनके घर का मामला है”।
कांग्रेस सरकार अपना ही बोझ नहीं संभाल पा रही है और खुद के बोझ से ही उसकी सरकार चरमराकर गिर पड़े तो उसमें हम क्या कर सकते हैं? यह तो उनके घर का मामला है। pic.twitter.com/B6BimYe546
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) March 4, 2020
कुल मिलाकर अब मध्य प्रदेश में हालात पहले जैसे नहीं हैं। लोग अभी भी शिवराज सिंह चौहान की सरकार को भूले नहीं हैं, और उन्हें जल्द से जल्द एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। ऐसे में कमलनाथ की खिचड़ी सरकार का भविष्य अब पूर्ण रूप से संशय में है।