कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें रोकथाम के लिए तमाम कदम उठा रही हैं। लोग अपने घरों में कैद हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्हें अपनी जिद के आगे कुछ नजर नहीं आ रहा है। हम बात कर रहे हैं शाहीन बाग के कथित शेरनियों की जो पिछले तीन महीने से सीएए-एनआरसी के खिलाफ सड़के जाम करके शाहीन बाग में बैठी हुई हैं। अब खबर आ रही है कि शाहीनबाग विरोध प्रदर्शन के एक आयोजक की बहन का कोविड-19 यानि कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है, जिसके बाद आयोजक को भी क्वारंटाइन कर दिया गया है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार- 11 मार्च को सऊदी अरब से लौटने के बाद आयोजक की बहन का जब मेडिकल टेस्ट हुआ तो कोरोना के लक्षण पाए गए। आयोजक ने 13 मार्च को अपनी बहन से मुलाकात की थी। सबसे चिंता की बात तो यह है कि आयोजक अपनी बहन से मुलाकात करने के बाद एक दो बार शाहीनबाग भी गया था, इस बात को उसने स्वीकार किया है। बहन से मुलाकात के बाद आयोजक में भी कोरोना के लक्षण दिखने शुरु हो गए हैं। फिलहाल, वह राष्ट्रीय राजधानी में लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में क्वारंटाइन है।
इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि जब वह व्यक्ति विरोध प्रदर्शन स्थल पर गया होगा तो किसी के संपर्क में नहीं आया होगा। सोचिए कि आयोजक अगर एक भी प्रदर्शनकारी को संक्रमित करता है तो यह कितने लोगों को प्रभावित कर सकता है। इससे से पूरा शाहीनबाग संक्रमण के दायरे में आ जाएगा जो कि बेहद खौफनाक होगा। यदि आयोजक COVID-19 टेस्ट में पॉजिटिव पाया जाता है, तो पूरे विरोध स्थल पर भी संक्रमण की सबसे अधिक संभावनाएं बन जाएंगी, जिससे देश की राजधानी के लिए एक बड़ा संकट पैदा होगा।
इस बीच, प्रदर्शन स्थल पर अब तख्त रख दिया गया है जिन पर दो सिर्फ दो महिलाओं को बैठन की अनुमति है। अधिकांश प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 50 से अधिक लोगों के एक साथ एकत्रित होने आदेश को मानने से इनकार कर दिया है। प्रदर्शन में मौजूद सोफिया ने कहा,
“हमें कोरोना वायरस और सीएए एवं एनआरसी दोनों से ही लड़ना है। इस लड़ाई में हमारे लिए कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक एनआरसी और सीएए है। इसलिए सीएए के खिलाफ हमारी यह लड़ाई जारी रहेगी। बीमार होने के डर से हम अपने आंदोलन को छोड़कर घर नहीं बैठ सकते।”
इन बयानों से साफ पता चलता है कि ये जाहिल महिलाएं किसी फिदायिन हमलावर से कम नहीं हैं। खुद तो संक्रमण का शिकार होंगी ही बाकि देशवासियों को भी खतरा पहुंचाएंगीं, जो किसी जिहाद से कम नहीं होगा।
आपको बता दें कि शाहीनबाग से परे देश में ऐसे कई विरोध प्रदर्शन हैं जो अब तक बंद नहीं हुए हैं, इनमें लखनऊ का भी विरोध प्रदर्शन एक है, जहां प्रदर्शनकारी महिलाओं ने ठान लिया है कि वे नहीं हटेंगी। बता दें कि लखनऊ में घंटाघर के पास विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया है जहां से थोड़ी ही दूरी पर KGMC का क्वारंटाइन सेंटर है। आप समझ सकते हैं कि यहां का विरोध प्रदर्शन भी कितना खतरनाक है।
मोदी सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए वरना भारत का भी वही हाल होगा जो दक्षिण कोरिया का हुआ था। दक्षिण कोरिया में 31वें संक्रमित व्यक्ति ने 8 हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया था। कुछ ऐसा ही हाल हमें शाहीन की वजह से देखने को मिल सकता है, अगर विरोध प्रदर्शन बंद नहीं किया गया।
जिस तरह से शाहीनबाग की कथित शेरनियों को पुलिस समझा रही है उससे कुछ नहीं होने वाला। दिल्ली पुलिस को बल प्रयोग करके उन्हें खदेड़ना चाहिए और महामारी एक्ट 1857 लगाकर देशद्रोह का मामला दर्ज करना चाहिए, जिससे शेष भारतीय नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।