चीन के वुहान शहर से पूरी दुनिया में फैले कोरोनावायरस को जब से दुनिया ने वुहान वायरस या चीनी वायरस बोलना शुरू किया है, तभी से चीन की साँसे फूली हुई हैं। वैश्विक मीडिया के एक हिस्से से लेकर कुछ वैश्विक नेताओं तक, सभी ने कोरोना वायरस की बजाय अब इस वायरस को चीनी वायरस का नाम देना शुरू कर दिया है। हालांकि, यह चीन को बिलकुल भी पसंद नहीं आ रहा है और यही कारण है कि अब उसने “चीनी वायरस” नाम के प्रयोग के खिलाफ भारत के सामने दलील पेश की है, और भारत से विनती की है कि भारत को चीनी वायरस शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे चीन का नाम खराब हो रहा है।
कल यानि मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई। बातचीत में चीनी पक्ष ने भारत से अनुरोध किया कि वे चीनी वायरस जैसे शब्द के उपयोग से बचें और ऐसा करना संकुचित मानसिकता को दर्शाता है। चीन सरकार का कहना है कि बेशक इस वायरस का सबसे पहला मामला चीन से सामना आया था लेकिन इस बात के कोई सबूत नहीं है कि इसका उद्भव वहीं से हुआ है। ऐसे में अब चीनी सरकार पूरी दुनिया में यह माहौल बनाने की कोशिश कर रही है कि यह वायरस चीन से नहीं बल्कि कहीं और से फैला और चीन भी अन्य देशों की तरह ही इसका शिकार बना।
भारत में मौजूद चीनी राजनयिक सुन वीडोंग ने मंगलवार शाम ट्वीट करके कहा, ‘वांग यी ने कहा कि इस वायरस को लेबल करके चीन को कलंकित करना स्वीकार्य नहीं है और यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए हानिकारक है। उम्मीद है कि भारत इस संकुचित मानसिकता का विरोध करेगा। डॉक्टर जयंशकर इस बात के लिए राजी हो गए कि वह वायरस को लेबल न करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एकजुटता का एक मजबूत संकेत भेजेंगे।‘
बता दें कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोनावायरस के लिए चीनी वायरस शब्द का प्रयोग कर चुके हैं। एक महिला रिपोर्टर ने जब ट्रम्प से इसको लेकर सवाल पूछा था तो ट्रम्प ने उस रिपोर्टर को जवाब दिया था “यह चीनी वायरस ही है। यह नस्लभेदी नहीं है। मुझे इस देश के सब नागरिकों से प्यार है, लेकिन चीन ने इस वायरस की ज़िम्मेदारी अमेरिकी सैनिकों पर डालने की कोशिश की। यह नहीं चलने वाला, जब तक मैं राष्ट्रपति हूँ, यह नहीं चलने वाला”।
President @realDonaldTrump explains why he says "Chinese Virus"
"China tried to say…[Coronavirus] was caused by American soldiers. That can't happen. It's not going to happen as long as I'm president. It comes from China." pic.twitter.com/E1PYxtr8Rm
— Team Trump (Text TRUMP to 88022) (@TeamTrump) March 18, 2020
यह वायरस चीन से फैला, इसमें किसी को कोई शक नहीं है, लेकिन अब जैसे-जैसे चीन इस महामारी पर काबू पाता दिखाई दे रहा है, वैसे वैसे उसने इस वायरस की ज़िम्मेदारी अमेरिका पर डालना शुरू कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन का दावा है कि अमेरिकी सेना अक्टूबर 2019 में वुहान, मध्य चीन के हुबेई प्रांत में कोरोनोवायरस लायी थी। उन्होंने दावा किया कि एक शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ मृत फ्लू रोगियों पर कोरोनोवायरस संक्रमण का पता लगाया था।
Some #influenza deaths were actually infected with #COVID-19, Robert Redfield from US #CDC admitted at the House of Representatives. US reported 34 million cases of influenza and 20,000 deaths. Please tell us how many are related to COVID-19? @CDCDirector pic.twitter.com/vYNZRFPWo3
— Lijian Zhao 赵立坚 (@zlj517) March 12, 2020
चीन द्वारा अमेरिका पर वुहान वायरस की ज़िम्मेदारी डालने से इतना तो तय है कि चीन अब दुनिया के आक्रोश से घबरा चुका है और उसे डर है कि कहीं दुनिया पर उसका प्रभाव खत्म ना हो जाये। इसीलिए अब चीन “चीनी वायरस” शब्द के प्रयोग को हतोत्साहित करने में लगा है। भारतीयों में भी पिछले कुछ समय से कोरोनावायरस को चीनी वायरस कहने का चलन बढ़ा है, इसीलिए चीन अब भारत के सामने इस शब्द को प्रयोग नहीं करने का अनुरोध कर रहा है। लेकिन चीन को इतना समझ लेना चाहिए कि वह अपनी इन चालों से वुहान वायरस पर अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता है।