आखिर हार की स्वीकार : काफी ड्रामे और इनकार के बाद, कमलनाथ को अंत में हथियार डालना पड़ा

चलो कुछ तो अच्छा किया

कमलनाथ

मध्य प्रदेश की राजनीति में चल रही उठा पटक में आज एक नया मोड़ आ गया जब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया। पिछले कुछ दिनों से चले आ रहे सियासी घमासान के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जहां शुक्रवार शाम को कमलनाथ सरकार को फ्लोर टोस्ट देने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, उससे पहले ही कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अपने इस्तीफा देने का ऐलान कर डाला।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट से आज शाम पांच बजे तक गुजरने का आदेश दिया था। इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गर बागी विधायक फ्लोर टेस्ट के लिए विधानसभा आना चाहते हैं तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश के डीजीपी उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कराए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने को भी कहा था। कोर्ट ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि विधानसभा का एकमात्र एजेंडा बहुमत साबित करने का होगा और किसी के लिए भी बाधा उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए।

बता दें कि पिछले दिनों से मध्य प्रदेश की राजनीति में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। यह सारा खेल कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ था। इसके बाद उनका समर्थन करने वाले विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था। अब सिंधिया भाजपा में शामिल हो चुके हैं। 11 मार्च को कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के विधायक के पद से अपना त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ। इनमें से 6 के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत स्वीकार कर लिया था, जबकि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे एक दिन बाद मंजूर हुए थे। इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी विधायक वर्तमान में बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं।

वास्तव में, कांग्रेस के मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं और मध्य प्रदेश के विधायकों ने अपने बागी विधायकों को वापस कांग्रेस में शामिल करने के लिए में बेंगलुरु भी गए। कांग्रेस नेताओं में से दिग्विजय सिंह और मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, तरुण भनोट, जीतू पटवारी, हर्ष यादव और सुरेंद्र सिंह, हनी बघेल धरना देने पहुंचे थे लेकिन इन सभी को पुलिस ने उस होटल में प्रवेश करने से रोक दिया, जहां बागी विधायक ठहरे थे।

इस स्थिति में कमलनाथ के पास बहुमत नहीं था और वो चाहते थे की फ्लोर टेस्ट न हो। इसी कारण से कांग्रेस पार्टी ने मिलकर विधानसभा को कोरोना का कारण दे कर स्थगित कर दिया था। वैसे फ्लोर टेस्ट से पहले ही दिग्विजय सिंह ये कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास नंबर कम हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने पहले कमलनाथ सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। हालांकि, इसके बाद कोरोना वायरस का हवाला देते हुए स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के इस फैसले को पलटते हुए शुक्रवार को 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया।

हालांकि, कमलनाथ ने तो इस्तीफा दे दिया है लेकिन वह भी कम नहीं है और उन्होंने अपने प्रेस कांफ्रेंस में एक ऐसा बयान दिया जिससे सभी अब भविष्य की अटकले लगाने लगेंगे। कमलनाथ ने बयान देते हुए राज्य में भविष्य की राजनीति और बीजेपी से बदले का संकेत दिया। कमलनाथ ने कहा, विधायकों को कौन कर्नाटक ले गया। किसने पैसा दिया। आज के बाद कल भी आएगा और कल के बाद परसों भी आता है। परसों तो आएगा ही। सियासी जानकार कमलनाथ के इस बयान के कई मायने निकाल रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ तो इसे बीजेपी के लिए संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। अब देखना यह है कि आगे क्या होता है। भाजपा सरकार बनाती है या फिर अभी और इंतज़ार करना होगा।

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