बुर्के वाली पत्थरबाज- दिल्ली की पत्थर फेंकने वाली आतंकी महिलाएं

सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है

नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में दिल्ली में हुई हिंसा में पुलिस पर पथराव का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें बुर्का पहने कुछ आतंकी महिलाएं अन्य लोगों के साथ मिलकर पुलिस पर बड़ी ही बेरहमी से पत्थरबाजी करती दिखाई दे रही हैं। यह वीडियो चांदबाग इलाके का है जहां पर शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा बुरी तरह घायल हो गए थे और यहां तक कि उनके दिमाग के बाएँ हिस्से में भी गहरी चोटें आई है। पुलिस उग्र लोगों को समझाने के लिए उनके पास गयी थी। उससे पहले इन दंगाइयों ने सड़क को भी जाम कर दिया था। हालांकि, तुरंत इसके बाद आतंकी महिलाओं की एक भीड़ सड़क पर आई और उन्होंने पुलिस पर ताबड़तोड़ हमला करना शुरू कर दिया। DCP अमित शर्मा को भीड़ से बचाने में ACP अनुज शर्मा भी बुरी तरह घायल हो गए और इससे पहले ऐसी ही एक आतंकी भीड़ ने कॉन्स्टेबल रतन लाल शर्मा की हत्या की थी।

इस पूरे मामले पर अब अमित शर्मा की पत्नी का भी बयान सामने आया है। उनकी पत्नी पूजा शर्मा के मुताबिक “24 फरवरी को जब मेरे पास कॉल आया तब मुझे बताया गया था कि अमित को थोड़ी चोट लगी है। लेकिन उसके बाद जब हम हॉस्पिटल पहुंचे तब पता चला कि अमित की हालत बहुत गंभीर है। अमित टूट चुके थे, वो मुझे अपने बच्चों का ख्याल रखने के लिए बोल रहे थे। उस घटना के बाद हम अमित से उसके बारे में बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन वो कह रहे हैं कि मैं वहां शांति बनाने गया था, लेकिन वहां प्रदर्शनकारियों की भीड़ कब उग्र हो गई पता नहीं चला। मैंने उन पर हुए हमले के वीडियो अभी नहीं देखे हैं। हम पुलिस वाले हमेशा पब्लिक की सेवा में खड़े रहते हैं लेकिन वो हम पर हमला क्यों करते हैं”।

जो लोग भारत में लगातार मुस्लिमों पर बड़े खतरे की बात कह रहे हैं, और जो लोग दिल्ली में हुई हिंसा को “मुस्लिम विरोधी हिंसा” का रंग देने में लगे हुए हैं,उन सब के मुंह में इस मामले पर मानो दही जम गयी है। कोई भी शख्स अगर इस वीडियो को देखेगा तो भली भांति समझ जाएगा कि कौन सा समुदाय पीड़ित है और कौन सा समुदाय खतरे में है। इतने बड़े पैमाने पर हिंसा करते तो कभी महिलाओं को नहीं देखा गया था, इस वीडियो को देखकर कोई आसानी से समझ सकता है कि महिलाएं भी पुरुषों के समान ही क्रूर और आतंकी साबित हो सकती है। और सिर्फ एक ही नहीं, ऐसी कई वीडियो हैं जो यह दर्शाती हैं कि किस तरह “शोषित” समुदाय वर्ग की महिलाएं अपनी “बेचारगी” का सड़कों पर प्रदर्शन करती हैं।

https://twitter.com/shaksingh/status/1232357580606857216?s=20

ऐसा ही एक वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें यह दिखाने का प्रयास किया गया कि पुलिस ने महिलाओं पर ज्यादती की और एक महिला के सिर पर पुलिस ने इतने ज़ोर से डंडा मारा कि उसे डॉक्टर के पास जाकर टांके लगवाने पड़े। वीडियो को देखने से एक बार तो यही अहसास होता है कि दिल्ली में पुलिस ने महिलाओं पर भी डंडे बरसाए हैं।

https://twitter.com/PoliticalKida/status/1232379813878353921?s=20

लेकिन इसी महिला का दूसरा वीडियो भी है जो दिल्ली हिंसा के सच को उजागर करता है। सच उजागर करने वाला वीडियो तब का है, जब इसी महिला के सिर से खून बह रहा है और उसे घर में ही दो तीन अन्य महिलाओं ने संभाल रखा है। तब यह महिला बड़े गर्व के साथ कह रही है कि उसने पुलिस वाले पर पत्थर फेंके हैं। उसके मुताबिक “जब वह पत्थर फेंक रही थी, तभी पैर फिसलने से नाले में गिर गई, जिससे उसके सिर में चोट आई है”।

हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि महिलाओं द्वारा पत्थर मारे जाने को भी महिला सशक्तिकरण से जोड़ दिया गया है। बुर्का पहनी ये महिलाएं देश में मानों नारिवाद का प्रतीक बन चुकी हैं। जबकि सच्चाई यह है कि ये महिलाएं किसी भी दृष्टि से आतंकियों से कम नहीं हैं।

ये आतंकवादी महिलाएं इतनी ज़्यादा कट्टर हो चुकी हैं कि इन्हें इस बात का आभास है ही नहीं कि CAA कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। इन्हें बस इतना पाठ पढ़ाया गया है कि CAA से इनका दीन खतरे में आ जाएगा। शाहीन बाग में भी हम कुछ ऐसा ही देख चुके हैं, जहां महिलाओं ने बच्चों के साथ बैठकर महीनों तक सड़कों को जाम करे रखा।

इन सब से यह स्पष्ट हो जाता है कि जिहाद फैलाने में पुरुषों के साथ ही अब भारत की मुस्लिम महिलाओं ने भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन शुरू कर दिया है, और दिखा दिया है कि वे भी पुरुषों से कम कट्टर नहीं हैं। मीडिया तो इन महिलाओं के बखान में ही लगी है लेकिन देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा संकेत है और बड़ा खतरा है। अब इन कट्टर महिलाओं को लेकर भी समाज में जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है।

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