वीर सावरकर को लेकर जेएनयू के लिबरलों को फिर से मिर्ची लगी है। जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने वीर सावरकर के नाम पर बने सड़क को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। घोष ने कहा है यूनिवर्सीटी की रोड का नाम विनय दामोदर सावरकर रखा गया है जो जेएनयू के विरासत के लिए शर्म की बात है।
इस पर लेफ्ट की छात्र नेता आइशी घोष ने जेएनयू प्रशासन की कड़ी निंदा की है। आइशी घोष ने कहा है कि सुबनसीर हॉस्टल के तरफ जाने वाले रास्ते का नाम बदलकर वीडी सावरकर मार्ग रख दिया गया है। घोष ने इसको लेकर ट्वीट किया है।
It's a shame to the legacy of JNU that this man's name has been put in this university.
Never did the university had space for Savarkar and his stooges and never will it have !#RejectHindutva@ndtv @BhimArmyChief @RanaAyyub @SFI_CEC @ttindia @IndiaToday pic.twitter.com/Q81PSkkpzq
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) March 15, 2020
आइशी ने लिखा है कि यह जेएनयू के विरासत के लिए शर्म की बात है कि ऐसे व्यक्ति के नाम पर यूनिवर्सिटी के मार्ग का नाम रखा गया है। उन्होंने कहा है कि सावरकर और उन जैसे लोगों के लिए जेएनयू में न कभी जगह था न कभी होगा।
बता दें कि जेएनयू उन कुछ विश्वविद्यालयों में शामिल है जहां अभी भी वामपंथियों का वर्चस्व है। जहां पूरी दुनिया ने मार्क्स के विचारों को नकार दिया है, वहीं जेएनयू ही एक ऐसी जगह है जहां इन वामपंथियों ने इसे जिंदा करने का ठेका लिया है।
जेएनयू में वामपंथ का कितना असर है वहां की कैंपस में जाकर देखा जा सकता है। जेएनयू की दीवारें लाल रंगों से रंग दी गई हैं। वामपंथ के नारों से दीवारों को पाट दिया गया है। सुबह-शाम लाल सलाम, लाल सलाम कॉमरेड, कश्मीर मांगे आजादी, पंजाब बोला आजादी, यूपी बोला आजादी, अरुणाचल बोला आजादी और दिल्ली बोली आजादी जैसे नारें लगना यहां आम बात है।
Pranab Mukherjee was called 'Hangman Mukherjee' by Left and posters were posted all over in JNU to reject him for rejecting mercy petition of terrorist Afzal Guru.
Left goons were protesting against internet ban in Kashmir but same goons had cut off the internet in JNU. pic.twitter.com/4Cj1PxIRul
— Priya (@priyaakulkarni2) January 14, 2020
दीवारों पर खिलाफत 2.0, लाल किले पर लाल निशान, ब्राह्मणवाद से आजादी जैसे तमाम स्लोगनों से जेएनयू की दीवारें पटी होती हैं। हद तो तब हो गई थी जब जेएनयू के कैंपस में ”अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं,” भारत तेरे टुकड़े होंगे, संग बाजी वाली आजादी (पत्थरबाजी वाली), ‘इंडियन आर्मी को दो रगड़ा’, ‘गो इंडिया, गो बैक’, ‘कितने मकबूल मारोगे, हर घर से मकबूल निकलेगा’ जैसे देशविरोधी नारे यहां से निकलते हैं।
Where is the society heading towards.
😡😡JNU students Rally & slogans(listen carefully) in support of sharjeel imam who wanted to break Assam from India!#ShutDownJNU #WednesdayWisdom
— Santh Kumar Gogikar (Modi Ka Parivar) (@santhgogikar) February 19, 2020
कुल मिलाकर जेएनयू के वामपंथी छात्र जेएनयू को अलग देश की तरह मानते हैं और खुद को वहां की सरकार। उन्हें भारत सरकार, न्याय व्यवस्था, संविधान और प्रशासन से कोई मतलब नहीं होता। इससे पहले यही आइशी घोष ने ट्वीट कर दिल्ली के दंगाइयों को हॉस्टल में शरण देने की बात कही थीं। अब सड़क के नाम को लेकर भी इनका मातम शुरु हो गया है।