रविवार को यानि 22 फरवरी को जब 5 बजे भारतवासी प्रधानमंत्री के आह्वान पर अपने घरों से तालियाँ और थालियां बजा कर डाक्टरों सहित सभी आपातकालीन सेवा के कर्मचारियों को धन्यवाद कर रहे थे, तब देश के कुछ युवा जिन्हें समान्यतः woke कहा जाता है, ट्विटर और Instagram पर अपने माता-पिता को गालियां दे रहे थे क्योंकि वे पीएम मोदी के एक आह्वान पर उनकी बात मान रहे थे।
भारत युवाओं का देश है और युवा किसी भी देश का भविष्य होते हैं लेकिन भारत में इसी युवा वर्ग में कुछ ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जिनकी जुबान मोदी के फासिस्ट होने से शुरू होती है और F शब्द से खत्म होती है। पीएम मोदी से नफरत करने वाला ये वर्ग अब अपने माता पिता से भी नफरत करने लगा है। रविवार को भी इसका नमूना देखने को मिला।
कुछ ने तो इतनी भद्दी गलियाँ लिखी कि उसे इस लेख में नहीं लिखा जा सकता है। कुछ ऐसे भी युवा थे जिन्होंने अपने माता-पिता को थाली बजाने के दौरान बालकनी में ही बंद कर दिया और खुश होकर ये ट्वीट भी कर दिया।
ये वही युवा वर्ग है जो अपने माता-पिता को भी गाली देने में नहीं हिचकिचाता। ये युवा अपने freedom of Expression की बात तो करेंगे लेकिन अगर यही बात उनके पेरेंटस करेंगे तो वे उन्हें मोदी भक्त कह कर संबोधित करेंगे। ये अपने पिता या किसी बड़े को भद्दी से भद्दी गलियाँ लिखेंगे लेकिन अगर कोई इनका विरोध कर दे तो वो इनके लिए भक्त और संघी हो जाता है।
https://twitter.com/MiishNottyAna/status/1241735340274089984?s=20
भारत में युवाओं की इस बदलती मानसिकता का मुख्य कारण अज्ञानता और अपने पिता से अधिक Instagram पर भरोसा है। आज के ये युवा या woke generation किताबें कम और Instagram पर अधिक भरोसा करे हैं जहां पर सिर्फ फ़ासिज़्म और मोदी विरोध इनके दिमाग में ठुसा जाता है। ये नफरत दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। हालत यहाँ तक आ पहुंची है कि अब ये वर्ग अपने पिता को मोदी के पक्ष में वोट नहीं देने देना चाहता है। दिल्ली की एक खबर भी सामने आई थी जिसमें एक युवा ने अपने पिता को कमरे में बंद कर दिया था जिससे वे पीएम मोदी को वोट नहीं कर पाये।
अपने माता पिता को भगवान मानने वाली भारतीय सभ्यता में इस तरह व्यवहार आखिर आया कहाँ से जो आज ये अपने माता पिता के पीछे पड़े हुए हैं और इन्हें अपनी हिप्पोक्रेसी का पता भी नहीं है। ये सब शुरू होता है Instagram से जहां पर इनके दिमाग में भारत विरोध और पाश्चात्य प्रेम का पाठ फोटो, meme और वीडियो के जरीए भरा जाता है। वर्षों से विकृत इतिहास और मीडिया में फैलाये जा रहे दुष्प्रचार के कारण आज के भारतीय युवाओं में हीन भावना समाहित हो चुकी है और वे किसी भी भारतीय चीज़ की तुलना सबसे पहले पश्चिमी देश से करते है। ऐसे ही इन्स्टाग्राम पर प्रधानमंत्री को नाजी कहना एक प्रचलन बन गया है। इस विषैले प्रोपोगेंडे ने इंका दिमाग इस प्रकार से दूषित किया है कि कोरोना जैसे महामारी के समय में भी इन्हें यह नहीं दिखा कि धन्यवाद देने और शंख बजाने का क्या महत्व है। ऐसा नहीं है कि यह एक दिन में हुआ हो। यह मानसिकता वर्षों पढ़ाये जा रहे विकृत इतिहास का ही देन है कि इन्हें भारत वर्ष के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है लेकिन पोस्ट तो ऐसे लिखेंगे जैसे कितने बड़े ज्ञानी हैं। इस woke generation को रामायण और राम चरित मानस का अंतर भी नहीं पता होता है।
CAA, NRC और कश्मीर पर तो इन लोगों ने रायता फैलाया हुआ था। दरअसल, इन्स्टाग्राम पर cool बनने के चक्कर में यह आम बात हो चुकी है कि वे मोदी का विरोध करे, चाहे कुछ भी हो। उनका यही कहना है कि इस कॉमेडियन ने विरोध किया है तो जरूर सही ही होगा। इस woke generation के लिए अब कॉमेडियन ही बेंचमार्क रह गए है जो संविधान का ‘स’ भी नहीं जानते है। इन युवाओं को यह भी नहीं पता होता कि वे कॉमेडियन उनका इस्तेमाल कर बस पैसे कमाते है।
मोदी विरोध करते करते ये युवा कब अपने माता पिता से नफरत करने लगे ये इन्हें भी पता नहीं चला होगा। आज ऐसा लगता है कि इनके लिए परिवार से अधिक महत्व राजनीतिक विचारधारा हो चुकी है। अगर अपने परिवार के किसी सदस्य से आपकी विचारधारा भिन्न है तब भी आप उसपर गालियों की बौछार करते हुए उसे किसी कमरे में तो नहीं बंद कर सकते। ऐसे ही लोग फिर बाहर जा कर प्लेकार्ड लेकर अभिव्यक्ति की आजादी के नारे लगाएंगे। यह किस तरह की हिपोक्रेसी है?
देश का भविष्य इन woke generation हाथों में अगर चली गयी तो वह दिन दूर नहीं जब भारत भी पश्चिमी देशों की तरह बेतरतीब और बेलगाम हो जाएगी। उसके बाद भारत में भी वहीं समस्या होने लगेगी जिससे आज पश्चिमी देश त्रस्त हैं और भारतीयता को अपना रहे हैं।
https://twitter.com/smyltr/status/1233392077515345920?s=20
Wokes have captured Instagram.
If you are on Instagram, then do follow this page. pic.twitter.com/oX8Kt7vb3D— Kushal Kumar Sinha (@KushalSinha001) March 3, 2020
Saying it again, the entire #Aarey movement was a hogwash. The activists have vanished. Their woke leaders are in power and silent. The only victim – ordinary Mumbaikars as the decision on Metro car shed is delayed. Result – metro project in limbo https://t.co/DThcZYeEjU
— Smita Deshmukh🇮🇳 (@smitadeshmukh) March 16, 2020