‘मक्का-मदीना बंद पर हमारे यहां मस्जिद खुला, अरे दारूल उलूम फतवा जारी करो’- जावेद का नायाब सुझाव

अरे अब मान जाओ नमाजियों आपके आका जी ने कहा है

जावेद अख्तर

PC: Jansatta

बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय दिखा देती है। ऐसे वुहान वायरस से लड़ने में जब एक समुदाय विशेष के धर्मगुरु अड़ंगा डालते हुए दिखाई दिये, और लाख अनुरोध और कार्रवाई के बाद भी कई मस्जिद बंद होने का नाम नहीं ले रहे थे, तो जावेद अख्तर ने सुझाव दिया कि यदि धर्म विशेष के लोग सरकार की बात नहीं मानना चाहते, तो देवबंद का दारूल उलूम ही फतवा जारी कर दे।

जावेद अख्तर ने ट्वीट कर कहा, एक स्‍कॉलर और माइनॉरिटी कमिशन के पूर्व चेयरमैन ताहिर महमूद साहब ने दारूल उलूम देवबंद से एक फतवा जारी करने को कहा है कि जब तक कोरोना संकट है, सभी मस्जिदों को बंद किया जाए। मैं इस मांग का पूरा समर्थन करता हूं। अगर काबा और मदीना में मस्जिद बंद की जा सकती है तो भारतीय मस्जिदें क्‍यों नहीं”? जावेद अख्तर का ये ट्वीट तब आया है जब देश में सरकारी आदेशों के बावजुद मुस्लिम वर्ग इसकी अवहेलना कर रहा है।

 

बता दें कि वुहान वायरस के भारत में कुल मामलों में एक अप्रत्याशित उछाल आया। दिल्ली में मरकज भवन से 24 मरीज वुहान वायरस से संक्रमित पाये गए हैं, जिसके कारण पूरे निज़ामुद्दीन क्षेत्र को सील कर दिया गया है। इसके अलावा 300 अन्य लोगों को दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। जिस तरह से मरकज़ के प्रशासक समिति, तब्लीगी जमात ने दक्षिण पूर्वी एशिया में तांडव मचाया है, उससे पता चलता है कि कैसे कुछ लोगों के लिए स्वास्थ्य, सुरक्षा और नियम क़ायदे कोई मायने नहीं रखते हैं।

सरकार ने बयान में कहा, हमारी जानकारी में आया है कि निजामुद्दीन मरकज के प्रशासकों ने कोरोना वायरस लॉकडाउन की शर्तों का उल्‍लंघन किया और अब कई सारे पॉजिटिव मामले मिले हैं। इस संस्‍था के प्रशासकों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की जाएगी।”

इसके अलावा दारुल उलूम देवबंद ने भी योगी सरकार को चिट्ठी लिखते हुए कहा है, संकट की इस घड़ी में देवबंद दारूल उलूम देश की जनता और सरकार के साथ खड़ा है। दारूल उलूम की ग्रैंड ट्रंक रोड के पास दारूल कुरान वाली बिल्डिंग है। अगर सरकार चाहे तो उस बिल्डिंग को आइसोलेशन वॉर्ड बना सकती है”।

सच कहें तो वुहान वायरस एक ऐसी महामारी है, जिसने किसी में फर्क नहीं किया है। परंतु कुछ विशेष धर्म के लोग न ही संविधान को मान रहे हैं और न ही सरकार का किसी आदेश को। वास्तव में ये सभी देश के संविधान से ऊपर अपने धर्म को रखते हैं। अगर इन्हें कोई समझा रहा है तो उसके खिलाफ ही ये लोग एकजुट हो जाते हैं।

ये लोग ये मानने को तैयार नहीं है कि वुहान वायरस एक गंभीर समस्या है, आज अपनी धर्मांधता के चक्कर में वे दूसरे लोगों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे में जावेद अख्तर का ट्वीट भले ही कुछ लोगों को अटपटा लगे, परंतु समय के हिसाब से जनाब ने एक सही सुझाव दिया है। पर सही बात इन्हें धर्म के खिलाफ लगती है।

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