भारत यूं ही नहीं विश्व गुरु कहा जाता है। आज जब कोरोना से दुनिया के अधिकतर देश जूझ रहे हैं तब भारत न सिर्फ अन्य देशों की मदद कर रहा है बल्कि इस वायरस से लड़ने के लिए सभी देशों को एकजुट कर नेतृत्व कर रहा है। पहले तो कल यानि रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने SAARC देशों को एक साथ आने का आह्वान किया और 1 करोड़ डॉलर की पेशकश की।
Someone comes, hands over Pakistan's representative @zfrmrza a sheet in live broadcast of #SAARC conference to fight #CoronavirusOutbreak. The representative, advisor to Pak PM Imran Khan sitting along SAARC leaders Video conf., reads out a pre written script, raking Kashmir pic.twitter.com/oPAyQZAkJ9
— Sidhant Sibal (@sidhant) March 15, 2020
उसके बाद उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने के लिए G 20 देशों के बीच संयुक्त रणनीति बनाने का प्रस्ताव दिया है। पीएम मोदी का कोरोना से लड़ने के लिए सभी देशों को एकजुट करना दिखाता है कि न सिर्फ वो भारत के सबसे बड़े statesman में से एक हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उनका कोई मुक़ाबला नहीं है।
I propose we create a #COVID19 Emergency Fund. This could be based on voluntary contributions from all of us. India can start with an initial offer of 10 million US dollars for this fund: PM @narendramodi to #SAARC leaders#CoronaIndia #CoronaOutbreak
▶https://t.co/eyudHUOhfC pic.twitter.com/UboHq63JR6
— PIB India (@PIB_India) March 15, 2020
दरअसल, PM Modi ने एक और कूटनीति का परिचय देते हुए कोरोना से लड़ने के लिए G-20 देशों का आह्वान कर दिया। इसकी पुष्टि ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने रविवार को की। प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए मॉरिसन ने कहा कि उनका देश इस पहल का हिस्सा बनना चाहेगा।
Watch: Australian PM @ScottMorrisonMP says Prime Minister Modi is "keen to organise a link up between all the G20 leaders" to fight #CoronaVirus & "I think that's, I think that's a commendable initiative" pic.twitter.com/LtyyUuOYXB
— Sidhant Sibal (@sidhant) March 15, 2020
बता दें कि पीएम मोदी ने ठीक ऐसी ही पहल को लेकर सार्क देशों के बीच प्रस्ताव रखा था जिसका भारत खुद एक महत्वपूर्ण सदस्य है। मॉरिसन ने कोरोना वायरस से निपटने की तैयारियों को लेकर पत्रकारों से रविवार को कहा, ‘मैं इस बात से भी अवगत हूं कि पीएम मोदी जी-20 देशों के बीच सामंजस्य बनाने को उत्सुक दिख रहे हैं। मेरे ख्याल से यह सराहनीय प्रयास है। ऑस्ट्रेलिया निश्चित रूप से इसका समर्थन करता है और यह संदेश भेजा जा चुका है।’ मॉरिसन ने कहा, ‘यह एक स्वास्थ्य संकट है लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है।’
यह जानना आवश्यक है कि जी-20 देशों में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपी संघ हैं। इनमें कोरोना का केंद्र चीन तो शामिल है ही साथ ही वे देश भी हैं जहां कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। इसलिए इस वायरस से लड़ने में G-20 देशों के एक साथ आने पर कोरोना से निपटने के लिए रणनीति बनाई जा सकती है।
बता दें कि भारत ने पहले तो सभी देशों को एक-एक कर मदद पहुंचाई। चाहे वो ईरान को लैब प्रदान करना हो या मालदीव में विशेषज्ञों और डॉक्टरों की टीम भेजनी हो या फिर इज़राइल को जरूरी वस्तुओं और खाद्य पदार्थों को भेजना हो, भारत ने सभी की मदद की। जब पीएम मोदी ने देखा की यह वायरस अपनी प्रकोप बढ़ाता जा रहा है और एक-एक कर इससे नहीं निपटा जा सकता, तो उन्होंने पहले दक्षिण एशिया में बने SAARC के देशों का आह्वान कर सभी को कोरोना से निपटने के लिए बुलाया। सभी शामिल भी हुए और सभी ने PM Modi के इस नेतृत्व की प्रशंसा भी की।
अगर देखा जाए तो यह दुनिया के कूटनीतिक इतिहास में SAARC के इस वेब-समिट को अभूतपूर्व कदम के तौर पर देखा जाएगा। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे त्शेरिंग, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और पाकिस्तान के स्वास्थ्य राज्य मंत्री जफर मिर्जा ने भी एक के बाद एक अपनी बात रखी और महामारी पर नियंत्रण के लिए अपने देश में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि दक्षेस सदस्य वायरस वाहकों का एक एकीकृत डिजिटल डेटाबेस बना सकते हैं। मोदी ने भविष्य के लिए दक्षिण एशिया के भीतर महामारी के नियंत्रण के लिए एक साझा अनुसंधान मंच स्थापित करने की भी पेशकश की।
कोरोनावायरस से निपटने के लिए भारत सरकार ने अब तक जो भी कदम उठाए हैं, वो विश्व-स्तरीय हैं और इसी का नतीजा है कि भारत में बड़ी आबादी होने के बावजूद यह वायरस ज़्यादा लोगों में फैल नहीं पाया है। इस महामारी के समय में भारत सिर्फ अपने लोगों की ही नहीं, बल्कि दुनिया की चिंता कर रहा है और उनकी मदद के लिए आगे आ रहा है।
अब विश्व के प्रमुख देशों का आह्वान कर प्रधानमंत्री मोदी ने दिखा दिया है कि वे आज के समय में विश्व के सबसे बड़े statesman हैं, जो इस महामारी के समय में जब सभी देश अन्य देशों से अलग-थलग पड़ रहे हैं तब विश्व के देशों को एकजुट कर रहे हैं।
इस वायरस के फैलने के डर से अधिकतर देश अपने बार्डर को बंद कर चुके हैं जिससे अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है। पर PM Modi के इस आह्वान से जरूर कुछ न कुछ हल निकलेगा और जन-जीवन को पुनः रास्ते पर लौटने में मदद मिलेगी।
इन फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि दुनिया को भारत के नेतृत्व में विश्वास है और भारत इस मुश्किल की घड़ी में दुनिया के साथ खड़ा होकर अपनी विश्व गुरु की भूमिका बखूबी निभा रहा है।