भारत में कोरोना के मामले हर दिन बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना से ग्रसित कुल मरीजों की संख्या 500 के आंकड़े को पार कर चुकी है। सरकार का दावा है कि अभी भारत में इस वायरस का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन नहीं देखने को मिला है। कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का मतलब है कि कोरोना का एक मरीज ही अपने दम पर कई हज़ार लोगों को इस वायरस से ग्रसित कर दे। इस स्टेज पर पहुंचने से बचने के लिए ही देशभर में लॉकडाउन और कर्फ़्यू का सहारा लिया जा रहा है।
कम्यूनिटी ट्रांसमिशन कितना खतरनाक हो सकता है, यह हम साउथ कोरिया के मरीज नंबर 31 के उदाहरण से देश सकते हैं, जहां उस व्यक्ति ने अपने अकेले दम पर 4 हज़ार से ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया था, क्योंकि संक्रमित होने के बाद भी वह व्यक्ति भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाता रहा। भारत में अभी ऐसा कोई मामला नहीं आया है, लेकिन दिल्ली में हाल ही में कोरोना पॉज़िटिव मिली एक महिला पर शक है कि उसने अपने इलाके में इस वायरस का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की होगी। सऊदी से लौटी इस महिला पर शक है कि वह अब भारत की मरीज नंबर 31 सिद्ध हो सकती है।
10 मार्च को सऊदी से लौटी वह महिला अपने 19 साल के बेटे के साथ विदेश गयी थी। एयरपोर्ट पर उसका भाई उसे लेने आया। उस महिला ने अपने आप को ना तो अलग-थलग रखा और न ही अपने आप को Quarantine किया। देश में आने के दो दिन बाद उसे खांसी और बुखार हो गया। टेस्ट कराया गया तो 17 मार्च को उसका कोरोना टेस्ट पॉज़िटिव पाया गया। 20 मार्च को उस महिला के भाई और मां को भी कोरोना से ग्रसित पाया गया। इतना ही नहीं, अगले ही दिन उस महिला की दो बेटियों (आयु 24 वर्ष और 26 वर्ष) को भी इस वायरस का मरीज पाया गया। सऊदी से लौटी उस महिला ने बड़े अस्पताल में जाने से पहले पास के ही मोहल्ला क्लीनिक में इलाज़ करवाया था, जहां मोहल्ला क्लीनिक के उस डॉक्टर को भी कोरोना पॉज़िटिव पाया गया।
वायरस से ग्रसित होने वाले लोगों की ये चेन ऐसे ही बढ़ती रहती है। मोहल्ला क्लीनिक के जिस डॉक्टर को कोरोना पॉज़िटिव पाया गया, अब उस डॉक्टर की पत्नी और बेटी को भी कोरोना से ग्रसित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। उनके अंदर संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू हो चुके हैं। उनके टेस्ट के नतीजे अभी नहीं आए हैं। अब जरा सोचिए, जब इस डॉक्टर को कोरोना हुआ होगा, उस दौरान अपने क्लीनिक पर बैठकर उसने जिन भी मरीजों का चेक अप किया होगा, उन सभी का अब कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा माना जा रहा है कि सऊदी से लौटी वह महिला घर आने के बाद अपने आस पड़ोस के लोगों के साथ भी संपर्क में आई थी, जिससे अब उस मोहल्ले के 74 लोगों को निगरानी में रखा गया है।
इस मामले को देखकर समझा जा सकता है कि कैसे एक व्यक्ति सिर्फ अपने दम पर देश में एक बड़ी महामारी को फैलाने की क्षमता रखता है। ज़रूरत है तो बस सावधानी बरतने की। अगर उस महिला ने सऊदी से आते ही अपने आप को isolate कर लिया होता और दूसरों के संपर्क में वह महिला ना आई होती, तो यह चेन बन ही नहीं पाता।
आज तक की एक रिपोर्ट की मानें तो उस महिला का भाई बाद में CAA के विरोध प्रदर्शनों में भी शामिल हुआ था, लेकिन पुलिस की सख्ती के कारण तब उस प्रदर्शन में सिर्फ 15 से 20 लोग ही आए थे। अब डर है कि कहीं इन लोगों को भी इन्फेक्शन ना हो गया हो।
भारत में कुछ लोगों की असावधानी और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कैसे हजारों लोगों की जान ले सकता है, यह इस मामले को देखकर साफ पता लगता है। सऊदी से वापस आई वह महिला जब कोरोना पॉज़िटिव मिली, तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग की टीम उस महिला के घर पहुंची, और उसके परिवार वालों की जानकारी जुटाने की कोशिश की। लेकिन उस महिला के परिवार ने तब उस टीम के साथ सहयोग करने से मना कर दिया, बाद में स्वास्थ्य टीम को पुलिस बुलाकर पुलिस का सहारा लेना पड़ा।
यह दिखाता है कि कोरोना के समय जागरूकता और social distancing अपनाने की कितनी ज़रूरत है। आपको नहीं पता कि भारत में कौन सा व्यक्ति एक टाइम बॉम्ब की तरह कब फट जाए और कब आप भी इस टाइम बॉम्ब की चपेट में आ जाएं। आज सब का मंत्र होना चाहिए- जियो और जीने दो। ऐसे में सब का कर्फ़्यू का पालन करने में ही फायदा है। पेमेंट भी ऑनलाइन ही करें क्योंकि नोटों से संक्रमण का खतरा बहुत ज़्यादा होता है। आप अपना ध्यान रखेंगे तो ही अपने परिवार का ख्याल रख पाएंगे।