चीन से फैले वुहान वायरस ने अब दक्षिण एशिया में भी पैर पसारने शुरू कर दिये हैं और इसने अपना सबसे बड़ा निशाना पाकिस्तान को बनाया है। पाकिस्तान में कोरोना के मामले 250 पार कर चुके हैं और इससे लाहौर में 1 व्यक्ति की जान भी चली गयी है। लेकिन वह सिर्फ कोरोना ही नहीं है जिसने पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है, बल्कि कोरोना के साथ ही पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में फसलों पर टिड्डियों ने धावा बोल रखा है जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा लगभग 18 प्रतिशत है और ऐसे में पहले से ही गर्त में पड़ी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था कोरोना और टिड्डियों के दोहरी मार से बच नहीं पाएगी। यही कारण है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब सब देशों से कोरोना के कारण उसका लोन माफ करने की मिन्नतें की हैं।
भारत समेत दुनिया के दूसरे देशों में शहर के शहर बंद किए जा रहे हैं ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के मुताबिक पाकिस्तान में ऐसा करना नामुमकिन है, क्योंकि अगर पाकिस्तान में शहरों को बंद कर दिया गया तो पाकिस्तान घुटनों पर आ जाएगा। उनका कहना है कि यहां हालात अमेरिका या यूरोप जैसे नहीं हैं, यहां 25% आबादी गरीबी में रहती है। उनके मुताबिक- “अगर शहर बंद किए जाते हैं तो लोगों को कोरोना वायरस से तो बचा लिया जाएगा, लेकिन वे भूख से मर जाएंगे”।
इमरान खान ने यह भी कहा कि पाक की अर्थव्यवस्था ने पिछले साल उन्नति की थी लेकिन अब कोरोना वायरस संकट के कारण वह दबाव में हैं और उन्होंने सुझाव दिया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को देश के कर्ज भुगतान पर राहत देने पर विचार करना चाहिए। स्पष्ट है कि अब पाकिस्तान कोरोना की आड़ में अपने सभी कर्ज़ माफ करवाना चाहता है ताकि उसकी डूबती अर्थव्यवस्था को थोड़ा सहारा मिल सके।
लेकिन इस बात के आसार कम ही हैं कि पाकिस्तान टिड्डियों और कोरोना के दोहरे प्रहार से बचने में सफल हो पाएगा। टिड्डियों ने किसानों की हालत को काफी खस्ता कर दिया है। टिड्डियों के झुंड ने पाकिस्तान के विशाल और शुष्क बलूचिस्तान प्रांत के किसानों की फसल को तबाह कर दिया है। किसानों की गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है और उन्हें चिंता है कि आने वाले दिनों में अब क्या होगा।
पाकिस्तान ने इन कीड़ों से बचने के लिए चीन की सहायता भी मांगी थी लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान किसानों का कोई फायदा नहीं हो पाया और अब हाल यह हो गया है कि उन किसानों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता होने लगी है, क्योंकि फसल की पैदावार अच्छी न होने से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ना तय है।
इसके उलट पाक ने कोरोना से निपटने में भी सुस्त रवैया दिखाया है। पाक वुहान वायरस से बुरी तरह पीड़ित दो देशों यानि ईरान और चीन के साथ सीमा साझा करता है, और पाक ने काफी समय तक इन देशों के साथ अपने बॉर्डर को बंद नहीं किया। जनवरी में चीन में शुरू हुई यह बीमारी जनवरी महीने के अंत तक ईरान में पहुंच चुकी थी और फरवरी में 23 तारीख तक पाकिस्तान ने इरान से सटे अपने बॉर्डर को बंद नहीं किया। यानि फरवरी महीने में लंबे समय तक ईरान में पाकिस्तानी नागरिकों का आना जाना लगा रहा था, जो कि बड़े पैमाने पर वुहान वायरस से पीड़ित देश है। इसके अलावा पाकिस्तान में चीन से भी लगातार फ्लाइट्स आती रही, जिसमें शक है कि कोरोना से पीड़ित मरीज भी पाकिस्तान में बिना किसी रोकथाम के आते रहे।
उदाहरण के तौर पर हाल ही में ईरान से 8 हज़ार पाकिस्तानी तीर्थयात्री पाक पहुंचे और उनको लेकर पाकिस्तानी सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। इन लोगों की ना तो कोई स्क्रीनिंग की गयी और ना उन्हें 14 दिनों के लिए अलग से रहने के लिए कहा गया। यही कारण है कि अब पाकिस्तान में ऐसे हालात हो गए हैं कि विदेशों में ना घूमने वाले लोगों में भी कोरोना के मामले पाये जा रहे हैं। अभी हाल ही में एक पाकिस्तानी नागरिक में वुहान वायरस पाया गया, जो हाल ही में इस्लामाबाद होकर आया था और उसने इतिहास में किसी बाहरी देश में कोई यात्रा नहीं की थी। यह दिखाता है कि इस्लामाबाद शहर में किस हद तक कोरोना फैल चुका है लेकिन देश में निम्न गुणवत्ता का स्वास्थ्य तंत्र होने के कारण कोरोना के सभी मामलों को रिपोर्ट नहीं किया जा रहा है, जिससे इस वायरस के और ज़्यादा फैलने के अनुमान बढ़ गए हैं।
वायरस के फैलने के कारण अब पाकिस्तान ने अपने यहां स्कूलों और कॉलेजों समेत कई सार्वजनिक कार्यक्रमों को बंद करने का फैसला लिया है जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तगड़ा नुकसान हो सकता है और अगर पाकिस्तान को कोई राहत नहीं मिली तो यह देश जल्द ही दिवालिया घोषित हो सकता है। वुहान वायरस से लड़ने के लिए पाकिस्तान के पास न तो आर्थिक शक्ति है और ना ही उन्नत तकनीक। इसके अलावा पाकिस्तान पर प्रहार भी दोहरा है और किसानो पर भारी पड़ने वाली टिड्डियों की समस्या भी अभी टली नहीं है।
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने पिछले वर्ष अपने इतिहास में पहली बार एक साल के भीतर 16 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लेकर एक नया रिकॉर्ड कायम कर दिया था। डिफॉल्टर होने से बचने और आयात जारी रखने के लिए पाकिस्तान लगातार विदेशी कर्ज ले रहा है और अभी पाकिस्तान पर इतना कर्ज है कि उसके बजट का बड़ा हिस्सा यानी 42 फीसदी तो कर्ज का ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जाता है।
पाकिस्तान को हर साल पहले ही इतना बड़ा कर्ज़ देना पड़ता है जिससे उसकी अर्थव्यवस्था की जान पहले से ही निकली हुई है। अब कोरोना और टिड्डियों का प्रहार उसकी अर्थव्यवस्था के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है। देखना यह है कि पाकिस्तान आने वाले दिनों में इस हालत से कैसे निकल पाता है। इमरान खान के रुदन राग को देखकर यही लगता है कि पाकिस्तान के लिए All is not well.