केंद्र सरकार ने कोरोना की वजह से किए गए 21 दिन के लॉकडाउन में देश की जनता को राहत देने के लिए 1.70 लाख करोड़ का राहत पैकेज जारी किया। सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस लॉकडाउन में सबसे प्रभावित गरीब और किसान होने वाले हैं इसी वजह से उनको केंद्र में रख कर ही पैकेज की घोषणा की गयी थी। देश में कुछ लोग खासकर मीडिया में कई ऐसे लोग हैं जो सरकार के अच्छे कामों को भी खराब बताने के लिए अपने तरीके से उसे पेश करने लगते हैं। चाहे उसमें सही गणित लगे या गलत उन्हें उससे कोई मतलब नहीं होता। उन्हें बस अपने एजेंडे से मतलब होता है।
A comparison of India's $22.5 billion (Rs. 1.7 lakh crore) relief package to combat #COVID19 to stimulus packages per capita offered by few other countries.@IndiaToday #DIU puts out the data.#CoronavirusPandemic #coronavirus #lockdown #StayHome pic.twitter.com/v3ahrthuO2
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) March 26, 2020
जैसे इस राहत पैकेज की घोषणा की गयी वैसे ही इंडिया टुडे ने एक चार्ट शेयर किया जिसमें यह दिखाया गया था कि भारत ने अन्य देशों के मुक़ाबले कितने का पैकेज जारी किया है। इस चार्ट में कोरोना से चीन के बाद सबसे अधिक प्रभावित यूरोपीय देश भी थे। इस चार्ट को इंडिया टुडे की डाटा इंटेलिजेंस यूनिट ने बनाई और भारत के 1.70 लाख करोड़ को डॉलर में $ 22.5 दिखाया गया था। इस चार्ट में सीधे सीधे अन्य देशों के मुक़ाबले में घोषित किया गया पैकेज दिखाया गया था जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि भारत सरकार का पैकेज अन्य देशों के मुक़ाबले में कितना कम है।
आखिर भारत द्वारा घोषित पैकेज का अन्य देशों के तुलना करने का आइडिया किसका था, ये पता करना चाहिए क्योंकि राहत पैकेज की अन्य देशों से तुलना ही नहीं की जा सकती है। इसका तीन बड़े ही सरल कारण है, पहला वह है कि बाकी देशों कि अर्थव्यवस्था भारत के बराबर नहीं है, दूसरा यह कि अमेरिका और यूरोप में भारत से अधिक नुकसान हुआ है और तीसरा यह कि भारत का यह राहत पैकेज नागरिकों और गरीबों के लिए है, अर्थात यह कल्याणकारी पैकेज है। अन्य सैक्टर जैसे उद्योग के लिए अभी आर्थिक पैकेज की घोषणा होनी बाकी है।
अगर हम भारत के साथ इन सभी पैकेज पर नजर डाले तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि एक ओर जहां भारत सरकार द्वारा जारी पैकेज में डाइरैक्ट बेनीफिट कैश ट्रान्सफर, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि, पेंशन, कम दामों पर राशन, रसोई की गैस आदि शामिल हैं। यही नहीं भारत के कल्याण पैकेज में रियायती खाद्यान्न, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि, पेंशन, मुफ्त खाना, रसोई की गैस आदि शामिल हैं। यही नहीं इसमें कोरोना से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा भी है। वहीं दूसरी ओर यूके द्वारा घोषित 424 बिलियन डॉलर का पैकेज उद्योगों को बचाने के लिए पैकेज है। इसमें मुख्यतः व्यवसायों के लिए ऋण और अनुदान, एयरलाइनों और अन्य व्यवसाय शामिल है।
यही तुलना अब अगर कोरोना से प्रभाव की बात की जाए तो एक ओर भारत में कोरोना के पॉज़िटिव केस 700 से कुछ अधिक है तो वहीं यूके में यह संख्या 11,658 है। कोरोना से होने वाली मृत्यु भी भारत में यूके के 578 के मुक़ाबले काफी कम है।
Government sources say a stimulus package is in the works. Meanwhile, @IndiaToday Data Intelligence Unit looks at how today’s economic relief compares with what’s been announced by other countries so far. pic.twitter.com/ZxWVeIM6cv
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) March 26, 2020
अब बात करते हैं अमेरिका की। अमेरिका ने $2 ट्रिलियन पैकेज घोषित किया था। यह कोई सिर्फ एक क्षेत्र के लिए नहीं था। यह पूरे अमेरिका के लोग और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए था। इसमें लोगों को सीधे पेमेंट, छात्र ऋण का निलंबन, बेरोजगारी, प्रभावित उद्योगों के लिए $ 500 बिलियन का कर्ज जैसे कार्यक्रम शामिल है। एयरलाइंस और हवाई अड्डों के लिए अलग से अनुदान के अलावा अस्पतालों के लिए अलग से $ 117 बिलियन भी इस पैकेज का हिस्सा है। यह तो सभी को पता है कि अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे हालत में अमेरिका की तुलना भारत से करना किसी बेवकूफी से कम नहीं है। अब बात करते हैं कोरोना के अमेरिका में प्रभाव का। अमेरिका में अकेले 85,749 केस कोरोना वायरस के संक्रमण से पॉज़िटिव पाये गए हैं वहीं अभी तक 1304 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसी प्रकार, अन्य देश, जिनका उल्लेख इंडिया टुडे ने किया, उन सभी ने अपने देश की अर्थव्यवस्था बचाने के लिए इस तरह के पैकेजों की घोषणा की, जो अभी भारत को करना बाकी है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत जैसे बड़े देश जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश हैं, वहाँ अभी 700 मामले ही आए हैं तभी सरकार ने कल्याणकारी पैकेज की घोषणा कर दी लेकिन बाकी देशों जिनका नाम इंडिया टुडे ने अपने चार्ट में दर्शाया, सभी ने कोरोना के मामले कई गुना बढ्ने पर जारी किया। देश में प्रोपगंडा करने के लिए कई और मुद्दे हैं लेकिन इंडिया टुडे जैसे मीडिया हाउस भारत को अपने ही लोगों के सामने नीचा दिखाने की जुगत में लगे रहते है। यह चार्ट न सिर्फ बेवकूफी का परिचायके बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि ये लोगों को बेवकूफ बनाने के चक्कर में खुद बेवकूफ बन चुके हैं।