“अरे भाई मैंने ये बोला ही नहीं” क्विंट ने एक अधिकारी को डॉक्टर बता उसका नकली बयान छाप दिया, अब हुआ Expose

मोदी विरोध में अंधे हो गए हैं क्विंट वाले

क्विंट

दूसरों के मुंह में शब्द कैसे डालते हैं, ये कोई द क्विंट से सीखे। वुहान वायरस से भारत लड़ रहा है, देश के निवासियों को कम से कम नुकसान हो, उसके लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं, परन्तु मजाल है कि द क्विंट एजेंडा फैलाना छोड़ दें।

हाल ही में द क्विंट ने एक साक्षात्कार प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी द्वारा वुहान वायरस से निपटने के लिए CO VID 19 टास्क फोर्स के एक कथित सदस्य से बातचीत कराई। इस साक्षात्कार के जरिए द क्विंट ने ये बताने का प्रयास किया कि कैसे भारत इस महामारी के तीसरे और सबसे घातक स्टेज यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन में पहुंच चुकी है और पीएम मोदी इस स्वीकार नहीं करना चाहते हैं –

इस साक्षात्कार में द क्विंट की पत्रकार पूनम अग्रवाल को डॉक्टर गिरधर ज्ञानी ने बताया कि कैसे भारत स्टेज 3 में पहुंच चुका है, जिसे सरकार ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। इसके अलावा द क्विंट ने यह भी बताया कि कैसे भारत इटली जैसे हालात देखने की स्थिति में पहुंच  गया है।

यहां द क्विंट ने भूल कर दी। उन्होंने ये दर्शाया कि डॉक्टर गिरधर ज्ञानी पीएम मोदी द्वारा गठित टास्क फोर्स के एक अहम डॉक्टर हैं। परन्तु सच्चाई तो यह है कि गिरधर ज्ञानी एक मेडिकल बॉडी का हिस्सा अवश्य है, परन्तु डॉक्टर नहीं है –

परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकी। द क्विंट ने जो बातें बताई, उसे स्वयं गिरधर ज्ञानी ने झूठ करार दिया। ANI के संवाददाता ईशान प्रकाश से बातचीत के दौरान पता चला कि  गिरधर ज्ञानी ने ऐसी कोई बात नहीं बोली, जिससे यह सिद्ध हो कि भारत वुहान वायरस महामारी के तीसरे स्टेज में पहुंच चुका है। गिरधर ज्ञानी के अनुसार अभी जो केस बढ़ रहे हैं, वह केवल गणित का फेर है, पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन में संक्रमण की मामले रुकने का नाम ही नहीं लेते –

गिरधर जी की बात गलत भी नहीं है। इससे पहले कि दक्षिण कोरिया में स्थिति बद से बदतर होती, वहां आक्रामक टेस्टिंग और सरकार के सख्त क़दमों ने पूरे कोरिया को इस बीमारी की चपेट में आने से बचा लिया। जापान में हालत कुछ ज़्यादा अच्छे नहीं है, परन्तु उनके यहां भी इतने दिनों के बाद भी कुल मामले दो हज़ार नहीं पहुंचे है। इसका अर्थ स्पष्ट है, जापान कम्युनिटी ट्रांसमिशन वाले स्टेज पर नहीं पहुंचा है, और दक्षिण कोरिया की भांति वह भी जल्द ही इस मुसीबत से बाहर निकल आएगा।

ऐसे में भारत अभी भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन वाले स्टेज में नहीं पहुंचा है। परन्तु द क्विंट को इससे क्या? उन्हें तो अपने एजेंडे से वास्ता है। पूनम अग्रवाल ने यह काम पहली बार नहीं किया है। कुछ वर्ष पहले इसी पत्रकार पर एक आर्मी जवान को आत्महत्या करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया था, और हाल ही में वह अभी ज़मानत पर बाहर आई है –

लगता है द क्विंट ने बीबीसी के उदाहरण से कोई सीख नहीं ली है। बीबीसी ने एक अर्थशास्त्री को डॉक्टर के रूप में पेश करके बताया कि कोरोना की सुनामी आने वाली है। रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, “रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, “डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने कहा, “हो सकता है हम बाकी देशों की तुलना में थोड़ा पीछे चल रहे हों, लेकिन स्पेन और चीन में जैसे हालात रहे हैं, जितनी बड़ी संख्या में वहां लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं, वैसे ही हालात यहां बनेंगे और कुछ हफ़्तों में हमें कोरोना की सुनामी के लिए तैयार रहना चाहिए।”

हालांकि, जैसे ही पता चला कि यह महोदय कोई डॉक्टर या चिकित्सा विशेषज्ञ नहीं है, तो भारतीयों ने जमकर ट्रोल किया। लगता है द क्विंट भी इसी परिपाटी पर चल रहा है।

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