इन दिनों दुनिया कोरोनावायरस के दहशत में है। भारत में भी कोरोनावायरस के मामलों में काफी तेजी देखी जा रही है। अभी तक कुल 300 के पार लोग संक्रमित हो चुके हैं। वायरस से बचने के लिए लोग अपने घरों में कैद हैं। देश में वायरस से बचने के लिए प्रार्थनाएं चल रही हैं लेकिन ऐसे हालात में लोग मंदिरों में जाने से बच रहे हैं। कोरोना की वजह से देश के कई बड़े-बड़े मंदिरों में भक्तों का जाना प्रतिबंधित हो गया है। लोग घरों से ही अपने आराध्य की पूजन कर रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग सरकार द्वारा लगाए गए तमाम प्रतिबंधों को ताक पर रखकर हजारों की संख्या में मस्जिदों में नमाज अदा करने जा रहे हैं।
दरअसल, कोरोना वायरस की डर से सरकार ने देश के कई बड़े मंदिरों को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया है। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, महाकाल मंदिर उज्जैन, बेल्लूर मठ जैसे देश के बड़े-बड़े मंदिरों को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामनवमी मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा। योगी सरकार की समर्थन करते हुए साधु-संतो ने भक्तों से कहा है कि भीड़-भाड़ वाली जगहों में जाने से बचें, घरपर रहकर ही अपने आराध्य देव की पूजा अर्चना करें।
एक तरफ हिंदुओं की बड़ी आबादी मंदिरों में जाने से बच रही है तो वहीं मुसलमानों में कोरोना को लेकर कोई खौफ नहीं है। उन्हें न तो अपने परिवार की चिंता है न ही देशवासियों की चिंता है। ऐसा तब हो रहा है जब पीएम मोदी ने बड़े निवेदन के साथ कहा है कि सोशल डिस्टेंस बनाकर रखिए। यहीं नहीं देश की सबसे बड़ी मस्जिद जामा मस्जिद में नमाजी मस्त हैं, उनका मानना है कि उन्हें किसी वायरस से डर नहीं है क्योंकि उन पर अल्लाह की रहमत है।
इतना ही नहीं अल्लाह के इन बंदो का मानना है कि वे मौत से नहीं डरते क्योंकि उन पर खुदा की रहमत है और उन्हें पूरा भरोसा है कि कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
नमाजी तो नमाजी जब इनके आका ही इनका माइंड वॉश कर दें तो क्या कहना, जी हां जामा मस्जिद के शाही इमाम ने बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा है कि नमाज तो जमात के साथ ही होगी।
सैय्यद अहमद बुखारी ने आगे कहा कि जहां तक नमाज का सवाल है लोग वुजु (नमाज से पहले हाथ-मुंह-पैर धुलना) अपने घर में करें, और सुन्नतें अपने घर से अदा करके मस्जिद में आएं, मगर मस्जिद को बंद कर देना और जमात के साथ नमाज न अदा करना सही नहीं है।
अब आप खुद समझ सकते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोना जैसी महामारी ने किस कदर तबाही मचाई हुई है। इसको देखते हुए मक्का में अल-हरम और मदीना स्थित अल-मस्जिद अल नबावी मस्जिद को बंद कर दिया गया था, हालांकि अब खोल दिया गया है लेकिन फिर भी वहां लोग नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं भारत के मुसलमान व उनके मजहबी आकाओं को मजहब के आगे महामारी दिखाई ही नहीं दे रही है। उन्हें न तो देशवासियों की चिंता है न ही अपने लोगों की।
यहां दिल्ली सरकार को सख्ती के साथ ऐसे लोगों से निपटना चाहिए ताकि समाज के शेष लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके, नहीं तो दिल्ली से देशभर में महामारी फैलने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।