सोशल मीडिया पर अगर फेक न्यूज फैलाते हैं तो सावधान हो जाइये, मोदी सरकार बड़ा एक्शन लेने जा रही है

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PC: प्रभात खबर

पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों के बाद केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया है। केंद्र सरकार ने सख्त चेतावनी दी है की यदि फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया कंपनियों ने अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध सख्त कदम नहीं उठाया, तो केंद्र सरकार उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने को विवश हो जाएगी।

हाल ही में गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों के उपरांत सोशल मीडिया पोर्टल जैसे ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप के आला अफसरों के साथ बैठक की। इस बैठक में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों के अलावा दिल्ली पुलिस के कई वरिष्ठ अफसर भी उपस्थित थे। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कुछ अफसरों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, “सरकार ने सोशल मीडिया को हिंसा भड़काने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले पोस्ट्स पर नरमी बरतने के लिए आड़े हाथों लिया है। इसके अलावा मंत्रालय का यह भी मानना है कि सोशल मीडिया कंपनी भड़काऊ पोस्ट्स पर एक्शन लेने में काफी गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करती है, जिसके कारण स्थिति और बिगड़ने का खतरा भी रहा है”।

बता दें कि डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे से ठीक एक दिन पहले 24 फरवरी को सीएए विरोधी गुट ने जाफराबाद, चाँद बाग और मौजपुर जैसे क्षेत्रों में डेरा डालने की कोशिश की थी। जब स्थानीय लोगों और कपिल मिश्रा जैसे भाजपा नेताओं ने विरोध किया, तो सीएए विरोधी दंगाई पत्थरबाजी करने लगे, जो बाद में हिंसक दंगों में परिवर्तित हो गये। इन दंगों में दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल समेत 45 से ज़्यादा निर्दोष व्यक्तियों की मृत्यु हुई है और 300 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं।

परंतु सोशल मीडिया और अधिकांश मीडिया ने इसे ट्विस्ट कर पूरे दंगों का दोष हिंदुओं, विशेषकर भाजपा नेता कपिल मिश्रा पर डाल दिया था। अपने ही पैमानों की धज्जियां उड़ाते हुए विकिपीडिया ने पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों से संबन्धित पेज पर लिखी जानकारी में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा फैलाये गए उपद्रव के किसी भी केस को शामिल करने से मना कर दिया। सोशल मीडिया भी पूर्ण रूप से पक्षपात करते हुए केवल और केवल एक ही पक्ष के पोस्ट्स पर कार्रवाई कर रहे थे, और जो वास्तव में दंगा भड़काने में लगे हुए थे, उनके विरुद्ध तो मानो वे आँखें मूँदे बैठे थे।

इसी परिप्रेक्ष्य में दिल्ली पुलिस ने भी कई भड़काऊ पोस्ट पहचाने हैं। एक वरिष्ठ अफसर के अनुसार, “हमने उन्हें [सोशल मीडिया प्लेटफार्म] इस समस्या से अवगत कराया। हमने अपनी लीगल पोजीशन भी उन्हें बताई है। यदि वे इनपर त्वरित कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म खुद जिम्मेदार होंगे। यदि आवश्यकता पड़ी, तो इनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 120 बी के अंतर्गत मुकदमा भी दर्ज होगा”।

हालांकि, दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय ने इससे ज़्यादा जानकारी साझा करने से मना किया है, परंतु ट्विटर ने सोशल मीडिया पोस्ट्स के संबंध में सरकारी अफसरों के साथ अपनी मुलाक़ात की पुष्टि भी की है। ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा, “ट्विटर भारत समेत विश्व भर की सरकारों  को अच्छी सेवाएँ देने के लिए प्रतिबद्ध है। हम गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा करते हैं और हमें उनकी बैठक में शामिल करने के लिए आभार भी प्रकट करते हैं”।

अब गृह मंत्रालय ने जिस प्रकार से सोशल मीडिया के विरुद्ध सख्त रुख अपनाया है, वो एक सराहनीय प्रयास के साथ साथ एक स्पष्ट संदेश भी भेजता है – इस बार देश में वैमनस्य फैलाने पर सरकार आँख मूँद कर नहीं बैठेगी, चाहे माध्यम कोई हो।

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