पत्रकारिता में फेक न्यूज फैलाना बहुत बड़ा अपराध माना जाता है। एक फेक न्यूज किसी की जान ले सकती है। कोई दंगा भड़का सकती है या यूं कहें कि युद्ध तक करा सकती है। हमारे देश के सबसे लोकप्रिय लिबरल पत्रकार रवीश कुमार ने भी हाल ही में दिल्ली दंगे से संबंधित एक फेक न्यूज फैलाया था जिसके बाद एक शख्स को लगातार जान से मार देने की धमकियां मिल रही है।
मालूम हो कि 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में हिंसा हुई थी। हिंसा इतना बढ़ा कि सांप्रदायिक रूप ले लिया। इस हिंसा में एक शाहरूख नाम का मुस्लिम युवक सड़कों पर तमंचा लहरा रहा था जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। कुछ लिबरल लोगों ने इस वीडियो में शाहरूख नाम के शख्स को अनुराग मिश्रा बताया।
रवीश कुमार ने भी अपने 24 फरवरी के प्राइम टाइम शो के दौरान कहा कि ये लड़का कौन है, इसका असली नाम क्या है? कोई कह रहा है कि यह शाहरूख है तो कोई कह रहा है कि यह अनुराग मिश्रा है। पुलिस दोबारा बताए कि यह शख्स कौन है?
रवीश कुमार को पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट पर एक बार में यकीन नहीं होता है। उनके अनुसार जब तक उन्हें दोबारा रिपोर्ट नहीं दी जाती कि इस शख्स का नाम क्या है तब तक वे शंका जाहीर करते रहेंगे और शाहरूख को अनुराग बनाते रहेंगे।
कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों ने भी फर्जी खबरें फैलाना शुरू कर दिया था कि हिंसा में कोई मुस्लिम युवक नहीं था बल्कि वह एक हिंदू युवक था। जो हिंदू आतंकवाद फैला रहा था। उसका नाम शाहरूख नहीं बल्कि अनुराग मिश्रा है। कुछ लोगों ने तो इतना तक कह दिया कि ये भाजपा नेता कपिल मिश्रा का भतीजा है। इसे जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।
विडंबना देखिए कि एक इस्लामिक चरमपंथी की तरफदारी करने व फेक न्यूज फैलाने से एक निर्दोष युवक को कितनी धमकियां दी जा रही हैं। घरवाले भी काफी खौफ में जी रहे हैं। बता दें कि अनुराग मिश्रा की शक्ल शाहरुख से काफी मिलती जुलती है। इसी वजह से लोग उसे शाहरुख बनाने पर तुले हुए हैं। अनुराग मिश्रा एक नवोदित फिल्म एक्टर हैं जो मुंबई में रहते हैं। फिलहाल वह अपने घर वाराणसी में हैं। धमकियां मिलने के बाद यूपी पुलिस ने उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है।
जैसा कि सभी को मालूम होगा कि रवीश कुमार खुद को बड़ा तटस्थ पत्रकार दिखाने में कभी नहीं चुकते हैं। इसके लिए वह भक्त, ह्वाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के छात्र जैसे काल्पनिक शब्दों का सहारा लेते हैं लेकिन खुद न जाने किस इस्लामिक यूनिवर्सिटी से खबर लाए कि तमंचा तानने वाला कोई शाहरूख नहीं था बल्कि वह अनुराग मिश्रा था। अगर इनका बस चलता तो वास्तव में अनुराग मिश्रा को ही मुख्य दोषी बता देते और कहते कि शाहरुख तो मासूम है वो नमाज पढ़ने गया था, हिंसा के वक्त तो अनुराग मिश्रा था।
वास्तव में लिबरलों के चहेता पत्रकार रवीश कुमार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जिस प्राइम टाइम शो में उन्होंने इस फेक न्यूज को फैलाया उसे भी बंद कर देनी चाहिए। एक पत्रकार की जिम्मेदारी होती है कि वह सिर्फ तथ्यों को सामने रखे न कि फेक न्यूज फैलाकर किसी की जान जोखिम में डाले। इस कुकर्म पर रवीश कुमार को सार्वजनिक तौर पर अपने शो में माफी मांगनी चाहिए।