पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों के संबंध में संसद में काफी तीखी बहस हुई। जहां एक ओर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस को उसकी खोखली दलीलों के लिए आड़े हाथों लिया, तो वहीं तेजस्वी सूर्या ने दो कदम आगे बढ़कर सीएए विरोधी दंगों का सारा दोष भाजपा पर मढ़ने वाली कांग्रेस और पूरे विपक्ष की जमकर क्लास लगाई।
संसद में दिल्ली के दंगों के संबंध में काफी चर्चा हुई। इस दौरान कई मिथकों को धराशायी किया गया और लिबरल ब्रिगेड जिन तथ्यों को सबसे छुपाना चाहता था, वो भी उजागर हुआ। तेजस्वी सूर्या ने इसी परिप्रेक्ष्य में उजागर किया कि कैसे धर्म के नाम पर कई महिलाओं को इस्लामी कट्टरपंथियों ने अपनी ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया।
इस चर्चा के दौरान विपक्ष ने कपिल मिश्रा के कथित ‘हेट स्पीच’ का मुद्दा उठाने का भरपूर प्रयास किया और वर्तमान सरकार को दिल्ली में हुए दंगों के लिए दोषी ठहराने का प्रयास किया। इसपर तेजस्वी सूर्या ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि पिछले दो महीनों से कई कट्टरपंथी नारों की गूंज सुनाई दी है, जिसमें ‘जिन्ना वाली आज़ादी’, ‘हिंदुओं से आज़ादी’, ‘काफ़िरों की आज़ादी’ प्रमुख है। स्पष्ट शब्दों में तेजस्वी सूर्या ने कहा, “सीएए मुस्लिम विरोधी तो नहीं है, पर पर ये प्रदर्शन निस्संदेह हिन्दू विरोधी थे।”
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अपनी बात पर थोड़ा प्रकाश डालते हुए तेजस्वी सूर्या ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों में लगाये गये नारे ‘तेरा मेरा रिश्ता क्या? ला इलाह इल्लाल्लाह’ का हवाला भी दिया। तेजस्वी सूर्या ने बिना किसी लाग लपेट के बताया कि कैसे इन सांप्रदायिक लोगों को मासूम लोगों के तौर पर चित्रित करने में विपक्ष समेत कई बुद्धिजीवियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
सीएए विरोध प्रदर्शन के नाम पर जिस तरह से अफवाहें फैलाई गयीं उस पर प्रकाश डालते हुए तेजस्वी सूर्या ने कहा कि ‘ये वही लोग हैं, जिनके लिए भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाने वाले पुलिस बर्बरता से पीड़ित हैं, और कई बुद्धिजीवी तो इन राष्ट्रद्रोहियों को ‘शीरोज़’ तक बुलाने लगे’। परंतु तेजस्वी यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने काँग्रेस की कलई खोलते हुए उनके पूर्ववर्ती सरकारों के अंतर्गत हुए दंगों और सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, “पिछले कुछ वर्षों में मैंने देखा है और समझा है कि कैसे काँग्रेस riot engineering में विशेषज्ञ बन चुकी है। सीएए जब संवैधानिक रूप से पारित हुआ तो कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने एक भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि ये आर और पार की लड़ाई है और आप सभी लोग इसके खिलाफ लड़े। इसके अगले ही दिन शाहीन बाग में प्रदर्शन शुरू हो जाते हैं। जेएनयू से लेकर जामिया तक हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये। इस दौरान जो नारे सुने गये वो तो बेहद शर्मनाक थे”।
इसके अलावा उन्होंने हर्ष मन्दर का भी उदाहरण दिया, जिनके भारत विरोधी बयानों और उनके अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के उजागर होने के कारण इन दंगों को भड़काने में उनकी भूमिका भी उजागर हुई है। वो दिल्ली की सड़कों पर उतरते हैं भीड़ को उकसाते हैं और हर्ष मन्दर ने कपिल मिश्रा के विरुद्ध एक झूठा केस दिल्ली हाई कोर्ट में दायर किया था, और यही हर्ष मन्दर कहते हैं कि उन्हें मामला अब अपने हाथों में लेना होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उन्हें न्याय नहीं दिला सकता। फिर यही हर्ष मंदर कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं और हिन्दुओं पर ही हमला बोलते हैं।
इसी भांति तेजस्वी सूर्या ने ये भी बताया कि कैसे इन सीएए विरोधी प्रदर्शनों का एक ही उद्देश्य था – भारत की छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिगाड़ना। उन्होंने उमर खालिद के भाषण का उदाहरण देते हुए अपनी बात को स्पष्ट किया। उन्होंने द पायनियर के पत्रकार जे गोपीकृष्णन के आरोप का भी हवाला दिया और बताया कि कैसे भारत विरोधी लेख लिखने के लिए उन्हें 1500 अमेरिकी डॉलर का ऑफर दिया था।
तेजस्वी सूर्या ने जो भी बातें कही हैं, वो मेनस्ट्रीम मीडिया और लुटियंस दिल्ली के एलीट वर्ग जनता से छुपाने में लगी हुई थी। परंतु जिस तरह से तेजस्वी सूर्या ने संसद में विपक्ष समेत ऐसे अवसरवादियों की धुलाई की है, उससे कई अनकही बातें सामने आई है।
वैसे ये पहली बार नहीं है इससे पहले भी तेजस्वी सूर्या ने अपने भाषणों से विपक्ष की बोलती बंद की है। हाल ही में टाइम्स नाउ के समिट में लेफ्ट लिबरल के प्रोपेगेंडे की धज्जियां उड़ाकर हिंदुत्व के महत्व को समझाते हुए उन्होंने खूब सुर्खियाँ बंटोरी थीं। कुल मिलाकर तेजस्वी सूर्या ने विपक्ष को अपने तथ्यों और वक्तव्य से इस बार छठी का दूध याद दिला दिया है।