‘आतंकवादी बनने गए थे, भिखारी बनकर रह गए’, केरल से ISIS में शामिल होने के लिए गई महिलाओं की कहानी

अब ये महिलाएं भारत आना चाहती हैं, क्या इन्हें घुसने देना चाहिए?

अफ़ग़ानिस्तान

वर्ष 2016 में ISIS में शामिल होने के लिए केरल से गयी कुछ महिलाएं अब वापस भारत लौटना चाहती हैं और अब 4 साल बाद उस महिला के परिवार ने भारत सरकार से मदद मांगकर उन्हें वापस लाने की गुहार लगाई है। वह भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा निमिषा और दो अन्य महिलाओं, सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा और राफेला से पूछताछ की एक वीडियो में नजर आई थी। ये महिलाएं अपने पतियों के साथ अफ़ग़ानिस्तान में ISIS में शामिल होने के लिए गईं थी, लेकिन अब इनके पति मारे गए हैं तो ये महिलाएं वापस अपने देश आना चाहती हैं। यह दर्शाता है कि भारत को मुस्लिमों के लिए खतरनाक देश बताने वाले लोगों के दावों में कितनी सच्चाई है और असल में भारत से बाहर रहने वाले मुस्लिम भारत वापस आने के लिए कितने व्याकुल रहते हैं।

इन महिलाओं में से आयशा उस मारे गए आतंकवादी अब्दुल राशिद अब्दुल्ला की पत्नी है जिसने केरल में IS में भर्ती करने के मॉडल को लॉन्च किया था। राशिद ने न केवल लोगों को IS में भर्ती होने के लिए उकसाया बल्कि लोगों का धर्म परिवर्तन भी कराया। इसके बाद वह काफी लोगों को लेकर ईरान के बॉर्डर के इलाके से अफ़ग़ानिस्तान में घुसा, जिनमें आयशा भी शामिल थी।

अब्दुल पिछले साल मारा गया था जिसके बाद आयशा के मुताबिक, उसकी ज़िंदगी बेहद निराशाजनक हो गयी थी और अब वह अपने परिवार के पास लौटना चाहती है। भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा इन महिलाओं से पूछताछ की वीडियो में सोनिया को यह कहते सुना जा सकता है कि “जब 2016 में हम यहाँ पहुंचे, तो हमने देखा कि यहाँ चीज़ें हमारी उम्मीद के मुताबिक थी ही नहीं। हमें इस्लामिक ज़िंदगी जीने की सोची थी और इस्लामिक कानून के तहत ज़िंदगी बिताने का सपना देखा था, लेकिन यहाँ वह सच नहीं है। अब मैं वापस दोबारा भारत लौटना चाहती हूँ और अपने पति के परिवार के साथ रहना चाहती हूँ”।

इसी तरह एक अन्य महिला निमीषा कहती है कि वह अपनी माँ बिन्दु संपथ से मिलना चाहेगी, बशर्ते उसे भारत आने के बाद गिरफ्तार न किया जाये। निमीषा केरल की डेंटल स्टूडेंट थी जिसने एक ईसाई लड़के से शादी की थी और फिर अपनी माँ को बताए बिना ही इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। माना जाता है कि निमीषा और उसके पति को केरल में काम करने वाले ISIS के आतंकवादियों ने ही ISIS में शामिल होने के लिए उकसाया था।

बता दें कि पिछले वर्ष नवंबर और दिसंबर में अफ़ग़ानिस्तान में 1400 पुरुषों और महिला आतंकवादियों ने सरेंडर किया था जिसमें कई भारतीय भी थे। उनमें से लगभग सभी केरल से ही थे। केरल भारत का सबसे ज़्यादा अतिवादी राज्य माना जाता है जहां आतंकवादियों का terror नेटवर्क बेहद मजबूत है। केरल पिछले कुछ सालों में वहाबी गतिविधियों और कट्टर इस्लाम के हब के रूप में उभरकर सामने आया है।

ISIS में शामिल होने गयी ये कई महिलाएं अब वापस अपने देश लौटना चाहती हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उन्हें वापस भारत में जगह देनी चाहिए? इस बात की क्या गारंटी है कि जिन कट्टर विचारों के साथ ये महिलाएं अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी बनने गयी थीं, अब उन विचारों को इन महिलाओं ने छोड़ दिया है। अगर इन्हें वापस भारत में जगह दे दी जाएगी तो ये यहाँ आकर दोबारा अपने कट्टर विचार समाज में फैलाएँगे।

IS के पूर्व चीफ आतंकवादी अबु-बकर अल बगदादी ने मरने से पहले सभी जिहादियों को संदेश दिया था कि उन्हें वापस अपने देश लौटकर वहां जिहाद फैलाने का काम करना चाहिए। अब इस बात का शक बढ़ गया है कि ये महिलाएं वापस भारत आकर जिहाद को बढ़ावा दे सकती हैं। भारत में पीएम मोदी ने जिस तरह आतंकवाद के खिलाफ भयंकर लड़ाई छेड़ी है, उसने इन जिहादियों के पनपने के लिए कोई स्थान ही नहीं छोड़ा है। केरल में भारतीय जांच एजेंसियों ने इन आतंकवादियों को काबू करने के लिए जो कदम उठाए वो प्रशंसनीय है। अब भारत को इन महिलाओं की वतन वापसी को लेकर सोच-समझकर कदम उठाने की ज़रूरत है।

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