कोरोनावायरस पर भारत की मीडिया के हिस्से समेत पूरी दुनिया की मीडिया चीनी पक्ष लेती दिखाई दे रही है। इसका उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस वायरस को चीनी वायरस कहा। बस ट्रम्प के इतना कहते ही लिबरल मीडिया को भयंकर पीड़ा पहुंची और मीडिया ने ट्रम्प पर रेसिस्ट होने का टैग लगा दिया। अब विदेशी मीडिया द्वारा चीन का इस तरह पक्ष लेने की वजह अब सामने आई है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल WION की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी बकायदा विदेशी पत्रकारों को 10 महीने का एक कोर्स कराती है, और इसके लिए चीन उन पत्रकारों को पैसे देता है, उन्हें फ्री में चीन में घुमाता है और उनकी सही से खातिरदारी करता है। WION की उसी रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि भारत से भी कुछ पत्रकार इस प्रोग्राम में हिस्सा ले चुके हैं।
चीन शुरू से ही मीडिया के जरिये दुनियाभर में अपना एजेंडा फैलाता रहा है, और वर्ष 2016 से ही वो अपने 10 महीने के प्रोग्राम से विदेशी पत्रकारों को कम्युनिस्ट पार्टी का एजेंडा चलाने के लिए प्रशिक्षित करता आया है। चीन अपने यहां तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचारों को थोपता ही है, लेकिन अब मीडिया के सहारे वह दुनिया में भी शी के विचारों को बढ़ावा देने में लगा है।
आज दुनियाभर में वुहान वायरस के नाम को लेकर लोग दो हिस्सों में बंटे नज़र आते हैं। मीडिया का एक हिस्सा वुहान वायरस शब्द को प्रासंगिक ठहराता है तो वहीं एक हिस्सा इस शब्द को नस्लभेदी करार देता है। जब ट्रम्प ने पहली बार इस वायरस के लिए चीनी वायरस शब्द का उपयोग किया था, तो लिबरल मीडिया का बड़ा ही आक्रामक रवैया देखने को मिला था।
17 मार्च को डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके लिखा था, ‘अमेरिका पूरी ताकत के साथ एयरलाइन जैसे उन उद्योगों की मदद कर रहा है जो विशेष रूप से चीनी वायरस से प्रभावित हुए हैं। हम इतना ज्यादा मजबूत होंगे जितना पहले कभी नहीं थे।’
The United States will be powerfully supporting those industries, like Airlines and others, that are particularly affected by the Chinese Virus. We will be stronger than ever before!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) March 16, 2020
ट्रंप के इस ट्वीट के सामने आने के बाद ही huffington पोस्ट ने ट्रम्प के इस ट्वीट को हेटफुल करार दिया, और उनके इस शब्द को xenophobic करार दिया।
वही चीनी वायरस पर हाल में NDTV की भी बेहद पक्षपाती रिपोर्टिंग देखने को मिली थी। एनडीटीवी अपने ट्विटर अकाउंट पर चीन की पैरवी करता दिखाई दिया है। NDTV ने एक ट्वीट में अपने एक लेख को शेयर करते हुए कहा है, “चीन से ये वायरस उत्पन्न नहीं हुआ है और ना ही जानबूझकर इसे दूसरे देशों में इसे फैलाया हुआ है”।
China didn't create or "intentionally transmit" #coronavirus: official. https://t.co/syt7cjI1aa pic.twitter.com/Hsu9Ns4Tln
— NDTV (@ndtv) March 25, 2020
इसी तरह “द गार्जियन” ने तो अपने लेख में स्पष्ट लिखा है कि एक वायरस को बनाने में पूरे विश्व की भागीदारी लगती है, अकेले चीन की नहीं”। इन मीडिया संस्थाओं का चीन के पक्ष में इस तरह की रिपोर्टिंग देखकर शक होता है कि कहीं इन पत्रकारों ने भी तो चीन के प्रोपगैंडा स्कूल में पढ़ाई नहीं की है, जहां क से कबूतर नहीं बल्कि क से कम्यूनिज़्म सिखाया जाता है।
भारत और दुनिया के कई पत्रकारों का चीन के इशारों पर नाचने का असल कारण अब एक्सपोज हो चुका है। चीन इन्हें पैसे देता है, खातिरदारी करता है और भारत के कुछ पत्रकार इतने में ही अपनी नैतिकता बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। जो भी पत्रकार इस तरह भारत में चीनी प्रोपेगैंडे को बढ़ावा देते हैं, उनकी सरकार को जांच करनी चाहिए और जल्द से जल्द उनकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।